बाबा विश्वनाथ धाम में राजस्थान ने छोड़ी छाप, 3 महीनों की मेहनत से जालौर के कारीगरों ने बनाए 3 टन वजनी दरवाजे…

काशी विश्वनाथ मंदिर भारत में हिंदुओं की आस्था की आस्था का केंद्र है. भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर काशी विश्वनाथ मंदिर और गंगा नदी के घाटों को जोड़ता है. वाराणसी के लोगों के लिए यह बेहद खुशनुमा पल कि अब बाबा विश्वनाथ 5 लाख वर्ग फुट के विशालकाय क्षेत्र में विराजमान होंगे, वहीं काशी विश्वनाथ धाम परियोजना से राजस्थान का योगदान प्रदेशवासियों के लिए गौरव का विषय है.

बता दें कि काशी में बाबा के धाम में वास्तुकला के साथ आध्यात्मिक भाव को दर्शाने के लिए मेहराबें, ऊंची दीवारें और स्तंभों पर की गई नक्काशियां अलग छाप छोड़ रही है, लेकिन इस बीच बाबा के दरबार में लगे दरवाजे हर किसी को आकर्षित कर रहे हैं जो राजस्थान के कारीगरों ने महीनों की मेहनत से तैयार किए हैं.

कॉरिडोर परिसर को 3 भागों में बांटा गया है जहां लगे 6 बड़े राजस्थान के जालौर जिले के रामसीन में बनाए गए हैं. इन दरवाजों में 3 हजार किलोग्राम वजनी काशी विश्वनाथ मंदिर का मुख्य दरवाजा भी शामिल है जो हर किसी को आकर्षित कर रहा है.

कारीगर कालू सुथार और उनकी टीम ने तैयार किए दरवाजे

जालौर के रामसीन में शिवम आर्ट चलाने वाले कारीगर कालू सुथार और उनके 30 कारीगरों की टीम ने 3 महीने हर रोज 18 घंटे काम कर परिसर के दरवाजे तैयार किए हैं. कालूराम ने बताया कि हमारे 30 कारीगरों की टीम ने रामसीन में शिवम आर्ट वर्कशॉप में काशी विश्वनाथ मंदिर के 6 दरवाजे तैयार किए हैं जिनमें 2 दरवाजे मुख्य द्वार के हैं. दरवाजों के लिए सांगवान की लकड़ी पाली के सुमेरपुर से मंगवाई गई है.

कालूराम कहते हैं कि इन दरवाजों में 4 दरवाजे परिसर से अंदर लगे हैं वहीं एक दरवाजा मुख्य द्वार और दूसरा दरवाजा घाट की तरफ लगाया गया है. वहीं परिसर के बाहर के दोनों दरवाजों का करीब 3-3 टन वजन है.

वह आगे बताते हैं कि मुख्य दरवाजा 23 फीट ऊंचा और 16 फीट चौड़ा है. वहीं मुख्य दरवाजे का एक पलड़ा 8 फीट चौड़ा है और दरवाजों के दोनों पलड़ों में मिलाकर 108 चौपड़ या फूल लगाए गए हैं जिनमें पीतल की कटोरियां लगी हुई है.

बाबा विश्वनाथ धाम के लिए काम करना मेरे लिए गर्व की बात : कालूराम

पीएम मोदी के इस ड्रीम प्रोजेक्ट पर काम करने को लेकर कालूराम कहते हैं मैं 30 सालों से आर्ट के काम से जुड़ा हूं इस दौरान राजस्थान के कई मंदिरों और दर्शनीय स्थानों के लिए काम करने का मौका मिला लेकिन बाबा विश्वनाथ धाम के लिए दरवाजे तैयार करके मैं काफी गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं.

वह कहते हैं कि हमारे कारीगरों ने डिजाइन मिलने के बाद से लगातार काम किया और 8 दिसंबर को रामसीन से 3-4 दिनों के सफर के बाद 1300 किलोमीटर दूर वाराणसी दरवाजों को पहुंचाया गया. बता दें कि राजस्थानी की कारीगरी को देख खुद पीएम मोदी भी अभिभूत हो गए और उन्होंने दरवाजों को काफी देर तक निहारने के बाद कारीगरों की तारीफ की.

गौरतलब है कि बीते 13 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के वाराणसी में काशी विश्वनाथ धाम परियोजना के पहले चरण का उद्घाटन किया जिसके बाद आने वाले कुछ समय में गंगा घाट से सीधे कॉरिडोर के रास्ते बाबा विश्वनाथ के दर्शन किए जा सकते हैं.

बताया जा रहा है कि इस प्रोजेक्ट को शुरू करने के पीछे सबसे बड़ा उद्देश्य विरासत संरचनाओं को संरक्षित करने का है. कॉरिडोर का निर्माण करीब 339 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है जिसके पहले चरण में कुल 23 भवनों का उद्घाटन किया गया है. परिसर में संगमरमर के 22 शिलालेख लगाए गए हैं, जिसमें काशी की महिमा के बारे में बताया गया है.

काशी विश्वनाथ परिसर जहां पहले लगभग 3000 वर्ग फुट तक ही सीमित था, अब उसे इस प्रोजेक्ट की मदद से लगभग 5 लाख वर्ग फुट के विशाल क्षेत्र में जगह दी गई है।

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