कांकेर, 2 फरवरी (वेदांत समाचार)। छत्तीसगढ़ में बच्चों को बेहतर शिक्षा और भरपेट भोजन देने का दावा किया जाता है लेकिन जमीनी सच्चाई कुछ और ही बयां कर रही है. इसकी प्रमुख वजह है कि प्रदेश में बाल मजदूरी पर अंकुश नहीं लग पा रहा है. आए दिन मजदूरी करते बच्चों को रेस्क्यू कर वापस लाया जा रहा है. तमिलनाडु के हिरोदा जिले से कांकेर जिले के भी 11 नाबालिग बच्चों को रेस्क्यू किया गया है. 11 नाबालिगों में 9 लड़कियां और 2 लड़के हैं. कांकेर जिले के आमाबेड़ा क्षेत्र के ये नाबालिग बच्चे 3 महीने पहले तमिलनाडु में काम की तलाश में गांव-घर छोड़ कर दलालों के जरिए मजदूरी करने दूसरे राज्य पलायन कर गए थे.
कांकेर बाल संरक्षण अधिकारी रीना लारिया ने बताया कि तमिलनाडु के हिरोदा जिला क्षेत्र से रेलवे पुलिस ने 11 नाबालिग बच्चों का रेस्क्यू कर महिला एवं बाल विकास विभाग और पुलिस सेलम (तमिलनाडु) के सुपुर्द कर दिया था. इस सभी बच्चों को आज कांकेर लाया गया. ये नाबालिग बच्चे जिले के आमाबेड़ा क्षेत्र से हैं. ये काम की तलाश में 3 महीने पहले कांकेर से कोंडागांव जिला, वहां से जगदलपुर होते हुए तमिलनाडु चले गए थे. विभाग लगातार बच्चों को ट्रेस कर रहा था. आखिरकर बच्चों को सफलतापूर्वक रेस्क्यू कर वापस लाया गया. अधिकारी ने बताया कि बच्चे पोल्ट्री फॉम में अंडा चुनने, ईंटा बनाने, बोर गाड़ी में काम करने गए थे. 300 रुपए रोजी का लालच देकर अज्ञात दलाल इन बच्चों को दूसरे राज्य ले गया था.
कांकेर जिले में आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र आमाबेड़ा, कोयलीबेड़ा, अन्तागढ़ से लगातार नाबालिग बच्चों को बहला-फुसला कर दलाल दूसरे राज्य काम करने ले जाते हैं. बच्चों के परिजन लापता की रिपोर्ट भी थाने में दर्ज नहीं कराते हैं. कांकेर महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा 2021 में 8 बच्चों को रेस्क्यू कर वापस लाया गया था. अधिकारी ने बताया कि लगातार अभियान चला कर नाबालिग बच्चों का रेस्क्यू किया जा रहा है.
नाबालिग बच्चों को कांकेर लाने में लग गए 3 महीने
कांकेर जिले से दूसरे राज्य बाल मजदूरी करने गए नाबालिग बच्चों को 3 महीने पहले ही रेस्क्यू किया जा चुका था लेकिन कागजी कार्यवाही और कोविडकाल में ट्रेनों की आवाजाही कम होने के चलते 3 महीने बाद तमिलनाडु के सेलम महिला एवं बाल विकास विभाग ने 11 नाबालिग बच्चों को कांकेर जिले के महिला एवं बाल विकास विभाग को सौंपा. बाल संरक्षण अधिकारी ने बताया कि बाल मजदूरी करने वाले बच्चों को लगातार ट्रेस किया जा रहा था.
5 साल सजा का प्रावधान
किशोर बाल संरक्षण अधिनियम 2015 में धारा 79 के तहत कोई भी व्यवसायी 14 साल से कम उम्र के बच्चों से काम करवाता है तो उसे बाल संरक्षण अधिनियम के तहत 5 साल की सजा और 1 लाख रुपए के जुर्माने का प्रावधान है. कानून के मुताबिक नाबालिग बच्चों से मजदूरी कराना बाल संरक्षण अधिनियम का विभिन्न धाराओं के तहत गंभीर अपराध है.
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