गौरव और संस्कृति की पहचान है मातृभाषा – डॉ. संजय गुप्ता

⭕ अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के उपलक्ष्य में इंडस पब्लिक स्कूल दीपका में हुआ संगोष्ठी का आयोजन ।

⭕ विद्यार्थियों ने जाना मातृभाषा का महत्व एवं दूर की अपनी जिज्ञासाएँ ।

⭕ मातृभाषा के बारे में सोचने से पहले मातृभाषा में सोचना शुरू कर दें मातृभाषा समृध्द हो जायेगी, मातृभाषा बनकर नहीं रहेगी-डॉ. संजय गुप्ता

इस दिवस को मनाने का उद्येश्य विश्व में भाषायी और सांस्कृतिक विविधता और बहुभाषिता को बढ़ावा देना है। इस संदर्भ में भारत की भूमिका और भी अधिक मायने रखती है, क्योंकि भारत एक बहुभाषी राष्ट्र है, इसके नाते भारत का उत्तरदायित्व मातृभाषाओं के प्रति कहीं अधिक मायने रखता है। भारत में द्विभाषिकता एवं बहुभाषिकता का प्रचलन है। भारत में भाषाओं को लेकर बात विवाद होते चले आये हैं और चलते भी रहते हैं। खासतौर पर भाषायी द्वंद राजभाषा हिंदी और देश की अन्य शेष भाषाओं के बीच बना ही रहता है। गैर हिंदी भाषीयों का हमेशा इल्जाम रहता है कि उन पर हिंदी थोपी जाती है। वहीं हिंदी भाषी कभी भी देश की अन्य भाषाओं को सीखने के प्रति उत्सुक रहते हैं न ही कोई संवेदनशीलता रखते हैं कि भारतीय भाषाओं के बीच लोगों द्वारा स्थापित कर दिया गया वैम्नस्य समाप्त हो सके। भाषाओं को लेकर भारत में जो माहौल है उसके समाधान के लिए अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस जैसे विषय बहुत अधिक प्रासंगिक होते हैं। ऐसे दिवसों का आयोजन लोगों में अपनी व अन्य जनों की मातृ भाषा के प्रति सम्मान और प्रेम की भावना उत्प्रेरित करते हैं ।


दीपका स्थित इंडस पब्लिक स्कूल में अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के उपलक्ष्य में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया । इस संगोष्ठी में विद्यालय के हिंदी विभाग प्रमुख श्री प्रहलाद प्रधान ने विद्यार्थियों सहित विद्यालय के शैक्षणिक स्टॉफ का भी मातृभाषा हिन्दी के विषय में जिज्ञासाओं को शांत किया । उन्होंने बताया कि हिंदी बहुत ही प्यारी और समृध्द भाषा है । इसका व्याकरण अपने आप में संपूर्ण है और हिंदी भाषा का विशाल शब्दकोष है । हमारी हिंदी भाषा पूर्णतः परिपक्व व संपूर्ण है । आज अन्य देशों के नागरिक भी हिंदी भाषा सीखने व जानने को लालायित रहते हैं । विद्यार्थियों ने विभिन्न प्रश्नों के माध्यम से हिंदी भाषा के प्रति अपनी शंकाओं को प्रश्नों के माध्यम से दूर किया । इस कार्यशाला को और रोचक बनाने हेतु चुटकुले, पहेलियाँ, तात्कालिक भाषण, कविता का आयोजन किया गया । पूरी कार्यशाला में विद्यार्थियों एवं शिक्षकों ने पूरी तल्लीनता से भागीदारी की ।


विद्यालय के प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता मातृभाषा वह भाषा है जो मनुष्य बचपन से मृत्यु तक बोलता है । घर परिवार में बोली जाने वाली भाषा ही हमारी मातृभाषा है । भाषा संप्रेषण का एक माध्यम होती है जिसके द्वारा हम अपने विचारों का आदान प्रदान करते है और अपनी मन की बात किस के समक्ष रखते है । जो शब्द रूप में सिर्फ अभिव्यक्त ही नहीं बल्कि भाव भी स्पष्ट करती है । एक नन्हा सा बालक अपनी मुख से वही भाषा बोलता है जो उसके घर परिवार में बड़े लोग बोलते है । इस भाषा का प्रयोग करके वह अपने विचारों को अपने माता पिता को अपनी मुख से उच्चारण करे बताता है । उसका भाषा ज्ञान सीमित होता जाता है । भाषा ज्ञान की प्राप्ति का वह मार्ग है जिसके जरिये व्यक्ति दैनिक जीवन मे प्रयोग करके सफलता प्राप्त करता है । भाषा के बिना मनुष्य जानवर के समान है जो देख तो सकता है पर अपने अन्दर छुपी भावनाओं को कह नही सकता ।

[metaslider id="122584"]
[metaslider id="347522"]