कोरोना संकट के बीच अब महंगी हुई हल्दी, पढ़ें क्यों बढ़ रहे है दाम

बेमौसम बारिश और बदलते वातावरण के कारण अल्दी की फसलों पर करपा रोग लगने से फसलों का बडे पैमाने पर नुकसान हुआ था जिसका असर अब उत्पादन पर देखा जा रहा हैं.अपनी मुस्तैदी के कारण मराठवाड़ा के हिंगोली में संत नामदेव हल्दी बाजार का विशेष महत्व हैं सीजन की शुरुआत में ही हल्दी की बड़ी आवक शुरू हो गई थीं.लेकीन अब बाजार में हल्दी की आवक में बहुत कमी देखी जा रही हैं.यहां के बाजार में दूसरे राज्यों से आवक पहुँचती हैं.लेकीन पिछले कुछ दिनों में रोग लगने से फसलों के पैदावार में गिरावट देखी गई हैं.जबकि फसल अपने अंतिम चरण में है.हालांकि वर्तमान में दरें संतोषजनक हैं, लेकिन किसान उच्च दरों की उम्मीद कर रहे हैं.

हल्दी 9,600 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बिक रहा हैं

हिंगोली जिले के बाजार में हल्दी की बड़ी आवक हैं.इसके अलावा,उपज वजन करते करते ही किसानों के हाथों में तुरन्त दिया जाता हैं.इसिलए इस बाजार में दूसरे राज्य से भी किसान यह अपना उपज बेचने के लिए आते हैं.हालांकि
इस साल रोगों और जलवायु परिवर्तन के कारण उत्पादन में गिरावट आई हैं.इसिलए किसानों ने उम्मीद रखा हैं कि भविष्य में दरों में और भी वृद्धि होगी. फिलहाल इस समय बाजार में हल्दी का भाव 9,600 रुपये प्रति क्विंटल हैं.तो वही किसानों को भविष्य में 15,000 रुपये की दर से मिलने की उम्मीद हैं.

करपा रोग का प्रकोप सभी फसलों पर बढ़ा हैं

खरीफ सहित रबी सीजन की फसलों के दौरान सभी फसलों पर रोगों का प्रकोप देखा गया हैं.पहले प्याज की फसल इस बीमारी से प्रभावित थी.लेकीन इस साल बेमौसम बारिश के कारण कीड़ों के लिए पर्यावरण अधिक अनुकूल बना रहा.नतीजतन उत्पादन में भारी गिरावट आई हैं.कारोबारियों का कहना है कि इससे सीजन की शुरुआत में आने वाली हल्दी पर कोई असर नहीं पड़ा था.लेकिन अब नई आ चुकी हल्दी पर इसका असर पड़ रहा है.

इस वजह से हिंगोली हल्दी की मांग हैं

हल्दी मराठवाड़ा सहित विदर्भ के कुछ जिलों से आवक पहुचती थीं.यहां के निष्पक्ष व्यापार के कारण इस बाजार में किसानों की दिलचस्पी ज्यादा है इसके अलावा, हल्दी में कुकुरमिन की मात्रा अधिक होने के कारण सांगली और सतारा में इसकी भारी मांग होती हैं.जिले के हल्दी की ˈक्‍वॉलटि अच्छी होने के कारण बड़ी कंपनी में इसकी मांग हमेशा रहती हैं.