कोरोना के बाद विद्यार्थियों के गिरते हुए लेखन कौशल एवं सृजनात्मकता को बढ़ाना, शिक्षकों के लिए एक चुनौती – डॉ. संजय गुप्ता

⭕ कोरोना ने विद्यार्थियों के पढ़ाई के साथ-साथ लेखन कौशल को सबसे ज्यादा प्रभावित किया ।

⭕ कोरोना ने विद्यार्थियों के लेखन कौशल पर लगाया ग्रहण! हस्तलिपि एवं लेखन कौशल में पिछड़े विद्यार्थी ।

⭕ अपने विभिन्न कौशल का विकास कर, अपना भविष्य संवारें-डॉ. संजय गुप्ता

⭕ कोरोना के बाद शिक्षा जगत में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा एक महत्वपूर्ण चुनौती ।

कोरबा 21 दिसम्बर (वेदांत समाचार)। शिक्षा हमें हमारे समाज और पर्यावरण के बारे में ज्ञान देती है और उन्हें बेहतर बनाने के लिए हमारे हुनर में इज़ाफ़ा करती है । शिक्षा हमें अपने जीवन की तरफ़ देखने के लिए हमारे दृष्टिकोण को विकसित करने, हमारा अपना विचार तैयार करने और जीवन के अलग-अलग पहलुओं को लेकर हमारी अपनी राय बनाने में भी मदद करती है. आज के समय में शिक्षा जानकारी हासिल करने की प्रक्रिया नहीं है. किसी भी उत्सुक व्यक्ति की आज अलग-अलग वेबसाइट और ई-आधारित प्लेटफॉर्म के ज़रिए काफ़ी ज़्यादा आंकड़ों और सूचनाओं तक पहुंच है. लेकिन क्या शिक्षा के बिना सूचना को ज्ञान में बदला जा सकता है? सिर्फ़ सूचना ही हमें हमारे जीवन में अलग-अलग मुद्दों और घटनाओं को समझने में प्रशिक्षित कर सकती है. हम सिर्फ़ अपनी किताबों के पाठ के ज़रिए ही नहीं सीख सकते हैं बल्कि हम अपने शिक्षकों, गुरुओं और उस्तादों से भी सीख सकते हैं कि इन किताबों को किस तरह पढ़ें और कैसे गंधमादन पर्वत में विशल्यकरणी की पहचान करें. हम अपने जीवन में व्यावहारिक अनुभवों और ट्रेनिंग के ज़रिए भी सीखते हैं. संक्षेप में कहें तो शिक्षा हमें ज्ञान, हुनर, आदर्श और नज़रिया हासिल करने में मदद करती है ताकि हम सोच-समझकर फ़ैसले ले सकें, अर्थपूर्ण जीवन जिएं और समकालीन समाज में सक्रिय भूमिका अदा कर सकें ।

2020 की शुरुआत से ही हम बहुत बड़े संकट का सामना कर रहे हैं. कोविड-19 महामारी भारत समेत पूरी दुनिया में तबाही ला रही है, हमारे जीवन और रोज़गार के लिए परेशानी खड़ी कर रही है. भारत के स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र नोवल कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए मार्च 2020 में लगाई गई पाबंदियों की वजह से लगभग पिछले एक वर्ष से अपने-अपने संस्थानों में जाने में असमर्थ हैं । इसकी वजह से छात्रों को बड़ा नुक़सान हुआ है ।

