दो दिनों की बैंक हड़ताल में अटके 38 लाख चेक, कई हजार करोड़ के काम भी रुके..

सरकारी बैंक के कर्मचारियों की दो दिनों की हड़ताल (Bank strike) शुक्रवार को खत्म हो गई है. लेकिन इन दो दिनों की बैंक हड़ताल में बैंकिंग से जुड़े कई काम पूरी तरह से ठप पड़े रहे. बता दें, दो दिनों की हड़ताल के दौरान केवल चेक क्लियरेंस ना होने से करीब 37 हजार करोड़ रुपये के काम रुक गए हैं.

सरकार की ओर बैंकों के निजीकरण के विरोध में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के कर्मचारी 16 और 17 दिसंबर को दो दिनों की हड़ताल पर थे. जिसके चलते, करीब 38 लाख चेक दो दिन में अटक गए और उनका भुगतान नहीं हो पाया.

दो दिन में अटके 38 लाख चेक

एक ओर जहां, ग्राहकों को बैंको का कामकाज बंद होने की वजह से जमा निकासी, चेक समाशोधन और लोन मंजूरी जैसी सर्विस के ठप होने से परेशानियों का सामना करना पड़ा. तो वहीं दूसरी ओर, कारोबारियों को भी काफी नुकसान उठाना पड़ा है. एनडी एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक इस हड़ताल के चलते करीब 38 लाख चेक फंस गए और दो दिन में क्लियर नहीं हो पाए हैं. अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (AIBEA) के महासचिव सीएच वेंकटचलम के मुताबिक, 38 लाख चेक दो दिन में रुकने से करीब 37 हजार करोड़ रुपये के चेक का भुगतान नहीं हुआ है.

तीन शहरों में हैं चेक क्लीयरेंस सेंटर

फिलहाल देश के तीन शहरों दिल्ली, मुंबई और चेन्नई में चेक क्लियरेंस सेंटर हैं. वंकटाचलम ने दावा किया कि, चेन्नई में करीब 10,600 करोड़ रुपये के करीब 10 लाख चेक क्लियर नहीं हो पाए हैं. वहीं इसी तरह, मुंबई में 18 लाख चेक क्लियर नहीं हुए, जो लगभग 15,400 करोड़ रुपये थे. वहीं, दिल्ली में दो दिनों की हड़ताल की वजह से 11 हजार करोड़ रुपये के करीब 11 लाख चेक क्लियर नहीं हो पाए.

पहले दिन अटका इतने करोड़ रुपये का काम

वेंकटचलम के मुताबिक, गुरुवार को यानी की बैंक की हड़ताल के पहले दिन 18,600 करोड़ रुपये के 20.4 लाख चेक से जुड़े लेनदेन नहीं हो पाए थे. गौरतलब है कि, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया समेत दूसरे सरकारी बैंकों ने पहले ही ग्राहकों को जानकारी दी थी कि, हड़ताल के चलते उनकी ब्रांच में सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं. हालांकि, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक जैसे निजी क्षेत्र के बैंकों में काम सामान्य रूप से जारी रहा. लेकिन, बैंक चेक समाशोधन प्रभावित हुआ.

क्यों हुई थी दो दिनों की हड़ताल

दरअसल, कर्मचारी चालू वित्त वर्ष में दो और सरकारी बैंकों के निजीकरण करने के सरकार के फैसले के खिलाफ हड़ताल कर रहे थे. बता दें, सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में दो सरकारी बैंकों के निजीकरण की घोषणा की थी.

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