शेयर बाजार से कहां गायब हुए 24,753 करोड़ रुपये, एक हफ्ते में हुआ ये बड़ा हेर-फेर?

मुंबई : भारतीय शेयर बाजार को पिछले हफ्ते बड़ी राहत तब मिली, जब लंबे समय से चला आ रहा गिरावट का दौर थम गया. लेकिन इसके बावजूद पिछले हफ्ते भारतीय बाजार से 24,753 करोड़ रुपये गायब हो गए. आखिर कैसे हुआ ये बड़ा हेर फेर?

इंडियन स्टॉक मार्केट का बीता हफ्ता काफी सुकून भरा रहा. करीब 30 सालों में सबसे बड़ी गिरावट देखने के बाद पिछले हफ्ते भारतीय शेयर बाजार थोड़ा संभला और गिरावट का दौर थम गया. इसके बावजूद निवेशक अभी भी भारी नुकसान में हैं और इस बीच मार्केट से 24,753 करोड़ रुपये गायब भी हो गए हैं. मतलब बाजार से इतने पैसे बाहर निकल गए हैं.

दरअसल भारतीय शेयर की चाल तय करने में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की अहम भूमिका रहती है. इन निवेशकों के भारी मात्रा में एग्जिट होने की वजह से ही शेयर बाजार में ये भूचाल आया हुआ है. उनका भारतीय शेयर बाजार को छोड़कर जाना अभी भी जारी है. मार्च के पहले हफ्ते में एफपीआई ने इंडियन शेयर मार्केट से 24,753 करोड़ रुपये (करीब 2.8 अरब डॉलर) की निकासी की है.

क्यों जाने को बेताब है FPI?

भारतीय कंपनियों की कमजोर आय और ग्लोबल मार्केट में बढ़ते तनाव के चलते एफपीआई लगातार शुद्ध रूप से स्टॉक सेलर बने हुए हैं, यानी वह स्टॉक्स में किए गए अपने निवेश को लगातार निकाल रहे हैं. इससे पहले भी उनका भारतीय शेयर बाजार से पैसा निकालना जारी रहा है. फरवरी में विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार से 34,574 करोड़ रुपये और जनवरी में 78,027 करोड़ रुपये निकाले थे. डिपॉजिटरी डेटा से पता चलता है कि 2025 में अब तक एफपीआई ने कुल 1.37 लाख करोड़ रुपये की निकासी की है.

डेटा के मुताबिक एफपीआई ने इस महीने सात मार्च तक 24,753 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं. लगातार 13 हफ्तों से वह बाजार से निकासी कर रहे है . 13 दिसंबर 2024 से अब तक एफपीआई 17.1 अरब अमेरिकी डॉलर के शेयर बेच चुके हैं.

क्या है एक्सपर्ट की राय?

मॉर्निंगस्टार इंवेस्टमेंट के एसोसिएट डायरेक्टर और रिसर्च मैनेजर हिमांशु श्रीवास्तव का कहना है कि अमेरिका के मेक्सिको, कनाडा और चीन जैसे देशों पर हाई टैरिफ लगाने और भारत समेत कई देशों पर ‘जैसे को तैसा टैरिफ’ लगाने का ऐलान करने से मार्केट में निवेशकों का रुख प्रभावित हुआ है. उनका कहना है कि घरेलू मोर्चे पर कंपनियों के कमजोर नतीजों ने इस निगेटिव रुख को और बढ़ा दिया है. इससे एफपीआई भारतीय शेयरों को लेकर सावधानी बरत रहे हैं.

जहां एक तरफ भारतीय बाजार में अनिश्चिता है. वहीं चीन और यूरोप के बाजार में ग्रोथ मोमेंटम देखने को मिल रहा है. इसलिए एफपीआई निवेश का बड़ा हिस्सा इन बाजारों में जा रहा है.