राजस्थान 29 दिसम्बर(वेदांत समाचार)। राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग जोधपुर में मादक पदार्थ कानून (एनडीपीएस अधिनियम) के तहत झूठे मामले में फंसे एक बुजुर्ग व्यक्ति को बड़ी राहत देने की सिफारिश की है. आयोग ने राज्य सरकार से सिफारिश कर कहा है कि 80 वर्षीय पीड़ित भाकरराम को 5 लाख का मुआवजा दिया जाए.
वहीं बुजुर्ग के खिलाफ झूठा मामला बनाने वाले तीनों पुलिसकर्मियों को सजा के तौर पर पांच साल तक किसी भी पुलिस थाने में पोस्टिंग ना दी जाए. बता दें कि आयोग ने राज्य सरकार से इस मामले से जुड़े कई अन्य अधिकारियों को गणतंत्र दिवस पर पुरस्कार देने की अनुशंषा भी की है जिन्होंने इस प्रकरण में निष्पक्ष जांच कर एक वरिष्ठ आम नागरिक के मानव अधिकारों की रक्षा का दायित्व निभाया.
बुजुर्ग के खिलाफ मामला निकला फर्जी
आयोग ने पाया कि 80 वर्षीय बुजुर्ग भाकरराम की तरफ से दायर एक परिवाद की जांच करने पर पता चला है कि 2012 में उनके खिलाफ एक फर्जी मामला दर्ज किया गया जिसके बाद उनकी और परिवार की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची. वहीं बुजुर्ग को बिना किसी जुर्म के 5 महीने न्यायिक हिरासत में बिताने पड़े. आयोग ने पाया कि यह मामला जांच के बाद फर्जी निकला जिसमें किसी भी तरह से बुजुर्ग की संलिपत्ता नहीं पाई गई.
तीन किलो अफीम का दूध बरामद कर बनाया मामला
जानकारी के मुताबिक साल 2012 में पुलिस ने पीड़ित भाकरराम के खिलाफ तीन किलो अफीम का दूध बरामदगी का मामला दर्ज किया. इस मामले में जाम्बा थानाधिकारी सीताराम और उसके कॉन्स्टेबल करणाराम और पुलिस लाइन में तैनात एक अन्य कॉन्स्टेबल भगवानाराम ने मुकदमा बनाया. हालांकि बाद में पुलिस के अधिकारियों ने जब इस मामले की जांच की तो पाया कि मामला फर्जी है. वहीं अदालत में इस मामले में भाकरराम को अदालत को सीआरपीसी की धारा 169 के तहत रिहा करने के भी आदेश दिए.
पुलिसवालों पर होगी कार्रवाई
आयोग ने बताया कि हमने आदेश में राज्य सरकार से 5 लाख की मुआवजा राशि देने की गुहार लगाई है. इसके अलावा राज्य सरकार से सिफारिश की है कि इस मामले में आरोपी जाम्बा थाने के तत्कालीन पुलिस थाना अधिकारी सीताराम के वेतन से दो लाख रूपये और कॉन्स्टेबल भगवानाराम और करनाराम के वेतन से एक-एक लाख रूपये की कटौती की जाए. फिलहाल इस मामले में आयोग का फैसला आने के बाद मामले में बुजुर्ग को राहत मिलने की संभावनाएं अब तेज हो गई हैं.
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