कोरबा/पाली 13 जनवरी (वेदांत समाचार)। जिले के नान गोदामों से खराब कस्टम मिलिंग का पाकड़ चावल पीडीएस दुकानों में आपूर्ति कर गरीबों को वितरण किये जाने की खबर को कलेक्टर श्रीमती रानू साहू द्वारा गंभीरता से संज्ञान में लेते हुए प्रशासनिक जांच टीम का गठन कर नागरिक आपूर्ति निगम के गोदामों में छापामार कार्यवाही के निर्देश दिए गए थे। जहां गठित जांच टीम ने कोरबा एवं छुरी स्थित गोदामों में उपलब्ध चावल का सेम्पल लेकर 6, 255 क्विंटल चावल को अमानक करार दिया था। और जांच रिपोर्ट कलेक्टर को सौंपी गई थी। जिसमे ब्रोगन और बगरी डिस्कलर निर्धारित मापदंड से अधिक होना बताया गया था। जिस रिपोर्ट के आधार पर कलेक्टर श्रीमती साहू द्वारा खराब गुणवत्ता के चावल को वापस देकर मानक श्रेणी के चावल जमा कराने के साथ गरीबो को गुणवत्तापूर्ण खाद्यान वितरण के निर्देश दिए गए थे। तब चावल गुणवत्ता परीक्षण के लिए गठित टीम ने कोरबा और छुरी के गोदामो में कथित जांच किया था, किंतु कटघोरा व पाली नान गोदामों में जांच की जहमत नही उठाई गई थी।
जबकि कटघोरा एवं पाली गोदाम में बड़ी मात्रा में पाकड़ चावल रुके होने व जांच में गड़बड़ी मिलने की आशंका खबरों के माध्यम से जताई गई थी। और आखिरकार वही हुआ जिसका अंदेशा व्यक्त किया गया था। जांच कार्रवाई के मामले शांत होते ही खाद्य व नान अधिकारियों द्वारा पाली नान गोदाम में जमा घटिया चावल अब पुनः ग्रामीण पीडीएस दुकानों के माध्यम से गरीबों की थाली तक पहुँचाने का काम कर रहे है। और जिस पाकड़, बगरी चावल को जानवर भी न सूंघे, उसे ग्रामीण जनता को खाने मजबूर किया जा रहा है। इस विषय पर राशन प्राप्त ग्रामीण हितग्राहियों का कहना है कि जो पाकड़ चावल उन्हें दिया जा रहा है उसे पकाने पर आधा पका व आधा अधपका रह जाता है तथा जो खाने योग्य नही रहता, उसे मजबूरन खाना पड़ रहा है। जिसका दुष्परिणाम सेहत पर पड़ने लगा है। वही नाम न उजागर करने की शर्त पर कई पीडीएस दुकान संचालकों ने बताया कि जो चावल नान गोदाम से भेजा जा रहा है उसे खाद्य हितग्राही लेने को तैयार नही जिसकी सूचना संबंधित खाद्य अधिकारी को देने पर ध्यान नही दिया जा रहा और वही चावल वितरण करने की बात कही जाती है, जिसे गरीबो को देने की मजबूरी है।
ऐसा लगता है मानो चावल गुणवत्ता जांच के मामले ठंडे होते ही पाली गोदाम में जमा घटिया गुणवत्ता का चावल सांठगाठ व मिलीभगत से ग्रामीण इलाकों के पीडीएस दुकानों में खपाने का खेल पुनः चल निकला है। ताकि घटिया चावल गरीबो में बंट जाए और संबंधितों को आर्थिक क्षति उठाना न पड़े। जिला प्रशासन द्वारा इस दिशा पर दोबारा ध्यानाकर्षित कर कड़े कार्यवाही किये जाने की आवश्यकता है, जिससे कि भ्रष्ट्राचार की हांडी में पकने वाले पाकड़- बगरी चावल पर पूर्ण विराम लग सके और गरीबो की थाली में गुणवत्ता परख चावल पहुँच सके।
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