रायपुर 18 .(वेदांत समाचार)। बिहार में शराबबंदी के बावजूद जहरीली शराब से हो रही मौतों के बाद छत्तीसगढ़ में शराबबंदी की मांग की प्रासंगिकता पर प्रश्नचिन्ह लग रहे हैं। सरकारी सूत्रों का कहना है कि छत्तीसगढ़ प्रदेश सरकार का यह मानना है कि बिहार में शराबबंदी के अदूरदर्शितापूर्ण फैसले के कारण ही बहुत से लोगों को असमय जान गंवानी पड़ रही है। वहां भाजपा खुद शराबबंदी की विफलता को लेकर अपनी ही गठबंधन वाली सरकार को घेरने पर विवश है, जबकि इन मौतों के लिए वह भी उतनी ही दोषी है, जितनी की नीतिश कुमार की जदयू।
बता दें कि बिहार में मुख्यमंत्री नीतिश कुमार के गृह जिले नालंदा में जहरीली शराब पीने की वजह से 13 लोगों की मौत हो गई है। बिहार में पहले भी जहरीली शराब पीने से कई मौतें हो चुकी हैं। छत्तीसगढ़ में इस बात को लेकर कांग्रेस का कहना है कि शराबबंदी को लेकर भाजपा का रवैया हमेशा दोमुंहा रहा है। राज्य में लोगों को शराब की लत लगाने वाली भी भाजपा ही है। ऐसे में यदि अचानक शराबबंदी की गई तो कानून-व्यवस्था को लेकर भी नई चुनौतियां सामने आ सकती हैं।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल स्वयं राज्य में शराबबंदी लागू करने को लेकर अपनी प्रतिबद्धता कई बार जाहिर कर चुके हैं, लेकिन वे यह भी साफ कर चुके हैं कि वे आनन-फानन में निर्णय नहीं लेंगे। जिन राज्यों ने शराबबंदी लागू की है, वहां की परिस्थितियों के अध्ययन व सामाजिक संगठनों से रायशुमारी के बाद ही शराबबंदी की दिशा में कदम उठाए जाएंगे। ताकि यहां बिहार जैसी स्थिति निर्मित न हो।
[metaslider id="347522"]