कुपोषण होगा दूर, मुनगे की पत्तियों ने खोला रोजगार का रास्ता

रायपुर 26 फ़रवरी (वेदांत समाचार)। कोरोना काल में औषधीय और पोषक तत्वों की मांग बढ़ने से रोजगार के नए रास्ते खुल रहे हैं। प्रदेश में मुनगा (सहजन) की पत्तियों ने रोजगार के लिए नई उम्मीद जगाई है। मैकेनिकल इंजीनियरिंग कर चुके रायपुर के 30 वर्षीय युवक सुधांशु नाफडे ने मुनगे की पत्तियों से परंपरागत तरीके से मुनगा पाउडर, मुनगे के बीज का तेल, मुनगे की टेबलेट, एनर्जी बार, कैप्सूल आदि बनाया, जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ बच्चों, किशोरियों, महिलाओं व अन्य लोगों के कुपोषण को दूर करेगा।

उत्पादों का नाम रखा मैजिक मोरिंगा

इस स्टार्टअप को स्थापित करने के लिए सुधांशु ने अपने उत्पादों को मैजिक मोरिंगा नाम दिया है। इससे साल भर में ही 250 किसान प्रत्यक्ष रूप से जुड़ गए हैं। ये किसान सुधांशु को मुनगा की पत्तियां बेचकर मुनाफा कमा रहे हैं। इनकी पत्तियों से बने उत्पादों को बाजार में उतारने के लिए सुधांशु ने अपने साथ 20 अन्य लोगों को भी जोड़ लिया है। इससे बनी चीजें घर-घर तक पहुंच पा रही हैं। सुधांशु ने बताया कि कोरोना के समय इंटरनेट मीडिया से उत्पादों की आनलाइन मार्केटिंग की, इसमें अच्छा रिस्पांस मिला। पिछले साल छह लाख रुपये की कमाई हुई।

इंजीनियर ने ऐसे सीखी फूड टेक्नोलाजी

सुधांशु रायपुर के अवंति विहार निवासी किसान और फूड टेक्नालाजिस्ट रजनीश अवस्थी से मुनगे की पत्तियों से बनने वाली चीजों के बारे में बारीकी से प्रशिक्षण लिया। इसके बाद 20 लोगों के साथ मुनगे की पत्तियों की प्रोसेसिंग कर कई उत्पाद बनाए। रजनीश अवस्थी कहते हैं कि सुधांशु की लगन और मेहनत ने उन्हें अब पहचान दे दी है। एक एकड़ में किसान अकेले 12सौ से 15सौ किलो मुनगे की पत्ती का उत्पादन करते हैं।

एक एकड़ में किसान कमा रहे एक से डेढ़ लाख रुपये

70 से 80 रुपये प्रति किलो की दर से रायपुर के एग्रीकान समिति के सदस्य इसे खरीदते हैं। किसान प्रति एकड़ एक से डेढ़ लाख रुपये तक कमाई कर रहा है। अभी किसानों की पत्तियां दूसरे राज्यों और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जर्मनी, फ्रांस, अमेरिका जैसे बड़े देशों की कंपनियों को निर्यात हो रही हैं। जब यहीं प्रोसेसिंग हो जाएगी तो इससे किसानों को और मुनाफा मिलेगा। प्रदेश में 400 किसान 66 टन मुनगे की पत्तियों का हर साल उत्पादन कर रहे हैं।

युवा उद्यमी को सरकार करेगी मदद

अपने इस स्टार्टअप को आगे बढ़ाने के लिए सुधांशु ने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के एग्री-बिजनेस इन्क्यूबेशन सेंटर की मदद ली। इसके माध्यम से राष्ट्रीय कृषि योजना-रफ्तार के उद्भव योजना के तहत सुधांशु को मुनगा के उत्पाद को बढ़ाने और किसानों को भी प्रोसेसिंग से अवगत कराकर अन्य उत्पाद बनाने के लिए 25 लाख रुपये का अनुदान स्वीकृत हुआ है। यह राशि मिलते ही सुधांशु मशीन के माध्यम से मुनगे की पत्तियों से पोषक चीजें बनाएंगे।

कुपोषण दूर करने में कारगर

आयुर्वेद कालेज रायपुर के प्राध्यापक डा. संजय शुक्ला कहते हैं कि मुनगे की हरी और सूखी पत्तियों में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटैशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन-ए, सी और बी काम्प्लेक्स भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसके पेड़ की जड़, छाल, पत्ती, फूल और फल, बीज तक औषधीय गुण से भरपूर होते हैं। इसमें कैंसर रोधी तत्व होते हैं। 100 ग्राम मुनगा की पत्तियों में पांच ग्लास दूध के बराबर कैल्शियम होता है। ऐसे में सुधांशु का यह स्टार्टअप आगे बढ़ सकता है।