दक्षिण चीन में वैज्ञानिकों को डायनासोर के एक अंडे का फॉसिल (जीवाश्म) मिला है। खास बात यह है कि करीब 7 करोड़ साल बीतने के बावजूद अंडे के अंदर डायनासोर के भ्रूण (embryo) का जीवाश्म अच्छी तरह से संरक्षित है। इस भ्रूण को ‘बेबी यिंगलियांग’ नाम दिया गया है।
विशेषज्ञों के अनुसार, तकरीबन 7 करोड़ 20 लाख साल पुराने अंडे में मिला यह भ्रूण अब तक का सबसे पूर्ण ज्ञात डायनासोर भ्रूण है। यूनिवर्सिटी ऑफ बर्मिंघम के वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह भ्रूण ओविराप्टोरोसॉर प्रजाति का है।
जन्म लेने के बेहद करीब था डायनासोर का बच्चा
चीन के जियांग्शी प्रांत के गांझोउ शहर में ‘हेकोउ फॉर्मेशन’ की चट्टानों में बेबी यिंगलियांग की खोज की गई। यह रिसर्च चीन, यूनाइटेड किंगडम और कनाडा के वैज्ञानिकों ने मिलकर की है। उन्होंने पाया कि डायनासोर का यह भ्रूण सबसे दुर्लभ फॉसिल्स में से एक है। रिसर्च में यह भी पता चला है कि अंडे के किसी तरह की प्राकृतिक आपदा का शिकार होने के समय बेबी यिंगलियांग जन्म लेने के बेहद करीब था। यह अंडा करीब 7 इंच लंबा है, जबकि इसके अंदर मौजूद डायनासोर के बच्चे का जीवाश्म सिर से पूंछ तक करीब 11 इंच लंबा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि एडल्ट होने के बाद यह डायनासोर 2 से 3 मीटर तक लंबा हो जाता।
पंखों वाला डायनासोर
वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह भ्रूण ओविराप्टोरोसॉर प्रजाति का है। इस प्रजाति के दांत नहीं होते थे। ये चोंच और पंखों वाले डायनासोर होते थे। इन्हें एशिया और उत्तरी अमेरिका की चट्टानों पर पाया जाता था। वैज्ञानिकों की मानें, तो ओविराप्टोरोसॉर की चोंच और शरीर का आकार इस प्रकार का होता था, जिससे वो कई तरह के खाने को अपना सकते थे।
आधुनिक पक्षियों के जैसा फॉसिल
वैज्ञानिकों के अनुसार, फॉसिल में भ्रूण का सिर उसके शरीर के नीचे था। उसकी पीठ अंडे के आकार के मुताबिक मुड़ी हुई थी। साथ ही, दोनों पैर सिर की ओर स्थित थे। आज के पक्षियों में इस मुद्रा को ‘टकिंग’ कहा जाता है। यह मुद्रा पक्षियों के बच्चों की सफल हैचिंग के लिए जरूरी होती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि ये डायनासोर आधुनिक पक्षियों की तरह ही अपने अंडों पर बैठकर उन्हें सेते थे।
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