रायपुर,13 फरवरी (वेदांत समाचार)। भारत रत्न , स्वर कोकिला स्व. लता मंगेशकर जी की स्मृति में कन्नौजिया श्रीवास समाज साहित्यिक मंच छत्तीसगढ़ की ओर से 10 वीं काव्य गोष्ठी आभाषी पटल पर दिनांक 12 फरवरी 2022 दिन शानिवार को संपन्न की गई । कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विनय कुमार पाठक (राष्ट्रीय अध्यक्ष — अखिल भारतीय विकलांग चेतना परिषद एवं पूर्व अध्यक्ष — राजभाषा आयोग छत्तीसगढ़ शासन एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में कन्हैया लाल श्रीवास (सेवानिवृत ओव्हरमेन एस० ई० सी० एल० अनूपपुर ) उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कन्नौजिया श्रीवास समाज साहित्यिक मंच छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष राम रतन श्रीवास “राधे राधे” के द्वारा की गई ।
कार्यक्रम के स्वागत की कड़ी का संचालन मंच के महासचिव डॉ. हितेन्द्र कुमार श्रीवास के द्वारा किया गया । कार्यक्रम की शुरुआत मेनका श्रीवास (झरना) के सुमधुर सरस्वती वंदना से की गई । मुख्य अतिथि विनय कुमार पाठक ने अपने उद्बोधन में — कन्नौजिया श्रीवास समाज साहित्यिक मंच छत्तीसगढ़ की सराहना करते हुए कहा” यह मंच शिक्षा, साहित्य, कला, परंपरा, सभ्यता के प्रति जागरूकता फैलाने से समाज और देश को आगे बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगा”। कविता क्या है ? संगीत क्या है ? इस पर संक्षिप्त विवरण दिया । कोई अगर सात स्वरों में से चार स्वर को भी साध ले तो वह इनके रहस्य को समझ सकता है। स्व. लता जी को इसका मिशाल बताया । पूरे भारतवर्ष के लिए लगभग आठ दशक से सुर संगीत को किस तरह साधती रहीं इसको समझाया । लता लता की तरह स्वर के माध्यम से ऊंचाईयों के उच्च शिखर तक गईं । विशिष्ट अतिथि कन्हैया लाल श्रीवास जी ने बड़े खुले विचार से मंच का समर्थन एवं उत्साहवर्धन करते हुए सभी साहित्यकारों को बधाई प्रेषित किया मैं गदगद हूँ कि मुझे ऐसा अवसर प्राप्त हुआ है और स्व. लता जी को अपने लिए संगीत के क्षेत्र में प्रेरणा स्रोत बताया साथ ही श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए संगीत की महत्ता को अपने विचारों से जोड़ते हुए बताया । उद्बोधन की इसी कड़ी में मंच के अध्यक्ष राम रतन श्रीवास “राधे राधे” ने लता जी पर प्रकाश डालते हुए उनके जीवन के प्रमुख अंगों का सारगर्भित उल्लेख करते हुए कहा लता दीदी का जन्म 28 सितम्बर 1929 को दिन शनिवार इंदौर में एवं मृत्यु वसंत पंचमी के दूसरे दिन 6 फरवरी 2022 को होना बताया । भारत रत्न, स्वर कोकिला दीदी ने राष्ट्रीय , अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त की । इनके पिता श्री दीनदयाल मंगेशकर का देहावसान अकस्मात् ही हो गया था उस समय दीदी की आयु मात्र 13 वर्ष की थी। परिवार की जिम्मेदारी निभाते हुए संगीत की शिक्षा उस्ताद अली,खान एवं शर्मा जी के सानिद्ध में प्राप्त की । लता जी का महत्वपूर्ण योगदान फिल्मी पार्श्वगायन, भजन एवं देशभक्ति गीत के माध्यम से रही । सुरीला आवाज होने के कारण फिल्म संगीत को उच्च शिखर तक ले गयीं एवं हिन्दी फिल्म जगत को हरा भरा किया । इसके अलावा उन्होंने 20 भाषाओं में लगभग 30 हजार से भी ज्यादा गाने गाये । जिसकी बराबरी करना मुश्किल है। पूरी दुनिया उनकी आवाज की कायल आज भी है। महत्वपूर्ण बात यह थी की गीत गाते समय उनके पैरो में चरण पादुका कभी नही देखी गयी ।