छत्तीसगढ़ सरकार ने बड़ी राहत दी, मूल और पारिवारिक दोनों स्तर की पेंशन बढ़ाई

रायपुर 22 दिसम्बर (वेदांत समाचार)। राज्य सरकार ने पेंशनरों की बड़ी मांग पूरी की है। सरकार ने पेंशनरों का महंगाई भत्ता 5% से 10 % तक बढ़ाने का फैसला किया है। यह वृद्धि मूल पेंशन और पारिवारिक पेंशन दोनों में की गई है। वित्त विभाग ने बुधवार को इसके विस्तृत निर्देश जारी किए।

वित्त विभाग के उप सचिव आनंद मिश्रा की ओर से जारी निर्देश के मुताबिक राज्य सरकार ने मूल पेंशनरों और पारिवारिक पेंशनरों के महंगाई भत्ते की दर में संशोधन किया है। सातवां वेतनमान प्राप्त पेंशनरों और पारिवारिक पेंशनरों के महंगाई भत्ते में 5% की वृद्धि की गई है। पहले इन्हें 12% महंगाई भत्ता मिलता था। अब यह बढ़कर 17% हो जाएगा। वहीं छठवें वेतनमान वाले पेंशनरों का महंगाई भत्ता 10% बढ़ाया गया है। अब उनको 164% महंगाई भत्ता मिलेगा। अभी तक इसकी दर 154% तक ही थी। महंगाई भत्ते की बढ़ी हुई दर अक्टूबर 2021 के पेंशन से लागू हो जाएगी।

इनको मिलेगा भत्ते का फायदा

यह राहत अधिवार्षिकी, सेवानिवृत्ति, असमर्थता और क्षतिपूर्ति पेंशन पर ही दी जानी है। सेवा से हटाए गए कर्मचारियों को स्वीकार किए गए अनुकंपा भत्ता पर भी यह महंगाई भत्ता लागू होगा। कुछ प्रतिबंधों के साथ पारिवारिक पेंशन और असाधारण पेंशन पाने वालों को भी यह राहत दी जाएगी।

मुख्यमंत्री ने सितंबर में की थी घोषणा

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सितंबर में ही पेंशनरों के लिए महंगाई भत्ते में 5% वृद्धि की घोषणा की थी। वित्त विभाग इसे उसी समय अमली जामा नहीं पहना पाया। बताया जा रहा है, मध्य प्रदेश राज्य पुनर्गठन अधिनियम की धारा 49 ऐसे फैसलों के लिए दोनों सरकारों की सहमति को अनिवार्य करती है। ऐसे में बिना मध्य प्रदेश की सहमति लिए महंगाई भत्ता नहीं बढ़ाया जा सकता था। अब जब मध्य प्रदेश से भी सहमति मिल गई है तो पेंशनरों को अक्टूबर से ही महंगाई भत्ता बढ़ी हुई दर से देने का निर्देश जारी हुआ है।

पेंशनरों ने घेराव की घोषणा की है

छत्तीसगढ़ राज्य संयुक्त पेंशनर्स फेडरेशन ने महंगाई भत्ता की घोषित दर लागू करने की मांग को लेकर 3 जनवरी को मंत्रालय घेराव की घोषणा की है। उनकी मांगों में मध्य प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम की धारा 49 को समाप्त करना भी शामिल है। संयुक्त पेंशनर्स फेडरेशन के अध्यक्ष वीरेंद्र नामदेव का कहना है, यह धारा 49 ही यहां के पेंशनरों के आर्थिक स्वत्वों के भुगतान में बाधक है।