पारिवारिक कर्तव्यों को निभाना पति-पत्नी की संयुक्त जवाबदारी : डॉ. किरणमयी नायक

रायपुर 22 फ़रवरी (वेदांत समाचार)। राज्य महिला आयोग अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक तथा सदस्य डॉ अनिता रावटे, की उपस्थिति में मंगलवार को राज्य महिला आयोग कार्यालय में महिलाओं से संबंधित शिकायतों के निराकरण के लिए सुनवाई हुई। आज जनसुनवाई में 25 प्रकरण में 20 पक्षकार उपस्थित हुए तथा 2 प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया शेष अन्य प्रकरण को आगामी सुनवाई में रखा गया।

आज प्रस्तुत एक प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि अनावेदक पति ने शादी के बाद बेटा नही हुआ कहकर मुझे तंग करते थे। अभी 9 माह की गर्भवती हूँ और पति कहता है कि दोनों बच्चे मेरे नही है,पिता के नाम मे किसी का भी नाम लिखवा लो। अनावेदक ने आयोग के समक्ष कहा कि आवेदिका मेरे माता-पिता को कुछ कहती थी तो मैं गुस्से में बोल दिया।उन्होंने स्वीकार किया कि दोनों बच्चे मेरे है। चूकि अभी आवेदिका 9 माह की गर्भवती है होने वाले बच्चे के हित मे काउंसलिंग कराया गया और पति को समझाइश दिया गया कि पारिवारिक कर्तव्यों का निष्ठापूर्वक वहन करना पति-पत्नी की संयुक्त जवाबदारी है। पत्नी की डिलीवरी और इलाज का खर्च पति स्वयं वहन करे ।

एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि उसके पति की मृत्यु के बाद उनके दोनो बड़े भाईयों ने सम्पत्ति के बंटवारे में मेरा हक नही दिया है।मकान का बंटवारा भी बदल दिया है। जिसपर अनावेदक ने बताया कि मृतक अपने हिस्से की जमीन बेच चुका है और मकान का बंटवारा पटवारी से कराया है। आयोग में दोनो पक्षो को प्रकरण के निराकरण के लिए सम्बंधित समस्त दस्तावेज लेकर आगामी सुनवाई में लेकर आने का निर्देश दिया गया।

इसी तरह एक अन्य प्रकरण में बैंक में कार्य के दौरान होने वाली परेशानियों के मामले में दोनों पक्षों को समझाइश दिया गया कि अपना- अपना कथन दस्तावेज के साथ आयोग में जमा करनें कहा गया।अपने पक्ष या समर्थन में रीजनल शाखा के किसी भी कर्मचारी या अधिकारी का नाम दे सकते है ताकि प्रकरण का निराकरण कर सके।

एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने शासकीय अधिकारियों एवं प्लेसमेंट एजेंसी अधिकारी के विरुद्ध शिकायत किया है, जिसमे आयोग ने दोनो पक्षो को विस्तार से सुना। प्रकरण जल जीवन मिशन के अंतर्गत राज्यस्तरीय प्रबंधन इकाई (spmu) के तहत टेंडर में आने पर कॉल मी सर्विस प्लेसमेंट एजेंसी नियुक्त किया गया था। इन्ही शर्तों के अधीन प्लेसमेंट एजेंसी ने आवेदिका को एक वर्ष के लिए नियुक्त किया था। इसकी सूचना अनावेदक ने शेष अनावेदकगणो को सूचित किया था जिसपर शेष अनावेदक ने बताया कि आवेदिका के पास डिग्री थी परंतु अनुभव प्रमाण पत्र नही था इसलिए आवेदिका की सेवा नही लिया जा सकता था। इसकी जानकारी कॉल मी सर्विस प्लेसमेंट एजेंसी को दे दिया गया था। चूकि दोनों पक्षों के मामले में विभिन्न शासकीय दस्तावेज बहुत ज्यादा है। अतः दोनों पक्षों को समझाइश दिया गया कि समस्त दस्तावेज तैयार कर आगामी सुनवाई में उपस्थित हो जिससे प्रकरण का निराकरण किया जा सके। किसी महिला को नौकरी की नियुक्ति के बाद वेतन न देना एक गंभीर प्रकरण है।