आखिर कौन है..? गुरसीया उपद्रवकाण्ड का “मास्टरमाइंड”….!आखिर किनके इशारे पर हुई वारदात?

कोरबा/पोड़ी उपरोड़ा, 03 मार्च (वेदांत समाचार)। जिले में पुलिस की कड़ी निगरानी व तेजतर्रार डीएम के शुशोभित होते गुरसीया मे तोड़फोड़ व आगजनी जैसी बडी घटनाएं हो जाना प्रशासनिक व्यवस्था पर उंगली उठना लाजिमी है।जिस तरह घटनाएं सरेआम प्रशासन की मौजूदगी में घट रही है उससे आमनागरिको में भय का माहौल प्रतित हो रहा है।इलाके के व्यापारियों सहित आमनागरिक सकते में हैं।यहाँ तक कि पीड़ित इनके खिलाफ शिकायत दर्ज करने से भी डर महसूस करने लगें हैं।आखिर कौन है कोरबा के ब्लाक पोड़ी उपरोड़ा अंतर्गत ग्राम गुरसीया में गोंगपा कांड का मास्टरमाइंड..?आखिर किनके इशारे पर दिया गया वारदात को अंजाम?

दिनाँक 28 फरवरी 2022 को जिला कोरबा के ब्लाक पोड़ी उपरोड़ा केग्राम गुरसीया में गोंगपा का आंदोलन होना पूर्व से ही तय था,जिसकी जानकारी प्रशासन को भलीभांति थी,हालांकि पुलिस प्रसाशन द्वारा मौका स्थल पर सुरक्षा के तमाम इंतजामात किये हुए थे। गोंगपा के सभा आंदोलन में पुलिस को जरा भी अंदेशा नही था कि भीड़ हजारों की संख्या में जमा होगी,जब भीड़ ने विकराल रूप अख़्तियार करना शुरू किया तो पुलिस प्रशासन के होश फाख्ता हो गए और भीड़ को नियंत्रित करने पुलिस की मौजूदगी महज तुच्छ साबित हुई।वहीं उग्र प्रदर्शन करियो ने इलाके में तोड़फोड़ व आगजनी जैसी घटनाओं को अंजाम दे दिया,और पुलिस प्रसाशन केवल तमास बिन बनकर रह गई।जब जिला पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल वस्तुस्थिति से अवगत हुए तो इन्होंने तत्काल कमान अपने हाथों में ली और देखते ही देखते पूरा इलाका पुलिस छावनी में तब्दील हो गया तथा उपद्रवियों पर नियंत्रण किया गया।

गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के सभा आंदोलन मे इस तरह की घटनाएं सामने आना समझ से परे है जहाँ अभी तक गोंगपा के सारे कार्यक्रम शांतिपूर्ण रहे हैं वहीं गुरसीया का यह आंदोलन उग्र क्यो हुआ? क्या इसके पीछे कोई सोची समझी साजिस थी जो इलाके में सरेआम आगजनी जैसी घटनाओ को अंजाम दे दिया गया।सूत्र बताते हैं कि गोंगपा के कार्यकर्ता रैली के दौरान ही विभिन्न हथियारों के साथ उग्र नजर आ रहे थे ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो गोंगपा का यह धरना आंदोलन किसी बड़ी वारदात के लिए पूरी तैयारी पर आयोजित है।हालांकि गोंगपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष तुलेश्वर सिह मरकाम ने उक्त घटनाओं का ठीकरा विपक्षी दलों पर फोड़ कर गोंगपा के कार्यकर्ताओं को गुमराह करने तथा असामाजिक तत्वों द्वारा उपद्रवकाण्ड किये जाने की बात कही है।खैर वजह जो भी हो,लेकिन इस घटना के बाद से इलाके में सनसनी का माहौल व्याप्त है।कयास ये भी लगाए जा रहे हैं कि गोंगपा की भीड़ में कहीं विपक्षी दलों के असंतुष्ट कार्यकर्ताओं ने अवसर का लाभ उठा अपना उल्लू सीधा करने का प्रयास तो नही किया होगा, कयास तो ये भी लगाए जा रहे हैं कि गोंगपा के इस उपद्रवकाण्ड का मास्टरमाइंड कही गोंगपा के पूर्व संभागीय सचिव लालबहादुर कोर्राम की भूमिका तो नही?बताया जाता है कि बीते दिनों इनके नेतृव में कटघोरा जिला बनाओ को लेकर प्रदेश के मुखिया सहित विधायको का पुतला दहन कर सरकार पर अंकुश लगाने का सफल प्रयास किया था,जहां पुलिस को भनक तक नही लगी थी।

