मुंबई ,12 मार्च 2025:बलूचिस्तान को पाकिस्तान को फलो की टोकरी भी कहा जाता है. जहां पर चेरी, अंगूर, बादाम, खुबालनी और आड़ू जैसे फलों का प्रोडक्शन होता है. अगर बात खजूर की करें तो पूरे पाकिस्तान का 70 फीसदी प्रोडक्शन सिर्फ बलूचिस्तान में ही किया जाता है.
बलूचिस्तान एक छोटा पाकिस्तान है और पाकिस्तान एक बड़ा बलूचिस्तान है. अपनी किताब प्रिजनर्स ऑफ जियोग्राफी में टिम मार्शल कहते हैं, “बलूचिस्तान के बिना पाकिस्तान नहीं है.” बलूचिस्तान को हमेशा से ही जियो पॉलिटिकल चश्मे से ही देखने की कोशिश की गई. जिसकी वजह से वहां पर गरीबी, बेरोजगारी और अंतरराज्यीय संघर्ष पैदा हुए. वहां की इकोनॉमी और इकोनॉमिक संपदा पर कभी ना तो गौर किया गया और उस पर वैसा काम हुआ.
हाल ही में, बलूचिस्तान के फार्मर सीएम डॉ. अब्दुल मलिक बलूच ने कहा कि ग्वादर पोर्ट मुख्य रूप से सैन्य उद्देश्यों के लिए बनाया गया था और कोई भी मालवाहक विमान नए ग्वादर पोर्ट पर नहीं उतरेगा क्योंकि इसे विशेष रूप से सैन्य लड़ाकू विमानों के लिए डिज़ाइन किया गया था, जो दर्शाता है कि भू-पॉलिटिकल ढांचे से प्रांत के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है.
अगर वहां की इकोनॉमी को समझने की कोशिश करें तो बलूचिस्तान को पाकिस्तान को फलो की टोकरी भी कहा जाता है. जहां पर चेरी, अंगूर, बादाम, खुबालनी और आड़ू जैसे फलों का प्रोडक्शन होता है. अगर बात खजूर की करें तो पूरे पाकिस्तान का 70 फीसदी प्रोडक्शन सिर्फ बलूचिस्तान में ही किया जाता है. ऐसे में आप समझ सकते हैं कि पाकिस्तान के इस प्रांत की इकोनॉमी किस चीज पर निर्भर करती है.
फलों की टोकरी है बलूचिस्तान
एग्रीकल्चर सेक्टर की बात करें तो ये बलूचिस्तान की इकोनॉमी की रीढ़ है. प्रांत को “पाकिस्तान की फलों की टोकरी भी कहा जाता है. यहां पर देश के चेरी, अंगूर और बादाम के 90 फीसदी, खुबानी, आड़ू और अनार के 60 फीसदी का उत्पादन होता है. प्रांत देश के खजूर उत्पादन का लगभग 70 फीसदी और सेब का 34 प्रतिशत उत्पादन करता है. माना जाता है कि अकेले मकरान डिवीजन में सालाना लगभग 425,000 टन खजूर का उत्पादन होता है. ताज्जुब की बात तो ये है कि इतना बड़ा उत्पादक होने के बाद भी प्रांत अभी भी खजूर के नेशनल एक्सपोर्ट में पर्याप्त हिस्सेदार नहीं है. किसानों को सब्सिडी प्रदान करना, कृषि क्षेत्र का आधुनिकीकरण करना और पानी की कमी को दूर करना फलों की पैदावार को और बढ़ाएगा. पाकिस्तान ऑब्जर्वर की रिपोर्ट के अनुसार प्रांत में 11.77 मिलियन एकड़ से अधिक भूमि अभी भी बंजर और बेकार है. अवारन जिले को पाकिस्तान की प्याज की राजधानी कहा जाता है.