ये सरस्वती पुत्री वसंत पंचमी के दूसरे दिन पंचतत्व में विलिन हो गयी या यूँ कहें माँ सरस्वती में समा गयी ।
कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए दूसरी कड़ी में काव्य गोष्ठी का संचालन मंच संस्थापक एवं संयोजक इंजीनियर रमाकांत श्रीवास (कोरबा) ने किया । उन्होंने इस मंच के 10 महीने के सफर को सफलतापूर्वक वर्णन किया एवं क्रमबद्ध रुप से सभी साहित्यकारों को अवसर प्रदान कर मनोबल बढ़ाया । कार्यक्रम की शोभा जिनकी आमद से ही हो जाती है ऐसे महान विभूतियों में वरिष्ठ साहित्यकार एवं पत्रकार (मुंबई) से विनय शर्मा “दीप” श्रेष्ठ कर्मवीर सम्मान प्राप्त ने समाज के लिए कहा — साहित्य सामाज उत्थान के लिए हम मिलकर प्रयास करेंगे और लता जी पर सवैया छंद से श्रद्धा सुमन अर्पित किये — “वतन की शान थी दीदी वतन की आन थी दीदी” की शानदार प्रस्तुति से महफ़िल में शमां बांधे रखा तालियों की गड़गड़ाहट से मंच गूंज उठा। तुलेश्वर कुमार सेन (राजनांदगाँव) मुख्य मंत्री गौरव अलंकारण सम्मान से सम्मानित ने काव्यांजलि — “तोर पाँव परन दाई तोला माथ नवावन वो देश प्रेम की लबरेज पंक्ति से मंच में चार चांद लग गए। इसके उपरांत लता श्रीवास (सक्ती) के द्वारा सुरों की मल्लिका लता मंगेशकर जी की याद में उन्ही के गीत भेंट की — ईक प्यार का नगमा है । इसी क्रम में सुधीर मानिकपुरी (कोटा) द्वारा काव्यांजलि महिलाओं को समर्पित रही — पुकार सुनो अब नारी की । रविशंकर श्रीवास (मस्तुरी) के द्वारा गीत — तुम मोहब्बत को भूलकर भी भूल से भूल मत जाना , की जानदार प्रस्तुति दी गई। संतोष कुमार श्रीवास (कोरबा) के द्वारा — बांट मत जोहना आ ना मन मोहना की शानदार प्रस्तुति दी गई । डॉक्टर हितेन्द्र श्रीवास द्वारा लता दीदी को समर्पित घनाक्षरी — सीधी साधी भोली भाली लता थी बड़ी निराली। इसके उपरांत घनश्याम श्रीवास “गुङ्डा” (हरदीबाजार) के द्वारा — मुझे चाहत नही तेरी जवानी पे की जबरदस्त प्रस्तुति दी गयी । मंच की उपाध्यक्ष उषा श्रीवास (मस्तुरी ) के द्वारा परिणय बेला में पिता पुत्री के संवाद को गीत में प्रस्तुत किया गया — बेटी तेरे हिस्से का सिंदूर मांगकर मैं लाया हूँ । अंत में मंच के अध्यक्ष राम रतन श्रीवास ने गीत के माध्यम से लता दीदी को श्रद्धा सुमन अर्पित किये — “भारत के लता दीदी को भारत रत्न से सम्मान किया” काव्यांजलि प्रस्तुत किये। रामाकांत श्रीवास ने सभी अतिथियों , साहित्यकारों , दर्शकों का आभार व्यक्त कर खुशनुमा माहौल में कार्यक्रम की समाप्ति की ।
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