लेबर कोड जल्द होंगे लागू, जीडीपी में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए सरकार ने उठाए कई कदम- श्रम सचिव

श्रम एवं रोजगार सचिव सुनील बर्थवाल ने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की जरूरत बताते हुए कहा कि श्रम संहिताओं (लेबर कोड्स) का क्रियान्वयन जल्द ही किया जाएगा. बर्थवाल ने उद्योग मंडल फिक्की के एक कार्यक्रम को वर्चुअल माध्यम से संबोधित करते हुए कहा, सरकार ने नए श्रम संहिताएं यथासंभव समकालीन स्थिति को ध्यान में रखकर बनाने की कोशिश की है. हमने इस दुनिया की समकालीनता को भी सुनिश्चित करने की कोशिश की है.

उन्होंने कहा कि सरकार ने श्रमशक्ति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं. बर्थवाल ने कहा, जब तक महिलाओं की भागीदारी नहीं सुधरेगी तब तक महिला कामगारों का जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में योगदान अपेक्षित स्तर तक नहीं हो पाएगा. हमने श्रम संहिताओं पर नियोक्ता, श्रमिक, महिला और युवा समेत विभिन्न दृष्टिकोणों से विचार किया है और यह सबका एक अच्छा मिश्रण है.

उन्होंने कहा कि सरकार श्रम संहिताओं को लागू करने के लिये राज्यों को प्रोत्साहित कर रही है. चूंकि यह कानून संविधान की समवर्ती सूची में है लिहाजा केंद्र एवं राज्य दोनों स्तरों पर नियम बनाने की जरूरत है.

कब लागू होंगे लेबर कोड?

उन्होंने कहा, केंद्र सरकार के स्तर पर हमने नियमों को पहले ही प्रकाशित कर दिया है और इसके लिये तैयार हैं. जैसे ही बहुसंख्यक राज्य नियम बना लेते हैं, तब हम संहिता लागू करने के लिये तैयार होंगे.

बर्थवाल ने कहा कि अधिसूचना और नियमों को अंतिम रूप देने के मामले में अधिक से अधिक राज्य सामने आ रहे हैं. उन्होंने कहा, हमें तेजी से काम करना होगा क्योंकि हर कोई इन नियमों का बेसब्री से इंतजार कर रहा है.

13 राज्यों ने जारी किया ड्राफ्ट रूल्स

व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और काम करने की स्थिति संहिता ही एकमात्र कोड है जिस पर कम से कम 13 राज्यों ने मसौदा नियमों को पहले ही जारी कर दिया है. 24 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा वेज कोड पर सबसे अधिक मसौदा अधिसूचनाएं पूर्व-प्रकाशित की गई हैं. इसके बाद इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड (20 राज्यों द्वारा) और सामाजिक सुरक्षा संहिता (18) राज्यों द्वारा जारी किया गया है.

केंद्र सरकार ने इन चार लेबर कोड्स को किया नोटिफाई

आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने चार श्रम संहिताओं को अधिसूचित किया है. 8 अगस्त, 2019 को वेज कोड, 2019 और इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड 2020 और 29 सितंबर 2020 को सोशल सिक्योरिटी कोड, 2020 व ऑक्युपेशनल सेफी, हेल्थ एंड वर्किंग कोड 2020 को नोटिफाई किया. हालांकि, केंद्र और राज्यों को इन कानूनों को संबंधित अधिकार क्षेत्र में लागू करने के लिए चार संहिताओं के तहत नियमों को अधिसूचित करने की जरूरत है.

कोड्स के तहत नियम बनाने की शक्ति केंद्र सरकार, राज्य सरकार और उपयुक्त सरकार को सौंपी गई है और सार्वजनिक परामर्श के लिए 30 या 45 दिनों की अवधि के लिए उनके आधिकारिक राजपत्र में नियमों के प्रकाशन की आवश्यकता है. वेतन संहिता पर मसौदा नियम 24 राज्यों द्वारा पूर्व-प्रकाशित किए जाते हैं. ये राज्य मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, गुजरात, ओडिशा, पंजाब, छत्तीसगढ़, त्रिपुरा, राजस्थान, झारखंड, अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, गोवा, मिजोरम, तेलंगाना, असम, मणिपुर, केंद्र शासित प्रदेश हैं. जम्मू और कश्मीर, पुडुचेरी और दिल्ली के जीएनसीटी हैं.

इन राज्यों ने सोशल सिक्योरिटी कोड्स पर जारी किए ड्राफ्ट रुल्स

कम से कम 18 राज्यों ने सोशल सिक्योरिटी कोड्स पर नियमों का मसौदा पूर्व-प्रकाशित किया है. ये राज्य मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब, छत्तीसगढ़, ओडिशा, झारखंड, अरुणाचल प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, त्रिपुरा, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, असम, गुजरात, गोवा और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर हैं.

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