नई दिल्ली 19 जनवरी (वेदांत समाचार)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (आईपीपीबी) को इसके शुभारंभ के समय देश में वित्तीय समावेशन की सबसे बड़ी पहल कहा था। यह एक ‘डिजिटल-फर्स्ट बैंक’ है, जिसे भारत सरकार के दूरसंचार मंत्रालय के तहत भारतीय डाक के व्यापक भौतिक वितरण नेटवर्क की पटरियों पर स्थापित किया गया है। इसने अपनी स्थापना से ही डिजिटल बैंकिंग के माध्यम से अपने वित्तीय समावेशन लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में प्रमुख उपलब्धि की घोषणा की है।
आईपीपीबी ने यह घोषणा की है कि उसने अपने तीन वर्ष के संचालन में पांच करोड़ ग्राहक आधार के स्तर को पार कर लिया है और वह देश में तेजी से बढ़ते हुए डिजिटल भुगतान बैंकों में शामिल हो गया है। आईपीपीबी ने लगभग 1.47 लाख डोरस्टेप बैंकिंग सेवा प्रदाताओं की मदद से 1.36 लाख डाकघरों में (इनमें से 1.20 लाख ग्रामीण डाकघरों में) डिजिटल और पेपरलेस मोड में ये पांच करोड़ खाते खोले हैं। इससे आईपीपीबी ने 2,80,000 डाकघर कर्मचारियों की ताकत का लाभ उठाते हुए वित्तीय रूप से जागरूक और सशक्त ग्राहक आधार बनाकर दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम अर्जित किया है।
आईपीपीबी ने यह भी कहा कि उसने एनपीसीआई, आरबीआई और यूआईडीएआई की इंटरऑपरेबल पेमेंट्स एंड सेटलमेंट सिस्टम्स के माध्यम से जमीनी स्तर पर डिजिटल बैंकिंग को अपनाया है और यह 13 से अधिक भाषाओं में डिजिटल बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध करा रहा है। दिलचस्प बात यह है कि कुल खाताधारकों में से लगभग 48 प्रतिशत महिलाएं खाताधारक हैं; जबकि 52 प्रतिशत पुरुष हैं जो यह दर्शाता है कि यह बैंक महिला ग्राहकों को बैंकिंग नेटवर्क के तहत लाने पर ध्यान केन्द्रित कर रहा है। लगभग 98 प्रतिशत महिलाओं के खाते उनके घर जाकर खोले गए और 68 प्रतिशत से अधिक महिलाएं डीबीटी का लाभ उठा रही हैं। एक अन्य उपलब्धि यह है कि आईपीपीबी ने युवाओं को डिजिटल बैंकिंग सेवाओं का लाभ उठाने के लिए आकर्षित किया है। 41 प्रतिशत से अधिक खाताधारक 18 से 35 वर्ष के आयु वर्ग के हैं।
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