IRCTC घोटाले (IRCTC Scam Case) की सुनवाई में कथित रूप से हो रही देरी पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में याचिका दायर की गई है. याचिकाकर्ता ने कहा है कि मामले में चार्जशीट दाखिल होने के बावजूद निचली अदालत में इसकी सुनवाई नहीं हो रही है. याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का भी जिक्र किया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सांसदों और विधायकों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को निचली अदालत एक साल के भीतर ट्रायल पूरा करे.
IRCTC घोटाला मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू यादव, पूर्व सीएम राबड़ी देवी और उनके बेटे तेजस्वी यादव भी आरोपी हैं. दिल्ली की एक अदालत ने 2019 में लालू यादव और उनके परिवार के सदस्यों को इस मामले में जमानत दी थी. यह मामला IRCTC के दो होटलों के संचालन का ठेका एक निजी फर्म को देने में हुई कथित अनियमितताओं का है.
दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में मामले की सुनवाई हो रही है. सीबीआई ने 2018 में इस मामले में चार्जशीट दायर करते हुए कहा था कि लालू यादव, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव और अन्य के खिलाफ उसके पास पर्याप्त सबूत हैं. सीबीआई ने इससे पहले कोर्ट को बताया था कि IRCTC के तत्कालीन समूह महाप्रबंधक बीके अग्रवाल, पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रेम चंद गुप्ता और उनकी पत्नी सरला गुप्ता भी आरोपी हैं.
ED ने भी मामले में मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर की थी जांच
इसके अलावा प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी मामले में मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर जांच की है. आरोप है कि लालू यादव के रेल मंत्री रहने के दौरान आईआरसीटीसी के जरिए रांची और पुरी में चलाए जाने वाले दो होटलों की देखरेख का काम अचानक सुजाता होटल्स नाम की कंपनी को दे दिया गया था. विनय और विजय कोचर इस कंपनी के मालिक थे और सुजाता होटल्स ने इसके बदले में कथित तौर पर लालू यादव को पटना में तीन एकड़ जमीन दे दी, जो बेनामी संपत्ति थी.
आरोपों के मुताबिक, सुजाता होटल्स को ठेका मिलने के बाद 2010 और 2014 के बीच डिलाइट मार्केटिंग कंपनी का मालिकाना हक सरला गुप्ता से राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव के पास आ गया. हालांकि इस दौरान लालू रेल मंत्री के पद से इस्तीफा दे चुके थे. मनी लॉन्ड्रिंग के इस केस में तेजस्वी यादव और उनकी मां राबड़ी देवी 1-1 लाख रुपए के निजी मुचलके पर अभी जमानत पर हैं.
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