हमारे शरीर में किडनी (गुर्दे) एक बेहद अहम अंग है. यह खून को साफ करने, शरीर से विषैले पदार्थ बाहर निकालने, पानी और नमक का संतुलन बनाए रखने और ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने का काम करती है, लेकिन बदलती लाइफस्टाइल, खानपान में गड़बड़ी, बढ़ता डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों के कारण किडनी की बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं. खास बात यह है कि शुरुआती स्टेज पर किडनी की बीमारी के लक्षण अक्सर नजर नहीं आते. इसलिए समय-समय पर जरूरी ब्लड टेस्ट कराना बहुत जरूरी होता है.
किडनी की बीमारी के शुरुआती संकेत
पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. समीर भाटी कहते हैं कि किडनी खराबी के लक्षण धीरे-धीरे सामने आते हैं. शुरू में शरीर में कोई खास बदलाव नजर नहीं आता, लेकिन धीरे-धीरे ये लक्षण दिख सकते हैं. समय रहते हैं इसकी अगर पहचान नहीं की गई तो आने वाले समय यह परेशानी बढ़ सकती है. जैसे पैरों, टखनों और चेहरे पर सूजन आना, पेशाब में झाग आना या रंग बदलना, बार-बार पेशाब आना खासतौर पर रात में अधिक बार यूरिन आना, कमजोरी और थकान महसूस होना, सांस लेने में परेशानी , भूख कम लगना, त्वचा पर खुजली और ड्राइनेस, अगर ऐसे लक्षण दिखें तो डॉक्टर से संपर्क कर जांच करानी चाहिए.
किडनी खराबी के लिए करवाएं ये टेस्ट
किडनी की खराबी पहचानने के लिए कुछ जरूरी ब्लड टेस्ट करवा लेना चाहिए. किडनी में खराबी की पहचान के लिए पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. समीर भाटी बताते हैं कि किडनी खराब होने के शुरुआती संकेत कम ही मिलते हैं. ऐसे में कुछ खून की जांच करवाकर इसकी शिनाख्त की जा सकती है.
सीरम क्रिएटिनिन टेस्ट- यह टेस्ट किडनी फंक्शन चेक करने का सबसे आम तरीका है. क्रिएटिनिन एक अपशिष्ट पदार्थ है जो मांसपेशियों की गतिविधि के दौरान बनता है और किडनी इसे शरीर से बाहर निकालती है. अगर ब्लड में क्रिएटिनिन का स्तर बढ़ा हुआ हो, तो यह किडनी खराबी का संकेत हो सकता है.
सामान्य रेंज-पुरुषों में 0.7 – 1.3 mg/dL और महिलाओं में 0.6 – 1.1 mg/dL
ब्लड यूरिया नाइट्रोजन (BUN) टेस्ट
यूरिया प्रोटीन के टूटने से बनने वाला पदार्थ है, जो खून में पाया जाता है और किडनी इसे फिल्टर करती है. BUN का बढ़ा हुआ स्तर भी किडनी की गड़बड़ी का संकेत हो सकता है.
सामान्य रेंज-7 – 20 mg/dL
ग्लोमेरुलर फिल्ट्रेशन रेट टेस्ट
GFR टेस्ट से पता चलता है कि आपकी किडनी खून को कितनी अच्छी तरह फिल्टर कर रही है. इसे क्रिएटिनिन लेवल, उम्र, लिंग और नस्ल के आधार पर कैल्कुलेट किया जाता है. GFR का कम होना किडनी की कमजोरी को दर्शाता है.
सामान्य GFR-90 mL/min या उससे ज्यादा
किडनी फंक्शन टेस्ट (KFT)
इसमें एक साथ कई ब्लड पैरामीटर जैसे क्रिएटिनिन, BUN, यूरिक एसिड आदि की जांच होती है. यह टेस्ट किडनी की समग्र सेहत का अंदाजा देता है.
यूरिक एसिड टेस्ट
अगर किडनी सही से यूरिक एसिड को बाहर नहीं निकाल पा रही है तो इसका स्तर खून में बढ़ जाता है. इससे गठिया और किडनी स्टोन की समस्या हो सकती है.
सामान्य रेंज-पुरुषों में 3.4 – 7.0 mg/dL, महिलाओं में 2.4 – 6.0 mg/dL
किन लोगों को ये टेस्ट कराना ज्यादा जरूरी है?
अब सवाल उठता है कि किडनी के ये टेस्ट किन लोगों को करवानी चाहिए. तो आइए बताते हैं इन लोगों को साल में एक बार यह टेस्ट करवा लेना चाहिए. खासकर डायबिटीज के मरीज, हाई ब्लड प्रेशर वाले लोग, मोटापे से परेशान लोग, 60 साल से ऊपर के लोग, जिन्हें पहले से किडनी स्टोन या फैमिली हिस्ट्री हो, बार-बार यूरिन इंफेक्शन वाले लोगों को यह टेस्ट करवाना लेना चाहिए.
किडनी खराबी से बचने के उपाय
रोजाना भरपूर पानी पिएं. कम नमक और कम फैट वाला संतुलित आहार लें. शराब, धूम्रपान और अनावश्यक दवाइयों से बचें, वजन नियंत्रित रखें, ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रखें, समय-समय पर किडनी की जांच करवाते रहें.