कोरबा : कुदुरमाल में खुले में रखे 300 से ज्यादा बोरे भीगे, नहीं कर पाए पर्याप्त व्यवस्था

0 निरीक्षण दल को मिला 564 बोरी धान कम

कोरबा 30 दिसम्बर (वेदांत समाचार)। बेमौसम बारिश ने धान खरीदी केंद्रों में व्याप्त अव्यवस्था की पोल खोल दी है। धान खरीदी में प्रबंधन और रखरखाव के नाम पर लाखों रुपये आहरण करने वाले समितियों के पास धान को बारिश से बचाने की समुचित व्यवस्था नही है। आदिम जाति सेवा सहकारी समिति मर्यादित भैसमा के उपार्जन केंद्र कुदुरमाल में खुले में रखे लगभग 300 से ज्यादा बोरे भीग गए। बारिश की चेतावनी के बाद भी फड़ प्रभारी चंद्र कुमार राठौर की लापरवाही से धान को स्टेक में नही लगाया गया जिससे बोरियां बारिश में भीगते रहे। सुबह होते ही फड़ प्रभारी ने सभी बोरियों को कीचड़ के निकालकर सुखाया। फड में सामान्य व्यवस्था जैसे ड्रेनेज आदि की भी व्यवस्था नही है जिससे चट्टे में लगे नीचे स्तर के धान भी नमी से खराब हो रहे है।

फड़ प्रभारी 300 बोरे तो नोडल अधिकारी 100 के आसपास बताते रहे

वही मामले में जांच करने पहुंचे नोडल अधिकारी राजेन्द्र बघेल और खाद्य निरीक्षक शुभम मिश्रा ने अव्यवस्था पर नाराजगी जताई। उनसे जब भीगे हुए बोरियों के बारे में पूछा गया तो 100 के आस पास बताने लगे जबकि फड़ प्रभारी चंद्र कुमार राठौर द्वारा 300 से ज्यादा बोरों भीग जाना बताया गया। इस प्रकार दोनों की बातों में असामनता कार्यवाही के नाम पर केवल खानापूर्ति को दर्शाता है। नोडल अधिकारी फड़ प्रभारी की गलतियों को छिपाते दिखे।

मानक से ज्यादा तौल ले रहे फड़ प्रभारी

खाद्य निरीक्षक शुभम मिश्रा और अन्य अधिकारियों के समक्ष जब स्टेक में लगे बोरियों के वजन की जांच कराई गई तो तय सीमा से 300 से 500 ग्राम तक ज्यादा पाए गए। 10 से 12 बोरियों की जांच में सभी मानक से ज्यादा ही पाए गए। जिस पर कार्यवाही के नाम पर अधिकारी उल्टे फड़ प्रभारियों को बचाते दिखते है। किसानों से डंडी मारकर फड़ प्रभारी मोटी कमाई करने में लगे है जबकि अधिकारी भी अतिरिक्त तौल पर मौन साधे बैठे है। इस तरह किसानों के खून पसीने की कमाई फड़ प्रभारी सूखे के नाम पर अतिरिक्त लेकर वसूल रहे है।

प्रत्येक वर्ष धान खरीदी में शिकायत फिर भी कार्यवाही नही

कुदुरमाल धान उपार्जन केंद्र में अव्यवस्था और डंडी मारने की शिकायत आम है जो कई वर्षों के चल रही है इसके बावजूद अधिकारी आंख मूंदे बैठे है। लगातार शिकायत के बावजूद भी कार्यवाही का न होना अधिकारियों के कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह लगाता है।