जब करोड़ों नौजवानों को अपने परिवार के दूसरे सदस्यों की तरह घर पर रहने के लिए कहा गया है और जब शैक्षणिक संस्थान बंद हैं, उस वक़्त ऑनलाइन शिक्षा इन छात्रों की पढ़ाई-लिखाई को सुनिश्चित करने के लिए एकमात्र विकल्प दिख रही थी लेकिन ये सवाल बना हुआ है कि क्या हम अपने देश में छात्रों को दी जाने वाली शिक्षा की क्वालिटी से समझौता किए बिना इन वैकल्पिक तरीक़ों का इस्तेमाल करने के लिए तैयार थे बहुत से शैक्षणिक संस्थाओं में ऑनलाइन पढ़ाई के माध्यम से छात्रों को कक्षा कक्ष जैसा माहौल प्रदान कर उनकी शिक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाए परंतु यह शिक्षा गरीब और पिछड़े क्षेत्र के लोगों के लिए कारगर साबित नहीं हुई क्योंकि उनके पास न ही अच्छे स्मार्ट फोन थे और न ही मोबाईल फोन नेटवर्क की जानकारी । इन सबके अभाव में उन बच्चों के शिक्षा पर गहरा प्रभाव पड़ा जिसकी भरपाई करना अब हमारे लिए बड़ी चुनौती बन गई है । अब धीरे-धीरे स्कूल खूलने लगे हैं ऐसे में शिक्षकों के लिए चुनौती बन जाती है कि बच्चों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराना, मास्क लगाना, हैंड सैनिटाइजर का उपयोग करने के साथ-साथ बच्चों के पढ़ाई के गिरे हुए स्तर को ऊँचा उठाना भी है । हमारे देश में ऐसे कई सारे गाँव हैं जहाँ ऑनलाइन सुविधा न होने के कारण लगभग डेढ़ साल तक पढ़ाई से वंचित रहे ऐसे में वे पढ़ने लिखने एवं समझने में काफी पीछे हो गए होंगें । स्कूल खुलने के बाद मैनें अपने सहयोगियों और अचंल के प्राचार्यों से विद्यार्थियों के पढ़ाई स्तर चर्चा करते हुए पाया कि सभी स्कूलों के विद्यार्थियों के लेखन कौशल में भारी कमी आई है । लगभग डेढ़ साल के बाद विद्यार्थियों की हस्तलिपि लगभग बुरी तरह प्रभावित हुई है । बच्चों में तर्क क्षमता, सीखने एवं समझने की क्षमता में कमी देखी गई एवं स्मार्ट फोन की लत से ग्रसित होने की वजह से उनके स्वभाव में चिड़चिड़ापन और किसी भी चीज को स्वीकार करने में असहजता देखी गई । अब हमारे सामने यह चुनौती है कि इस सारी समस्याओं को कैसे बच्चों को उबारें, सबसे पहले बच्चों की पढ़ाई में रूचि बढ़ाने के लिए बच्चों की क्षमता, योग्यता और बुध्दि स्तर के अनुसार विषय पर आधारित सरल-सरल टॉपिक लें और उन्हें विस्तार से समझाकर विषय के प्रति रूचि जागृत करें । खेलविधि एवं विभिन्न क्रियाकलापों द्वारा विषय के टॉपिक को समझाएं ताकि बच्चे को समझने में आसानी हो और उसका मन विद्यालय आने में लगा रहे । शुरूआत में बच्चों में ऐसी लगन आने से आगे चलकर वे अपने योग्यता एवं बुध्दि के स्तर को बढ़ाकर विषय के कठिन स्तर को आसानी से हल कर सकते हैं । बच्चों को खेलकूद के साथ शारीरिक एवं योगाभ्यास कर शिक्षा प्रदान करें जिससे वे कोरोना जैसे महामारी में स्वास्थय का ध्यान रख सकें ।

माता-पिता को अपने ज़िम्मेदारी ख़त्म, इस बात से नही समझ लेना चाहिए कि उन्होने बच्चे को स्कूल में एडमिशन करा दिया है। अगर वो बच्चे में पढ़ाई के प्रति लगन और दिलचस्पी विकसित नही कर पाएँगे, तो बच्चे पढ़ाई में मन नही लगा पाएँगे। इसलिए ये ज़रूरी है कि उनकी पढ़ाई कि उन्नति को नियमित रूप से देखा जाए। कभी-कभी बच्चे कुसंगति के कारण स्कूल ना जाकर अपना समय कही और गुज़ारने लगते है। इसलिए माता-पिता को चाहिए कि वो समय-समय पर जानकारी प्राप्त करते रहे कि उनका बच्चा स्कूल में नियमित रूप से जाता है या नही।

