मुंबई,19मई 2025 : जब भी इनकम टैक्स रिटर्न खुलने के बाद से सभी टैक्स पेयर्स रिटर्न जल्द से जल्द फाइल कर देना चाहते हैं. कोई ज्यादा समय तक रुकना नहीं चाहता है. अगर आप भी पोर्टल खुलते ही टैक्स फाइल करने वालों में से हैं, तो यह खबर आपके लिए है. आइए हम आपको बताते हैं कि टैक्स फाइलिंग का सही समय और तरीका क्या हो सकता है. आपको फाइलिंग में जल्दबाजी करनी चाहिए या फिन नहीं. समझते हैं.
आईटी फाइल का पोर्टल जब भी ओपन हो उसे फाइल करने से पहले कुछ महत्वपूर्ण जानकारी अपडेट होने का इंतजार करना जरूरी है. विशेषज्ञों का कहना है कि करदाताओं को 15 जून तक इंतजार करना चाहिए. क्योंकि बैंकों, नियोक्ताओं और अन्य संस्थाओं को 31 मई तक वित्तीय लेनदेन, टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स (TDS) और टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स (TCS) की जानकारी अपडेट करने की समय सीमा होती है. इसके बाद इस जानकारी को एनुअल इन्फॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) और फॉर्म 26AS में अपडेट होने में 7 से 10 दिन और लग सकते हैं.
जल्दी ITR फाइल करने से क्या होगा?
अगर करदाता AIS और फॉर्म 26AS के पूरी तरह अपडेट होने से पहले ITR फाइल करते हैं, तो जानकारी में अंतर आ सकता है. उदाहरण के लिए, मान लीजिए किसी कर्मचारी का नियोक्ता हर महीने 10,000 रुपये TDS काटता है. मार्च 2025 तक यह राशि 1.2 लाख रुपये हो जाती है. लेकिन अगर नियोक्ता ने जनवरी-मार्च की तिमाही का TDS 31 मई तक अपडेट नहीं किया, तो टैक्स डिपार्टमेंट का सिस्टम केवल 90,000 रुपये TDS दिखाएगा. करदाता अपनी सैलरी स्लिप के आधार पर 1.2 लाख रुपये TDS का दावा कर सकता है, जिससे डेटा में अंतर आएगा. इससे टैक्स डिपार्टमेंट की ओर से नोटिस मिल सकता है.
ऐसे में दो स्थिति बन सकती हैं. पहली, अगर करदाता पूरे साल का TDS और आय का विवरण देता है, लेकिन AIS/26AS में यह अपडेट नहीं है, तो नोटिस मिल सकता है. इस मामले में करदाता रिटर्न को रीप्रोसेस करने के लिए रेक्टिफिकेशन फाइल कर सकता है. दूसरी, अगर करदाता केवल नौ महीने का डेटा दाखिल करता है, तो AIS और 26AS अपडेट होने पर आय या TDS में अंतर दिखेगा. ऐसी स्थिति में 31 दिसंबर तक रिवाइज्ड रिटर्न फाइल करना होगा. अगर यह समय सीमा चूक जाती है, तो अतिरिक्त टैक्स और ब्याज के साथ अपडेटेड रिटर्न फाइल करना पड़ सकता है.
क्या करना चाहिए?
एक्सपर्ट का मानना है कि करदाताओं को AIS और 26AS के पूरी तरह अपडेट होने का इंतजार करना चाहिए. नियोक्ता आमतौर पर 15 जून तक फॉर्म 16 जारी करते हैं, जिसमें सैलरी और TDS की पूरी जानकारी होती है. इस दौरान करदाता अपनी वित्तीय जानकारी जुटा सकते हैं और AIS के अपडेट होने पर उसका मिलान कर सकते हैं. अगर AIS में कोई गलती हो, तो करदाता पोर्टल के जरिए सुधार के लिए अनुरोध कर सकते हैं. जिन करदाताओं की आय केवल फिक्स्ड डिपॉजिट या किराए से है और कोई TDS नहीं काटा गया, वे जल्दी रिटर्न फाइल कर सकते हैं. हालांकि, TDS या TCS से जुड़े मामलों में पूरी राशि का खुलासा करना जरूरी है.
टैक्स विशेषज्ञों का कहना है कि ITR फाइल करने में जल्दबाजी से बचें. स्टेटमेंट ऑफ फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन (SFT), AIS और 26AS के अपडेट होने तक इंतजार करने से गलतियों और नोटिस की संभावना कम हो जाती है. सही समय पर सटीक जानकारी के साथ रिटर्न फाइल करना सबसे सुरक्षित तरीका है.