0 आयुर्वेद में है दमा का दम निकालने की कारगर चिकित्सा – डॉ.नागेंद्र शर्मा।
कोरबा 24 जनवरी (वेदांत समाचार)।आयुर्वेद में आयुर्वेद के औषधीय गुणों को लेकर अनेक कथाओं का वर्णन है। प्राचीन काल में हमारे पूर्वज व ऋषि मुनि जड़ी बूटी एवं औषधियों के प्रयोग से स्वस्थ रहते हुए 100 वर्ष की आयु या उससे भी ज्यादा जीते थे। आज भी इन औषधियों का और आयुर्वेद के सिद्धांतो का अपनी जगह बहुत ही महत्व है जिसके परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं। दरअसल कोरबा के दारा सिंह कुलदीप विगत तीन वर्षों से श्वास-दमा जैसे गंभीर रोग से पीड़ित थे और बहुत जगह इलाज कराने के बाद भी उन्हें कोई लाभ नहीं मिल पा रहा था बल्कि उनकी परेशानी बढ़ती ही चली जा रही थी। ऐसे में वह अपनी चिकित्सा के लिये निहारिका स्थित पतंजलि चिकित्सालय के चिकित्सक डॉ. नागेंद्र नारायण शर्मा के पास पहुंचे जहां डॉ.नागेंद्र नारायण शर्मा ने उनकी नाड़ी, दोष, बलाबल एवं प्रकृति की जांच करते हुए उन्हें आयुर्वेदिक औषधियों को देते हुये कुछ परहेज करने को कहा, जिससे मात्र 10 दिनों की चिकित्सा से वे अपने आपको श्वास-दमा से संबंधित सभी तरह की परेशानी से मुक्त पा रहे हैं। पुनः दवा लेने पहुंचे दारा सिंह कुलदीप ने बताया कि उन्हें अब श्वास से संबंधित कोई परेशानी नहीं है न ही उनका दम भी फुल रहा है।अपने रोग की कठिनता के विषय में उन्होंने बताया कि पहले उन्हें नहाने के बाद तुरंत ऑक्सीजन व इन्हेलर लेना पड़ता था। घरवाले सभी तरह की तैयारी रखते थे पर अब डॉ. नागेंद्र नारायण शर्मा की चिकित्सा से आयुर्वेद औषधियों के माध्यम से मैं अपने आपको पूरी तरह से स्वस्थ महसूस कर रहा हुं, और अपने आपको रोगमुक्त पा रहा हूं । इस हेतु मैं उनका धन्यवाद देता हूं आभार व्यक्त करता हूं। और आयुर्वेद के इस चमत्कार को नमन करता हूं। आयुर्वेद चिकित्सक डॉ.नागेंद्र नारायण शर्मा ने कहा की आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति एक सम्पूर्ण चिकित्सा विज्ञान है। जिसमे “दोषाणाम मल मुक्तिनम” सिद्धांत के अनुसार दोषों को मल, मूत्र , पुरीष के द्वारा बाहर निकालना तथा दोषों की वृद्धि न होने देना के अनुसार चिकित्सा करने का विधान है। श्वास-दमा संबंधित इस रोग से ग्रसित रोगी पर इसी पद्धति को अपनाया गया और भगवान धनवंतरी की कृपा और आयुर्वेद का चमत्कार है की इतनी अल्पावधि में ऐसे कष्टसाध्य रोग से रोगी को लाभ मिला । श्वास-दमा रोग जिसके बारे में यह भ्रांति फैली हुई है की दमा दम के साथ ही जाता है अर्थात ठीक नही होता सर्वथा गलत है, अपितु परहेज के साथ आयुर्वेद औषधि का सेवन करने से दमा का ही दम निकल जाता है । दारा सिंह कुलदीप के माध्यम से यह बात चरितार्थ भी होती है।
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