दूसरी समस्या बच्चों की हस्तलिपि सुधार करने की चुनौती-

हमें बच्चों के हस्तलिपि को सुंदर बनाने के लिए उनके मनपसंद के विषय पर आधारित कहानी, कविता, संवाद, श्रुतलेख, निबंध आदि रूचिपूर्ण विषयों पर थोड़े-थोड़े लिखने के लिए कहें, ऐसे में विद्यार्थियों के लेखन कौशल में रूचि जागृत होगी और वे धीरे-धीरे सरल से कठिन विषयों पर लिखने की शक्ति का विकास करेंगें ।


बच्चों में बढ़ाएं जिज्ञासापन एवं सृजनात्मकता का विकास-


▪️ अपने बच्चों को पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करें क्योंकि यह उन्हें वाक्य संरचना, व्याकरण और शब्दावली के बारे में सिखाएगा। अच्छे पाठक सामान्य रूप से अच्छे लेखक बनते हैं।
▪️अपने बच्चों को दिखाएं कि आप उनके लेखन को महत्व देते हैं। त्रुटियों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय सामग्री की प्रशंसा करें।
▪️अपने बच्चों को संशोधित करने और फिर से लिखने के लिए प्रोत्साहित करें जब तक कि वे वास्तव में परिणामों से संतुष्ट न हों।
▪️ दूसरा महत्वपूर्ण बिन्दू यह है कि बच्चों में सृजनात्मक शक्ति का विकास करना । विद्यार्थियों में सृजनात्मकता का विकास करने के लिए शिक्षकों को कक्षा में ऐसे वातावरण का निर्माण करें की विद्यार्थी भयमुक्त होकर प्रश्न कर सकें ।
▪️विद्यार्थियों के विचारों एवं सुझावों का सम्मान एवं स्वागत करें ।
▪️विद्यार्थियों को ऐसे अवसर दिये जायें कि उनमें वैचारिकता का प्रवाह बना रहे ।
▪️विद्यार्थियों के व्यक्त कौशलों के अतिरिक्त उन्हें अन्य कौशलों के विषय में जानने हेतु प्रेरित करें ।
▪️ कक्षा कार्य और गृहकार्य ऐसा हो जिसमें विद्यार्थी अपनी योग्यता और रूचि के आधार पर सोच समझ कर लिख सकें ।
▪️ विद्यार्थियों को सकारात्मक अभिप्रेरणा देना बहुत आवश्यक है । विद्यालय में ऐसी प्रतियोगिता का आयोजन करें की विद्यार्थी अपनी सृजनात्मकता क्षमता का प्रदर्शन कर सकें ।
▪️विद्यार्थियों के कार्यो को समाज संस्तुति दिलाने का प्रयास करें ।
▪️ सृजनात्मकता को अधिगम का महत्वपूर्ण हिस्सा माने । बालकों में ज्ञान प्राप्ति हेतु इच्छा को विस्तार दें ।
▪️विद्यार्थियों के सृजनात्मक उत्पादों को तत्कालीक विशेषज्ञों से तुलना करने को प्रेरित करें । विभिन्न कलाओं, साहित्य और संस्कृति के समागम का प्रबंध करें । विभिन्न विषयों को सहसम्बन्धित करके अधिगम प्रदान करें जैसे कला के माध्यम से रेखागणित का शिक्षण ।

निश्चय ही किसी समाज के विकास के लिए सृजनात्मकता एक आवश्यक शर्त है । अतः शिक्षकों एवं अभिभावकों का सामूहिक दायित्व है कि बच्चों में ऐसे गुणों का विकास किए जाएं जैसे बच्चों स्वभाव से सृजनात्मक बने जिज्ञासु रहे, पढ़ाई एवं लेखन कौशल में अग्रणी रहें ।