पर्यटन की भी है क्षमता
वर्ल्ड ट्रैवल एंड टूरिज्म काउंसिल (WTTC) के अनुसार, ट्रैवल और टूरिज्म सेक्टर्स ने ग्लोबल इकोनॉमी में 8.3 ट्रिलियन डॉलर का योगदान दिया है. साल 2017 में इस सेक्टर ने दुनिया में 313 मिलियन नौकरियां जेनरेट किया है. पाकिस्तान ऑब्जर्वर की रिपोर्ट के मुताबिक बलूचिस्तान, अपनी खूबसूरती और ऐतिहासिक स्थलों के साथ, विदेशी और घरेलू पर्यटकों के लिए एक प्रमुख टूरिज्म सेंटर बनने की अपार क्षमता रखता है, जो पाकिस्तान की इकोनॉमी में सुधार कर सकता है. जिसमें मेहरगढ़ सभ्यता, दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक और नोश्की का रेगिस्तानी जैसी जगहें हैं. सबसे ठंडा जिला ज़ियारत में कायद-ए-आज़म का घर और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा जुनिपर जंगल है, जो इसे गर्मियों का प्रमुख डेस्टीनेशन है.
बलूचिस्तान में पाकिस्तान का 52 फीसदी पशुधन
बलूचिस्तान में पाकिस्तान की भेड़ों, ऊंटों और बकरियों का लगभग 52 फीसदी हिस्सा है. पशुधन शुष्क इलाकों में लगभग 66 प्रतिशत परिवारों को रोजगार प्रदान करता है जहां फसल उगाना लगभग असंभव है. इस प्रांत में पाकिस्तान की पशुधन आबादी का 40 प्रतिशत हिस्सा है और इसकी 70 प्रतिशत आबादी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इस क्षेत्र से जुड़ी हुई है. पशुधन क्षेत्र में महत्वपूर्ण निवेश करके सीपीईसी के तहत 70 प्रतिशत लोगों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार होने की संभावना है.
मरीन इकोनॉमी
बलूचिस्तान के तटीय क्षेत्र सिंध प्रांत की पूर्वी सीमा पर गोथ हाजी अलानो से लेकर ईरान की ग्वादर खाड़ी की पश्चिमी सीमा पर जिवानी तक 750 किलोमीटर तक फैले हुए हैं. ये क्षेत्र ब्लू इकोनॉमी के लिए काफी वैल्यूएबल असेट है. रिपोर्ट के अनुसार इन क्षेत्रों में मत्स्य पालन का पूरी तरह से कैपिटलाइजेशन नहीं किया गया है. पाकिस्तान का 70 फीसदी समुद्री जीवन बलूचिस्तान के तटीय क्षेत्र में है, जिसमें खनिज, तेल भंडार, शेल गैस, हाइड्रोकार्बन और बजरी जैसे गैर-जीवित प्राकृतिक समुद्री संसाधन हैं. बलूचिस्तान में मत्स्य पालन तटीय क्षेत्रों में स्थानीय रोजगार का लगभग 70 फीसदी हिस्सा है, जिसकी समुद्री मछली पकड़ने की क्षमता 500 मिलियन डॉलर है जो संभावित रूप से 100 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है.
नेचुरल रिसोर्स की कमी नहीं
पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट के अनुसार प्रांत प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध है. यहां पर नेचुरल गैस, ब्लैक पर्ल , तांबा, क्रोमाइट, गोल्ड, ऑयल और कीमती पत्थर शामिल हैं. इसमें 5.87 बिलियन टन तांबा है, जो दुनिया में सबसे अधिक एक्सप्लोरेशन रेट है, जिसमें 5.6 बिलियन टन तांबा और 20 मिलियन औंस सोना और चांदी है. इसमें 217 मिलियन टन कोयला और 19 ट्रिलियन क्यूबिक फीट प्राकृतिक गैस भी है. हालांकि, मिनिरल एक्सट्रैक्शन एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है. अपने संसाधन संपदा के बावजूद, गरीबी बनी हुई है और स्थानीय समुदायों को बहुत कम लाभ मिलता है. पाकिस्तान के कई सबसे मूल्यवान खनिज बलूचिस्तान और पूर्व-एफएटीए जैसे गरीब क्षेत्रों में स्थित हैं, फिर भी उन्हें विदेश में प्रोसेस्ड किया जाता है, जिससे स्थानीय आबादी को बहुत कम लाभ मिलता है. बलूचिस्तान विभिन्न डेवलपमेंट इंडेक्स में निचले पायदान पर है, जहां प्रति व्यक्ति आय 1,000 डॉलर से कम है.