मौसम में तापमान के बढ़ने के साथ ही मलेरिया का खतरा भी बढ़ने लगा है. मलेरिया मादा मच्छर एनोफिलीज के काटने से फैलता है. इसमें मरीज को सर्दी लगने के बाद तेज बुखार होता है. यह बुखार पसीना आने के बाद उतर भी जाता है. लेकिन यह क्रम शुरु हो जाता है. मलेरिया में समय से उपचार नहीं करवाया जाए तो यह जानलेवा भी हो सकता है.
गर्मियों में होने वाली बारिश मलेरिया के लिए अनुकूल मौसम होता है. इन दिनों सभी जगह मच्छरों का प्रकोप बढ़ रहा है. जिसके कारण मलेरिया का खतरा भी तेजी से बढ़ रहा है. मलेरिया की शुरुआती लक्षणों की पहचान करके तुरंत इलाज शुरु करना चाहिए. मलेरिया गंभीर होने पर जानलेवा हो जाता है. कई बार मलेरिया बुखार दिमाग तक भी पहुंच जाता है. मलेरिया को शुरुआती लक्षणों में सर्दी लगना, तेज बुखार, उल्टी, चक्कर आना और सिर दर्ज जैसी परेशानियां होती हैं. मलेरिया का बुखार बिगड़ने पर ब्रेन हेमरेज तक हो सकता है.
मलेरिया टेस्ट
मलेरिया की पहचान के लिए दो तरह के टेस्ट किए जाते हैं. इनमें माइक्रोस्कोपी और रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट शामिल हैं. माइक्रोस्कोपी टेस्ट में ब्लड के सैंपल से जांच की जाती है. जबकि रैपिड टेस्ट किट के जरिए होता है. जिसका परिणाम तुरंत पता चल जाता है. रैपिड टेस्ट में मलेरिया परजीवियों के एंटीजन का पता लगाया जाता है. हालांकि रैपिड टेस्ट प्रारंभिक टेस्ट होता है. इस टेस्ट से मलेरिया की आशंका का पता चलता है और माइक्रोस्कोपी टेस्ट से मलेरिया की पुष्टि होती है. इनके अलावा मलेरिया की पहचान के लिए पीसीआर टेस्ट भी किया जाता है. इसके परिणाम आने में अधिक समय लगता है. इसके साथ ही डॉक्टर मलेरिया की जांच के लिए सीबीसी, एलएफटी जांच भी करवा सकते हैं.
बरतें सावधानी
मलेरिया जानलेवा भी हो सकता है. इसलिए इससे बचाव के लिए सावधानी बरतनी चाहिए. घर और आसपास मच्छरों को पनपने न दें. घर में साफ सफाई रखें और पानी जमा न होने दें. घर में मच्छर रोधी कीटनाशक और कॉयल का प्रयोग करें. मच्छरदानी लगाएं. बच्चों के प्रति सचेत रहें. बच्चों को पूरी बाजू वाले कपड़े पहनाएं.