उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के विधानसभा चुनाव (UP Election 2022) में लड़ाई दिलचस्प होती जा रही है. जहां बात करते हैं उन्नाव जिले (Unnao) की, कहा जाता है कि दलित वोटर सियासत में बड़ा मायने रखते है. इसके साथ ही यह वोटर बसपा यानी कि मायावती (Mayawati) का एकदम परफेक्ट माना जाता है. दलित का वोट हमेशा बसपा का ही जातीय आंकड़ों में माना जाता है. ऐसे में जब विधानसभा दलित बाहुल्य हो और एक बार भी बसपा का प्रत्याशी ना जीता हो तो इस विधानसभा पर चर्चा करना लाजमी हो जाता है/ जी हां हम बात कर रहे हैं मखदूम शाह सफी की दरगाह के कारण देश-विदेश में चर्चित उन्नाव जिले की सफीपुर विधानसभा सीट (Safipur Assembly Election 2022) की की जहां पर वोटर दलित बाहुल्य हैं. लेकिन आज तक बसपा का खाता नहीं खुला है.
दरअसल, राजनीतिक जानकारों के मुताबिक बसपा का खाता नहीं खुला हमेशा दूसरे रही है. ऐसे में दलित मतदाताओं की संख्याबल के आधार पर इस विधान सभा क्षेत्र को सुरक्षित श्रेणी में रखा गया है. इसके बावजूद इसके बसपा को इस विधान सभा क्षेत्र में कोई खास उपलब्धि नहीं मिली. आज तक बसपा यहां से एक बार भी नही जीत सकी है. हालांकि 1996 से अब तक बसपा चुनाव में नम्बर 2 के पोजिशन पर बनी रही आपको बताते चले कि 2 बार सरकार में शामिल होने के बाद भी सफीपुर में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में अपेक्षा के अनुरूप सुधार नहीं हुआ.
साल 1951 से 9162 तक रहा कांग्रेस का कब्जा
वहीं, साल 1969 में अनवार अहमद फिर 2015 में यहां से विधायक सुधीर रावत स्वास्थ्य मंत्री बने. यहां महिलाओं के लिए अलग अस्पताल की सुविधा नहीं मिल पाई. वहीं, अभी तक डिग्री कालेज भी नहीं खुल सका. चूंकि क्षेत्र के मतदाताओं ने कांग्रेस, लोकदल, जनता पार्टी, BJP और सपा को मौका दिया. लेकिन विकास, रोजगार, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाएं अपेक्षा के अनुसार पूरी नहीं हो पाईं. 1951 से 9162 तक कांग्रेस का कब्जा रहा. ऐसे में गोपीनाथ दीक्षित विधायक बने. मतदाताओं ने 1969 और 1974 में BKD पर भरोसा जताया और विधायक चुना. 1989 और 1991 में जनतादल के सुंदरलाल विधायक बने. वहीं 1993 और 1996 में जनता ने बीजेपी को भरोसा जताया.
सफीपुर विधानसभा सीट से BSP के उम्मीदवार राजेंद्र गौतम बनाए गए
बता दें कि, साल 2002 में शुरू हुआ सपा की जीत का सिलसिला 2012 के चुनाव में भी कायम रहा. ऐसे में साल 2017 में बीजेपी की जीत हुई और बंबालाल दिवाकर विधायक चुने गए. वहीं, BJP ने दोबारा बंबा लाल दिवाकर पर अपना भरोसा जताया है. हालांकि इस बार सफीपुर विधानसभा क्षेत्र से BSP के उम्मीदवार बनाए गए राजेंद्र गौतम मूलरूप से सदर तहसील के अकबरपुर दबौली गांव के रहने वाले हैं. पिता किसान थे. राजेंद्र ने 2007 में बसपा बूथ अध्यक्ष से अपना राजनीतिक कैरियर शुरू किया था. साल 2009 में सेक्टर अध्यक्ष बनाए गए. इसके बाद साल 2014 में विधानसभा क्षेत्र सचिव बनाया गया. जहां 2019 को लखनऊ मंडल के मुख्य सेक्टर प्रभारी की जिम्मेदारी मिली. फिलहाल अब बसपा ने विधानसभा चुनाव में सफीपुर से पार्टी प्रत्याशी बनाया है.
साल 2017 में BJP से उम्मीदवार बनाए गए थे बंबालाल दिवाकर
गौरतलब है कि साल 2017 में बीजेपी से उम्मीदवार बंबालाल दिवाकर पहली बार विधायक बने. इस दौरान उनका विदेश व देश में कई स्थानों पर चश्मा का बड़ा कारोबार है. ऐसे में 2017 से पहले वह एक्टिव राजनीति में नहीं रहे. फिर 2017 में जीत दर्ज करने के बाद बीजेपी ने इन पर दोबारा भरोसा जताया है.
जानिए साल 2017 विधानसभा चुनाव का परिणाम?
1- बंबा लाल भाजपा 84068 42.63 2- रामबरन बसपा 56832 28.82 3-सुधीर कुमार सपा 48506 24.60 जीत का अंतर– 27236
जानें क्या है विधानसभा क्षेत्र की खासियत?
बता दें कि नवाब आशफुद्दौला द्वारा निर्मित कराया गया इमामबाड़ा, देश-विदेश में विख्यात मखदूम शाह सफवी की मजार, कस्बा स्थित मोटेश्वर महादेव मंदिर, साहित्यकार भगवती चरण वर्मा, दशहरी, चौसा और सफेदा आम. ऐसे में सफीपुर विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदाता 334743, पुरुष-185645, महिला-149093, अन्य- 05, साक्षरता दर- 60 फीसदी
अब तक के विधायक सदस्य पार्टी
1- 1951 मोहनलाल कांग्रेस 2- 1957 शिवगोपाल निर्दलीय 3- 1962 गोपीनाथ दीक्षित कांग्रेस 4- 1967 बांगरमऊ में शामिल हो गई थी सफीपुर विधानसभा 5- 1969 अनवार अहमद भारतीय क्रांति दल 6- 1974 सुंदरलाल भारतीय क्रांति दल 7- 1977 सुंदरलाल जनता पार्टी 8- 1980 हरप्रसाद कांग्रेस 9- 1985 सुंदरलाल लोकदल 10- 1989 सुंदरलाल जनता दल 11- 1991 सुंदरलाल जनता दल 12- 1993 बाबूलाल भारतीय जनता पार्टी 13- 1996 बाबूलाल भारतीय जनता पार्टी 14- 2002 सुंदरलाल समाजवादी पार्टी 15- 2007 सुधीर कुमार समाजवादी पार्टी 16- 2012 सुधीर कुमार समाजवादी पार्टी 17- 2017 बम्बालाल दिवाकर। बीजेपी
जानिए क्या है अनुमानित जातीय समीकरण?
1- रावत 73 हजार 2- रैदास 67 हजार 3- ब्रह्मण 36 हजार 4- मुस्लिम 31 हजार 5- क्षत्रिय 22 हजार 6- वैश्य 16 हजार 7-लोधी 32 हजार 8- यादव 20 हजार
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