KORBA:बैंक से रुपये निकाल कर लौट रहे ग्रामीण से 40 हजार की उठाइगीरी

कोरबा। एक बार फिर उठाइगीर सिर उठाने लगे हैं। बैंक से रुपये निकलवा कर सायकल में घर लौट रहे एक बुजूर्ग के साईकिल के हैंडल में लटके थैले से 40 हजार नगद की उठाईगिरी कर बदमाश फरार हो गए। बाइक में पहुंचे दो बदमाश सीसीटीवी कैमरे में उठाईगिरी करते कैद हो गए हैं। एक बदमाश हेलमेट लगा रखा है, तो दूसरा मास्क पहना हुआ है।

बाल्को कालोनी में संचालित का-आपरेटिव बैंक में मंगलवार की सुबह करीब 11.30 बजे नेहरू नगर निवासी असीम कुमार चंद्रा 68 वर्ष रूपये निकालने पहुंचे। 49 हजार रुपये बैंक से निकालने के बाद उन्होंने नौ हजार जेब में रख लिया और 40 हजार को थैले में डाल अपने साईकिल की हैंडल में लटका दिया। बैंक से निकल कर बुजूर्ग सिविक सेंटर शापिंग कांप्लेक्स में संचालित एक होटल के पीछे साईकिल खड़ा कर किराना दुकान में सामान खरीदने चले गए। इस दौरान करीब पौने बारह बजे बाइक में सवार दो बदमाश वहां पहुंचे और झोला में रखे 40 हजार नगद निकाल कर रफूचक्कर हो गए। दुकान से वापस लौटने पर बुजूर्ग ने देखा कि झोले से रूपये गायब है।

उसने आसपास के लोगों को घटना की जानकारी देते हुए बाल्को थाना में भी सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने आसपास में लगे सीसीटीवी कैमरा का फुटेज खंगाला तो दो बदमाश झोला से रूपये निकालते नजर आए। एक बदमाश गाड़ी में ही हेलमेट लगा कर बैठा रहा और दूसरा उतर कर झोले से रूपये निकाला। दूसरा बदमाश मास्क पहना था। पुलिस का मानना है कि आरोपित बाहर के हैं और बैंक के आसपास ही अपना शिकार ढूंढ रहे थे। रेकी करते हुए सिविक सेंटर तक पहुंचे और जैसे ही मौका मिला, हाथ साफ कर दिए। पुलिस का यह भी दावा है कि सीसीटीवी फुटेज के आधार पर जल्द ही बदमाशों तक पहुंच जाएंगे। बहरहाल पीड़ित की रिपोर्ट पर उठाईगिरी का अपराध पंजीबद्ध कर लिया गया है। सीसीटीवी से बाइक का नंबर देखने का प्रयास किया जा रहा। इसके अलावा साइबर सेल भी मदद ली जा रही, ताकि पता चल सके कि घटना के वक्त उस लोकेशन में कितने मोबाइल एक्टीवेट थे और उनमें संदिग्ध कौन सा है।

वारदात के बाद कुछ दिन ही निगरानी करती है पुलिस

बैंक के अंदर उठाईगिर काम के बहाने से मंडराते रहते हैं और उनकी निगाह रूपये निकालने वालों पर टिकी रहती है। खास कर बदमाश बुजूर्ग, महिला व कमजोर लोगों को अपना निशाना बनाते हैं क्योंकि इन्हें शिकार बनाना आसान होता है। इस तरह की वारदात होने के बाद पुलिस सिविल ड्रेस कुछ दिन तो बैंक में सक्रिय उठाईगिरों की निगरानी तो करती है, पर मामला ठंडा पड़ते ही स्थिति जस की तस हो जाती है। उठाईगिरों को भी इसी वक्त का इंतजार रहता है, ताकि फिर से वे अपना काम कर सकें।