फिल्मफेयर अवॉर्ड (Filmfare Awards) बॉलीवुड के सबसे बड़े अवार्ड में से एक है. जिसे एक दिन पाने की इच्छा इंडस्ट्री के हर कलाकार के मन में हमेशा रहती है लेकिन लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) इस अवॉर्ड को लेने से इनकार कर दिया था और वो भी तब जब वो अपने करियर के शुरआती पड़ाव में थीं. साल 1958 में बिमल रॉय की फिल्म मधुमति को फिल्म फेयर अवॉर्ड के लिए 9 कैटेगरी के लिए नॉमिनेट किया गया था. जिसमें बेस्ट प्ले बैक फीमेल सिंगिंग के लिए लता मंगेश्कर का नाम शामिल था. लता के नाम का नॉमिनेशन मधुमती के गाने ‘आजा रे परदेसी’ के लिए था. इस फिल्म उनके द्वारा गाए गाने की खूब सराहना हुई और ये काफी बड़ी बात थी कि लता को पहली बार फिल्म फेयर अवॉर्ड मिलने वाला था लेकिन लता मंगेशकर ने ‘फिल्मफेयर’ की ट्रॉफी लेने से इंकार कर दिया था, जिसका कारण बेहद ही अजीब था.
फिल्म फेयर की ट्रॉफी से था परहेज
लता मंगेश्कर ने इस ट्रॉफी को लेने से इंकार इसीलिए किया था क्योंकि इन्हें बिना कपड़ों के ट्रॉफी (जो महिला के आकार की थी) होने से आपत्ति थी. उन्हें आयोजकों का ये कांसेप्ट बिल्कुल रास नहीं आया था और उन्होंने इस अवॉर्ड को लेने से मना कर दिया. कई लोगों को लता के फैसले से हैरानी हुई थी लेकिन बाद में फिल्मफेयर वालों ने उन्हें ये ट्रॉफी कपड़े से ढककर दी थी. ये मामला काफी टाइम तक सुर्खियों में रहा था. लता मंगेशकर ने 4 फिल्म फेयर अवॉर्ड जीते हैं.
पतली आवाज की वजह से झेल चुकी थी रिजेक्शन
लता मंगेशकर ने बीस से अधिक भाषाओं में 30 हज़ार से अधिक गाने गाए. 1991 में गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में बताया गया कि लता दुनिया भर में सबसे अधिक गाने रिकॉर्ड करने वाली सिंगर हैं. लता मंगेशकर की गायकी के दीवानों की संख्या लाखों में नहीं बल्कि करोड़ों में है और वाकई आधी सदी के अपने करियर में उनका कोई भी सानी नहीं रहा.
जबकि लता मंगेशकर को शुरू के वर्षों में काफ़ी संघर्ष करना पड़ा था.कई फ़िल्म निर्माताओं और संगीत निर्देशकों ने यह कहकर उन्हें गाने का मौक़ा देने से इनकार कर दिया कि उनकी आवाज़ पतली है.फिर म्यूजिक डायरेक्टर गुलाम हैदर ने लता मंगेशकर को फिल्म ‘मजबूर’ में ‘दिल मेरा तोड़ा, कहीं का ना छोड़ा’ गीत गाने को कहा जो काफी सराहा गया. लता मंगेशकर ने एक इंटरव्यू में गुलाम हैदर को अपना ‘गॉडफादर’ कहा था.
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