आपने सुना होगा कि ज्ञान और ध्यान का मार्ग पता चलने के बाद इंसान के लिए इस संसार के भौतिक सुख कुछ मायने नहीं रखते हैं. ऐसी कहानियां हमें आज से सैकड़ों सालों पहले काफी सुनने को मिलती थी लेकिन अगर ऐसा कोई उदाहरण देखने को मिले तो हैरानी ही होगी. हम बात कर रहे हैं सिरोही जिले के पिंडवाड़ा मूल के जैन परिवार की जिनका वर्तमान में ठिकाना अमेरिका है.
जैन परिवार के 27 साल के जैनम जैन ने 4 साल बीएपीएस स्वामीनारायण गुरुकुल में शिक्षा लेकर अब संयम पथ पर चलते हुए दीक्षा लेने का फैसला किया है. जैनम की दीक्षा का कार्यक्रम गुजरात के बडोदरा के पास चाणसद गांव में आयोजित किया गया.
100 से अधिक युवाओं ने ली दीक्षा
बता दें कि बीएपीएस स्वामीनारायण गुरुकुल स्वामीनारायण संस्था के पांचवे बड़े आध्यात्मिक गुरु प्रमुख स्वामी महाराज का जन्म स्थान है. जैन ने बीएपीएस संस्था के सबसे बड़े संत महंत स्वामी महाराज के हाथों से दीक्षा ग्रहण की रस्म पूरी की. वहीं इस कार्यक्रम में देश-विदेश से आए 100 से ज्यादा युवाओं ने दीक्षा ग्रहण की. जैन ने दीक्षा के बाद बताया कि अब मेरा बाकी की जीवन समाज कल्याण के कामों में गुजरेगा.
1 करोड़ की नौकरी छोड़ ग्रहण की दीक्षा
बता दें कि जैनम जैन ने न्यूयॉर्क के हैरिक्स हाई स्कूल से अपनी शुरूआती पढ़ाई पूरी की है. वहीं पढ़ाई पूरी करने के बाद वह न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी से कंस्ट्रक्शन मैनेजमेंट और आर्किटेक्ट की डिग्री हासिल कर मैनहैटन में एक बड़ी कंपनी में नौकरी करते थे. जैनम को इस नौकरी के लिए 1 करोड़ की सैलरी पर रखा गया था जो 4 पहले उन्हें मिली थी.
इसके अलावा जैनम तबला वादक भी है और डिजाइनिंग व लेखन में रूचि रखते हैं. गौरतलब है कि जैनम का परिवार अमेरिका से गुजरात आने के बाद यहां उन्होंने सारंगपुर में 4 साल तक बीएपीएस स्वामीनारायण गुरुकुल में शिक्षा ग्रहण की थी.
बता दें कि जैनम जैन की बहन डॉ. शेनिका वर्तमान में अमेरिका में आर्मी के यूनिवर्सिटी अस्पताल में काम करती है. शेनिका भारतीय मूल की पहली महिला है, जो अमेरिकन आर्मी में है और सर्जन के रूप में सेवाएं दे रही है.
[metaslider id="347522"]