पटना. जनता दल यूनाइटेड (JDU) के राज्यसभा सदस्य महेंद्र प्रसाद उर्फ किंग महेंद्र का रविवार आधी रात के बाद तकरीबन 12:30 बजे दिल्ली के अपोलो अस्पताल में निधन हो गया. उनके निधन से राजनीति के साथ ही व्यवसायिक जगत में भी शोक की लहर दौड़ गई है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महेंद्र प्रसाद के भाई और बेटे को फोन कर उनके निधन पर शोक जताया है. किंग महेंद्र शुरू से ही बिजनेस माइंडेड थे. इसी सिलसिले में वह युवा अवस्था में ही मुंबई चले गए थे. कुछ दिनों की नौकरी के बाद उन्होंने अपने पहली दवा की कंपनी एरिस्टो फर्मास्यूटिकल खोली थी. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा था. बाद में उन्होंने माप्रा लैबोरेटरीज प्राइवेट लिमिटेड के नाम से दूसरी कंपनी खोल ली थी. उनके निधन के बाद हर किसी के मन में यह जानने की इच्छा है कि आखिर किंग महेंद्र अपनों के लिए कुल कितनी संपत्ति छोड़ गए?
किंग महेंद्र ने जब राज्यसभा चुनाव के लिए पर्चा दाखिल किया था तो उन्होंने अपने शपथ पत्र में संपत्ति का ब्योरा दिया था. उसके अनुसार, सांसद और बिजनेस टायकून किंग महेंद्र के पास कुल 4000 करोड़ रुपए की चल संपत्ति और 2910 करोड़ की अचल संपत्ति है. साथ ही नकदी के रूप में उनके पास सिर्फ 2 लाख रुपये हैं. दिल्ली के बैंकों में उनके कुल 1300 करोड़ रुपए, जबकि मुंबई के बैंकों में 900 करोड़ रुपए से अधिक की राशि जमा है. किंग महेंद्र हथियारों के भी बहुत शौकीन थे. उनके पास रिवॉल्वर, राइफल समेत अन्य हथियार भी थे.
टॉप 20 में एरिस्टो फार्मास्यूटिकल
जनता दल यूनाइटेड के वरिष्ठ नेता, राज्यसभा सांसद एवं दो नामी फ़र्मायूटिकल कंपनियां एरिस्टो और मैपरा के मालिक महेंद्र प्रसाद एक रसूखदार इंसान थे. JDU सांसद लंबे समय से बीमार चल रहे थे. राज्यसभा में बिहार का प्रतिनिधित्व करने वाले महेंद्र प्रसाद सबसे अमीर राज्यसभा सांसदों में से एक माने जाते थे. उनकी दवा कंपनी एरिस्टो फार्मास्यूटिकल देश की टॉप 20 फार्मा कंपनियों में शुमार है. उनका कारोबार देश के सभी हिस्सों से लेकर वियतनाम, श्रीलंका, म्यांमार के अलावा अफ्रीकी और यूरोपीय मुल्कों तक फैला हुआ है. देश की एक और बड़ी दवा कंपनी माप्रा लैबोरेट्री के भी वो मालिक थे.
किंग महेंद्र का राजनीतिक सफर
किंग महेंद्र प्रसाद के राजनीतिक जीवन के शुरुआत की बात करें तो साल 1980 में पहली बार जहानाबाद लोकसभा सीट से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीत कर वह संसद पहुंचे थे. साल 1984 में राजीव गांधी की हत्या के बाद हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की लहर होने के बाद भी महेंद्र प्रसाद जीत नहीं पाए थे. महेंद्र प्रसाद मूलरूप से बिहार के जहानाबाद के गोविंदपुर के रहने वाले थे.