कोलकाता नगर निगम चुनाव (Kolkata Municipal Election) समाप्त हो गये और चुनाव परिणाम भी घोषित हो गये हैं, लेकिन चुनाव को लेकर चल रहा विवाद अभी भी थमने का नाम नहीं ले रहा है. कोलकाता नगर निगम चुनाव को लेकर लगातार हाईकोर्ट (Calcutta High Court) में मामले दायर किये जा रहे हैं. वार्ड नंबर 126 और वार्ड नंबर 36 की माकपा उम्मीदवार क्रमशः विमान गुहा ठाकुरदा और मौसमी घोष की ओर से कलकत्ता हाई कोर्ट के प्रधान न्यायधीश प्रकाश श्रीवास्तव की डिवीजन बेंच में एक जनहित याचिका दायर की गई है. जनहित याचिका वकील राजनील मुखर्जी ने केस दर्ज की है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि उनके वार्ड में बहुत से ऐसे लोगों ने मतदान किया है, जिनकी मृत्यु हो गयी है. इस मामले की सुनवाई छह जनवरी को होगी.
मामले में पारदर्शी मतदाता सूची भी प्रकाशित करने की मांग की गई है. इसके साथ ही पुलिस की निष्क्रियता का आरोप लगाया गया है. वकील का दावा कि इस वार्ड में बहुत से मृतकों ने मतदान किया है. वकील राजनील मुखर्जी की ओर से सीसीटीवी फुटेज जमा करने का भी अनुरोध किया गया है. बता दें मतदान के दौरान धांधली के आरोप लगे हैं और हिंसा के भी आरोप लगे हैं, हालांकि सत्तारूढ़ दल टीएमसी इन आरोपों को खारिज कर दिया है.
निगम चुनाव में 731 लोगों की जब्त हुई है जमानत
दूसरी ओर, कोलकाता नगर निगम चुनाव के परिणाम एक दिन पहले ही आए हैं जिसमें सत्तारूढ़ पार्टी ने 144 में से 134 सीटों पर जीत दर्ज की है. बाकी तीन सीटों पर बीजेपी, माकपा और कांग्रेस को दो-दो सीटें मिली हैं तथा निर्दलीय उम्मीदवारों ने तीन वार्डों में जीत दर्ज की है. इसके अलावा बुधवार सुबह तक चुनाव आयोग की वेबसाइट पर अपडेटेड जानकारी के मुताबिक कुल 731 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई है. दरअसल निगम चुनाव में कुल 950 उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे. इनमें से 378 निर्दलीय भी थे.
जमानत जब्त होने वालों में टीएमसी छोड़ सभी पार्टियों के उम्मीदवार
पता चला है कि इनमें से 731 उम्मीदवार ऐसे हैं जो अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए हैं. यानी नामांकन दाखिल करते समय उन्होंने जमानत के तौर पर जो राशि जमा की थी वह इन्हें वापस नहीं मिलेगी. सबसे अधिक वोट सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवारों को मिले हैं. उसके बाद मत प्रतिशत के मामले में माकपा उम्मीदवारों ने बीजेपी को पीछे छोड़ दिया है, हालांकि बीजेपी की सीटों की संख्या माकपा के दो के मुकाबले एक अधिक तीन हैं, लेकिन वोट सत्तारूढ़ पार्टी के बाद माकपा को ही अधिक मिले हैं.
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