इस साल के ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स (ALL India University Games) में हरियाणा के जैवलिन थ्रोअर विक्रांत मलिक (Vikrant Malik) ने गोल्ड मेडल जीता. नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) के साथी रहे विक्रांत के लिए जीत काफी अहम थी क्योंकि यह जीत उन्हें लंबे संघर्ष के बाद मिली है. विक्रांत के करियर के तीन अहम साल चोट के भेंट चढ़ गए लेकिन अब वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना जलवा दिखाने की जरूरत है. सालों पहले विक्रांत एक जूनियर मीट में नीरज चोपड़ा से मिले थे. तब नीरज ने विक्रांत को पंचकुला स्टेडियम में आकर ट्रेनिंग करने का न्योता दिया था लेकिन ऐसा हो नहीं पाया.
इस मीट के कुछ महीने बाद ही नीरज को अपनी कोहली में गहरी चोट लग गई थी. यह चोट काफी गंभीर थी जिससे न सिर्फ उनके ट्रेनिंग के प्लान पर पानी फिर गया बल्कि उनके करियर पर भी खतरा मंडरा रहा था. इस चोट के कारण ही वह तीन साल तक मैदान से दूर रहे थे. इन तीन सालों में वह अवसाद का शिकार हो गए थे लेकिन अब वह वापसी के लिए तैयार हैं.
चोट के कारण तीन साल अवसाद में रहे विक्रांत
चोट इतनी गहरी थी कि विक्रांत उस हाथ से गिलास तक नहीं उठा पाते थे न ही कोई और काम कर पाते थे. विक्रांत ने अपनी चोट के कई डॉक्टर्स को दिखाई लेकिन फायदा नहीं हुआ. सभी ने उन्हें सलाह दी कि वह जैवलिन छोड़कर एथलेटिक्स की ओर ध्यान दें लेकिन व्रिक्रांत इसके लिए तैयार नहीं थे. उनके लिए जैवलिन ही सबुकछ था. वह अपने करियर को लेकर बहुत परेशान रहते थे और इसी वजह से उस समय में उनका वजन 10 किलो कम हो गया. इस मुश्किल समय में उनका साथ दिया उनके पिता राजेंद्र मलिक ने. विक्रांत के पिता सेना से रिटायर थे और खुद एक जैवलिन थ्रोअर रह चुके थे. उनके करियर का अंत भी इंजरी की वजह से ही हुआ था. और वह हरगिज नहीं चाहते थे कि बेटे के साथ भी ऐसा ही हो. वह विक्रांत को ट्रेनिंग पर फिटनेस पर काम करने के लिए प्रेरित करते रहे.
मलिक की नजर अब एशियन गेम्स पर
मलिक अपनी वापसी को लेकर काफी बेताब थे जैसे ही उन्हें पता चला कि वह बाजू को स्ट्रेच कर पा रहे हैं वह गांव के मैदान पर पहुंच गए. तीन साल बाद उनका पहला थ्रो मात्र 30 मीटर था. हालांकि उन्हें खुशी थी कि वह ऐसा कर से. साल 2017 में उन्होंने प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेना शुरू किया. वह फिलहाल एशियन गेम्स के लिए तैयारी कर रहे हैं जहां उनका लक्ष्य 85 मीटर का डिस्टेंस कवर करना है.
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