श्रीलंका से निकलेगी श्रीराम वनगमन पथ काव्य-यात्रा, राजधानी से कई लोग श्रीलंका गए

रायपुर 26 फ़रवरी (वेदांत समाचार)।  श्रीराम वनगमन पथ काव्य-यात्रा श्रीलंका से निकाली जा रही है। ये काव्य-यात्रा कुल 35 पड़ावों से होते हुए रामनवमी के अवसर पर अयोध्या पहुंचेगी। इस यात्रा की शुरुआत श्रीलंका से की जा रही है। बता दें कि इस यात्रा की शुरुआत श्रीलंका से होगी, जहां से प्रभु श्री राम के चरण चिह्न लेकर यात्रा तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश से होते हुए उत्तर प्रदेश के अयोध्याधाम में समाप्त होगी।

गुरुवार को राजधानी से योगेश अग्रवाल अपनी पत्नी अनीता अग्रवाल के साथ श्रीलंका के लिए रवाना हुए। योगेश के साथ इस यात्रा में राष्ट्रीय समन्वयक महेश कुमार शर्मा भी श्रीलंका के लिए रवाना हुए हैं। योगेश ने बताया कि इस काव्ययात्रा में जहां-जहां भगवान श्रीराम ने पदचिन्ह हैं, ऐसे भारत देश के कुल 232 वनगमन स्थलों पर ये यात्रा पहुंचेगी। इस यात्रा के दौरान भारत में 6009 किलोमीटर तक का सफर तय करेंगे।

छत्तीसगढ़ के प्रमुख स्थानों से भी गुजरेगी काव्य-यात्रा

योगेश अग्रवाल ने बताया कि श्रीराम वनगमन पथ काव्ययात्रा छत्तीसगढ़ में भगवान श्रीराम के वनवास के दौरान पहुंचे हुए प्रमुख स्थानों से भी गुजरेगी। इसमें राजनांदगांव, कांकेर, जगदलपुर, गरियाबंद, रायपुर, शिवरीनारायण, रायगढ़, जशपुर, अंबिकापुर से होते हुए यह यात्रा आगे बढ़ेगी।

भगवान राम का छत्तीसगढ़ में ननिहाल

रायपुर के चंद्रखुरी में श्री राम की माता कौशल्या की जन्मस्थली है। राजधानी से 25 किलोमीटर दूर स्थित चंद्रखुरी गांव में देश का एकमात्र माता कौशल्या मंदिर है। मान्यता है कि कौशल प्रदेश में माता कौशल्या का जन्म हुआ था। रामायणकाल में छत्तीसगढ़ ही कौशल प्रदेश के नाम से जाना जाता था। जिस जगह पर वर्तमान में माता कौशल्या का मंदिर है, उसी गांव में उनका जन्म हुआ था। मान्यता है कि भगवान श्रीराम-सीता ने अपने वनवास काल के 14 सालों में लगभग 13 साल छत्तीसगढ़ में बिताए थे।

[metaslider id="122584"]
[metaslider id="347522"]