Uttarakhand assembly election 2022: कांग्रेस नेता हरीश रावत बोले- चुनावी राज्‍यों पर फोकस है केंद्र का बजट

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत (Harish Rawat) ने केंद्र सरकार के बजट  को चुनावी बजट करार दिया है. रावत ने केंद्र सरकार की ओर से आज पेश किए गए बजट पर टिप्‍पणी करते हुए कहा कि, इस साल का बजट ‘चुनावी बजट’ है. रावत ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, “इस साल के बजट को एक तरह से चुनावी राज्यों के हितों पर ध्यान केंद्रित करते हुए पेश किया गया है और यह पूरी तरह से चुनावी बजट है.”

हरीश रावत हरिद्वार में आगामी चुनाव के लिए घर-घर जाकर प्रचार करते नजर आए. गौरतलब है कि कांग्रेस नेता अनुपमा रावत को हरिद्वार ग्रामीण से मैदान में उतारा गया है. वह कांग्रेस चुनाव प्रचार समिति के प्रमुख और पूर्व सीएम हरीश रावत की बेटी हैं. हरिद्वार विधानसभा सीट से उनके पिता हरीश रावत ने 2017 का चुनाव लड़ा लेकिन वे हार गए थे. उत्तराखंड में 14 फरवरी को विधानसभा चुनाव होने हैं और वोटों की गिनती 10 मार्च को होगी.

यह बजट वृद्धि को सतत रूप से आगे बढ़ाएगा: सीतारमण

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में इस साल का बजट पेश किया. बजट पेश करने के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि इस साल का बजट वृद्धि को सतत रूप से आगे बढ़ाएगा. उन्होंने 2022-23 का बजट पेश करते हुए कहा कि आर्थिक पुनरुद्धार को सार्वजनिक निवेश और पूंजीगत व्यय से लाभ हुआ है. सीतारमण ने कहा कि समावेशी विकास, उत्पादकता वृद्धि, ऊर्जा बदलाव और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिये कदम विकास के चार स्तंभ हैं. उन्होंने कहा कि पीएम गति शक्ति मास्टर योजना वृद्धि के सात इंजन पर आधारित है.

उत्तराखंड में कई सीटों पर रोचक संघर्ष की संभावना

उत्तराखंड में ज्यादातर विधानसभा सीटों पर भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों के नामों की घोषणा होने के बाद कई सीटों पर रोचक संघर्ष की संभावना है. उत्तराखंड में किसी मुख्यमंत्री के दोबारा सरकार नहीं बना पाने के मिथक को तोड़ने के लिए आतुर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को खटीमा विधानसभा क्षेत्र से एक बार फिर कांग्रेस के कार्यवाहक अध्यक्ष भुवन चंद्र कापड़ी चुनौती दे रहे हैं. पिछले चुनावों में धामी ने कापड़ी को 2,709 मतों के अंतर से हराया था.

आम आदमी पार्टी (आप) के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एस. एस. कलेर की मौजूदगी खटीमा के चुनावी दंगल को और रोचक बना सकती है. हालांकि, राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि सीट को कब्जे में रखना इस बार मुख्यमंत्री के लिए इतना आसान नहीं होगा. 2002 में प्रदेश में पहले विधानसभा चुनावों में तत्कालीन मुख्यमंत्री और महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को छोड़कर कभी कोई मुख्यमंत्री जीत दर्ज नहीं कर पाया है.