कानून मंत्री शांति धारीवाल ने कहा, अलवर मामले की जांच में इच्छुक नहीं है सीबीआई

राजस्थान (Rajasthan) के अलवर (Alwar) में एक मूक बधिर 15 वर्षीय नाबालिग लड़की (15 Year Minor Girl) के साथ कथित रूप से रेप के मामले में एक बड़ी खबर सामने आई है. पिछले महीने राजस्थान के राजनीति में सियासी गर्मी बढ़ाने वाले इस मामले में की जांच सीबीआई (CBI) नहीं करेगी. बता दें कि अलवर के इस मामले में सरकार और पुलिस प्रशासन की काफी किरकिरी होने के बाद राजस्थान सरकार (Rajasthan government) ने इसकी जांच के लिए सीबीआई को सिफारिश की थी. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक राज्य के कानून मंत्री शांति धारीवाल (Law Minister Shanti Dhariwal) ने बताया है कि सीबीआई ने राज्य सरकार को इस मामले में अवगत कराया है कि वह इस मामले को जांच के लिए नहीं उठाएगी. हालांकि इस मामले के एक महीने बीत जाने के बाद भी राजस्थान पुलिस (Rajasthan police) इसमें जांच कर रही है.

बता दें कि इस मामले को लेकर अशोक गहलोत सरकार (Ashok Gehlot government) पर बीजेपी काफी समय से हमलावर है. वहीं अलवर कांड सामने आने के बाद राज्य की कानून व्यवस्था पर भी सवाल उठाए जाने लगे थे ऐसे में कांग्रेस सरकार ने 16 जनवरी को इस मामले में सीबीआई जांच की सिफारिश की थी.

अलवर पुलिस ने बताया दुर्घटना का मामला

मालूम हो कि अलवर में 12 जनवरी की रात तिजारा फाटक पुलिया पर 14 साल की नाबालिग बच्ची लहूलुहान हालत में मिली थी जिसके बाद उसे गंभीर हालत में उसे जयपुर के जेके लॉन अस्पताल में रेफर कर दिया गया था जहां वह बीते एक महीने से उपचाराधीन है. पुलिस ने जांच और मेडिकल रिपोर्ट के हवाले से बताया था कि 15 वर्षीय बालिका के साथ हिट एंड रन का मामला है जिसमें पुलिस ने एक जोमैटो डिलीवरी बॉय को हिरासत में लिया था जिसके बाद घटना में एक्सीडेंट के तथ्यों पर पुलिस आगे बढ़ रही थी.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जोमैटो डिलीवरी बॉय की बाइक से ही नाबालिग को टक्कर लगने की बात भी कबूली थी. पुलिस के मुताबिक बाइक से लड़की को टक्कर लगने के समय राजस्थान पब्लिक ट्रांसपोर्ट की एक बस के आगे से गुजरने के कारण यह वाकया सीसीटीवी में कैद नहीं हो सका था.

मजिस्ट्रेट के सामने नहीं हुए हैं अभी लड़की के बयान

वहीं इस मामले में लड़की का इलाज करने वाले डॉक्टरों ने भी रिपोर्ट के आधार पर कहा था कि उन्हें यौन उत्पीड़न होने के सबूत नहीं मिले हैं. हालांकि, परिवार की तरफ से लगातार बच्ची के साथ गैंगरेप के आरोप लगाए जाते रहे हैं. लड़की के पिता ने भी हाल में पुलिस की एक्सीडेंट की थ्योरी पर सवालिया निशान लगाए थे.

बता दें कि अभी तक लड़की के मजिस्ट्रेट के समक्ष सीआरपीसी की धारा 164 के तहत बयान भी लंबित है. मजिस्ट्रेट ने इसमें एक विशेष बोर्ड को यह निर्धारित करने के लिए निर्देशित किया था कि क्या लड़की, जिसमें सीखने की अक्षमता और साथ ही बोलने की अक्षमता है, वह गवाही देने के लिए पर्याप्त सक्षम है या नहीं इसकी जानकारी दी जाए.

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