ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर के दूसरे चरण को मिली मंजूरी, 12 हजार करोड़ रुपये होंगे खर्च

Cabinet Meeting- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi)की अध्यक्षता में कैबिनट की बैठक में आज कई अहम फैसलों को मंजूरी दी गयी. इसमें ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर के दूसरे चरण को मंजूरी शामिल है. सीसीईए (Cabinet Committee of Economic Affairs) ने आज इस बारे में फैसला लिया .कैबिनेट के फैसलों (cabinet decision) के बारे में जानकारी देते हुए केन्द्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने इस बारे में जानकारी दी. इसके साथ ही कई अन्य अहम फैसले भी लिये गये हैं.

क्या है कैबिनेट का फैसला

कैबिनेट ने आज दो फैसले लिये हैं जिसमें से पहला इंट्रा स्टेटे ट्रांसमिशन सिस्टम ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर से जुड़ा है. कैबिनेट ने आज इसके दूसरे चरण को मंजूरी दे दी है. योजना पर लगभग 12 हजार करोड़ रुपया खर्च होगा. स्कीम के माध्यम से 10750 सर्किट किलोमीटर ट्रांसमिशन लाइन बिछाई जायेगी. फेज 2 के अंतर्गत 7 राज्यों में गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु राजस्थान ट्रांसमिशन लाइन बिछाई जायेगी. दूसरा चरण 2021-22 से 2025-26 तक चलेगा. चरण की पूरी लागत में केन्द्र की तरफ से सहायता 33 प्रतिशत होगी. इतना ही हिस्सा अंतर्राष्ट्रीय संस्था केएफडब्लू से कर्ज के रूप में राज्यों के मिलेगा. वहीं केन्द्रीय मंत्री ने जानकारी दी है कि पहले फेज में 80 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है. पहले चरण की लागत 10 142 करोड़ रुपये थी.उनके मुताबिक ये प्रोजक्ट गैर जीवाश्म स्रोतों से बिजली पाने के लक्ष्य को पूरा करने में काफी मदद करेंगे.

वहीं कैबिनेट ने एक अन्य फैसले में उत्तराखंड के धारचूला में महाकाली नदी पर भारत और नेपाल के बीच पुल बनाने को मंजूरी दी है. केन्दीय मंत्री के मुताबिक दोनो देशों के बीच संबंधों को और मजबूत करने में मददगार इस ब्रिज पर एमओयू जल्द साइन होगा

क्या है ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर

नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के मुताबिक ग्रीन एनर्जी परियोजना का उद्देश्य सोलर और पवन ऊर्जा जैसे पर्यावरण के अनुकूल स्रोत से मिलने वाली बिजली को ग्रिड के जरिये पारंपरिक बिजली स्टेशनों की मदद से ग्राहकों तक पहुंचाना है। ग्रीन एनर्जी से प्राप्त बिजली के इस्तेमाल के लिये मंत्रालय ने 2015-16 में इंट्रा स्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी। इसमें 8 राज्य तमिलनाडु , राजस्थान, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, हिमाचल प्रदेश और मध्य प्रदेश शामिल है। सरकार अब इसका दायरा बढ़ाकर कोयले से उत्पादि बिजली का हिस्सा कम करना चाहती है, जिससे पर्यावरण को ज्यादा से ज्यादा फायदा मिले.