पूरी वारदात में यह बड़ा सवाल लोगो के जहान में हिलोरे मार रहा है आखिर इस आंदोलन के दौरान गुरसीया के जनपद सदस्य भोला गोश्वामी व व्यापारी राजेश जायसवाल ही इनके उपद्रवकाण्ड का हिस्सा क्यो बने? आखिर गोंगपा के कार्यकर्ताओं ने इन्ही के ठिकानों को निशाना क्यो बनाया?आपको बता दे कि यह पूरा मुद्दा स्व. दादा हीरासिंह मरकाम की स्थापित मूर्ति को तोड़े जाने से जुड़ा हुआ था,हालांकि गोंगपा की शिकायत के बाद पुलिस ने आरोपियों को सलाखों के पीछे भेज दिया था।सूत्रों की माने तो गोंगपा के कार्यकर्ताओं को गुमराह किया गया था कि इलाके के भोला गोश्वामी व राजेश जायसवाल के इशारे पर दादा हीरासिंह की मूर्ति खंडित की गई है फिर क्या था देखते ही देखते कार्यकर्ता उग्र हो गए और इनके ठिकानों पर टूट पड़े।गोपनीय सूत्रों की माने तो गुरसीया का हाट बाजार बंद किये जाने से यह पूरा मामला गरमाया था,जहां जनपद सदस्य व्यापारियों सहित पार्टी के निशाने पर थे,अब यह कह पाना मुश्किल होगा कि आखिर गोंगपा के आंदोलन में उपद्रव का मास्टरमाइंड कोन है?सूत्रों के हवाले से यह खबर भी है कि उग्र भीड़ में कांग्रेस के कुछ असंतुष्ट कार्यकर्ता भी देखे गए थे जो बराबर भीड़ में शामिल थे अब गोंगपा के आंदोलन में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का सामिल होना भी अपने आप बड़ा संदेह जाहिर कर रहा है, कही भीड़ में पुरानी दुश्मनी तो नही भंजा ली गई,कही गोंगपा के शांतिपूर्ण आंदोलन को बदनाम करने की साजिश तो नही थी जो गोंगपा के शांतिप्रिय कार्यकर्ता उग्र हो गए।खैर जिला प्रसाशन इस पूरे घटना की निष्पक्ष जांच में जुटा हुआ है जल्द ही उपद्रवकाण्ड में शामिल असामाजिक तत्वों का पर्दाफाश होगा।

इसमे कोई दो राय नही की इलाके में इतनी बड़ी घटना हो जाये और पुलिस की भूमिका सराहनीय ना हो,जी हाँ इस दौरान बांगो थाना प्रभारी राजेश पटेल की भूमिका सराहनीय रही।बताया जाता है कि उच्चाधिकारियों के निर्देशन पर बांगो थाना प्रभारी राजेश पटेल एक दिन पूर्व से ही धरना स्थल का लगातार जायजा ले रहे थे,वहीं घटना वाले दिन भी ये एक टांग पर खड़े होकर आंदोलकारियों को शांत कराते रहे,इस दौरान हो रहे पथराव में इनको भी चोट आई लेकिन ये मोर्चे से पीछे नही हटे।वही स्थानीय लोगो की माने तो पुलिस के बड़े आला अधिकारियों ने गोंगपा के आंदोलन को हल्के में लिया और जब घटनाएं सामने आनी शुरू हुई तो पूरा पुलिस महकमा हरकत में आया और पूरा इलाका छावनी में तब्दील हो गया।अगर पुलिस प्रशासन ने घटना के पूर्व ही सुरक्षा के तमाम इंतज़ामात कर लिए होते तो शायद इलाके में तोड़फोड़ व आगजनी जैसी घटनाएं सामने नही आती और इलाके के प्रतिष्ठित लोग लाखो के नुकसान से बच जाते।

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