Right to Education: सुप्रीम कोर्ट में ‘शिक्षा के अधिकार अधिनियम- 2009′ (RTE Act 2009) के कुछ धाराओं के खिलाफ जनहित याचिका दायर की गई है. इस याचिका में सभी छात्रों के लिए एक समान कोर्स की मांग की गई है. भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने यह जनहित दायर (PIL) की है.
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में शिक्षा के अधिकार एक्ट में कुछ तर्कहीन धाराओं को बदलने की मांग करते हुए कहा गया है कि, ‘‘एक बच्चे का अधिकार केवल नि:शुल्क शिक्षा तक ही सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि बच्चे की सामाजिक आर्थिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के आधार पर भेदभाव किए बिना समान गुणवत्ता वाली शिक्षा भी उसका अधिकार होनी चाहिए.”
वकील अश्विनी उपाध्याय ने दायर की याचिका
इस जनहित याचिका वकील अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर की गई है. इसमें उन्होंने कहा है कि आरटीई अधिनियम की धाराएं एक (चार) और एक (पांच) संविधान की व्याख्या करने में सबसे बड़ी बाधा हैं और मातृभाषा में समान पाठ्यक्रम का नहीं होना अज्ञानता को बढ़ावा देता है. साथ ही समान शिक्षा प्रणाली लागू करना संघ का कर्तव्य है, लेकिन वह इस अनिवार्य दायित्व को पूरा करने में विफल रहा है और उसने 2005 के पहले से मौजूद राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचे (National Curriculum Framework) को अपना लिया है.
शिक्षा के अधिकार एक्ट में समानता का उलंघन
याचिकाकर्ता वकील अश्विनी उपाध्याय का कहना है कि धाराएं एक (चार) और एक (पांच) न केवल अनुच्छेद 14, 15, 16, 21, 21ए का उल्लंघन हैं, बल्कि ये अनुच्छेद 38, 39 एवं 46 और प्रस्तावना के भी विपरीत हैं.”याचिका में कहा गया है कि मौजूदा प्रणाली सभी बच्चों को समान अवसर प्रदान नहीं करती, क्योंकि समाज के प्रत्येक स्तर के लिए भिन्न पाठ्यक्रम है.
याचिका में कहा गया है, ‘‘केंद्र ने मदरसों, वैदिक पाठशालाओं और धार्मिक शिक्षा प्रदान करने वाले शैक्षणिक संस्थानों को शैक्षणिक उत्कृष्टता से वंचित करने के लिए धारा एक (चार) और एक (पांच) को शामिल किया.’ साथ ही अश्विनी उपाध्याय ने बताया कि, कोर्ट इस एक्ट के धाराओं एक (चार) और एक(पांच) को मनमाना, तर्कहीन और अनुच्छेद 14, 15, 16 और 21 का उल्लंघन घोषित कर सकता है. साथ ही केंद्र को पूरे देश में पहली से आठवीं कक्षा तक के छात्रों के लिए समान कोर्स लागू करने का निर्देश दे सकता है.”
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