Vedant Samachar

जब ‘खंभा’ की जगह लोग खरीदने लगें ‘पऊआ’, समझ लें इकोनॉमी में आ गया ये भूचाल

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नई दिल्ली ,18 मार्च 2025: अगर देश में लोग शराब के ‘खंभे’ की जगह ‘पऊआ’ या कहें कि बड़ी बोतल की जगह छोटी बोतल खरीदना शुरू कर दें, तब ये देश की इकोनॉमी में आने वाले एक बड़े भूचाल का संकेत हो सकता है. लोगों के शराब पर खर्च को ‘अनिवार्य खर्च’ की बजाय ‘शौक पर खर्च’ के रूप में देखा जाता है, इसलिए इसमें होने वाली कटौती को एक्सपर्ट अलग नजरिए से देखते हैं.

लोगों या इकोनॉमी की भाषा में कहें कंज्यूमर्स का गैर-जरूरी खर्च को घटाना अर्थव्यवस्था में मंदी का संकेत देता है. इकोनॉमिस्ट इसे अर्थव्यवस्था के तंग हालात से जोड़कर देखते हैं.

क्या आ रही है ग्लोबल मंदी?

अमेरिका में मंदी आने की आशंका अब बढ़ रही है. पारंपरिक और गैर-पारंपरिक दोनों ही तरह के इकोनॉमिकल इंडिकेटर हर तरह से इसी ओर इशारा कर रहे हैं. अगर अमेरिका में मंदी आती है, तो इसका असर सिर्फ वहीं तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि पूरी ग्लोबल इकोनॉमी पर ये देखने को मिलेगा. साल 2008 में भी अमेरिका की मंदी का असर दुनिया पर देखने को मिला था. लोगों की नौकरियां गईं थीं.अमेरिका में मंदी की आशंका इसलिए भी गहरा रही हैं, क्योंकि अर्थशास्त्रियों का मानना है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ट्रेड पॉलिसीज इंवेस्टर्स के कॉन्फिडेंस पर गहरी चोट कर सकती हैं.

20% तक बढ़ी मंदी आने की संभावना

किसी इकोनॉमी में जब लगाता 2 तिमाही तक इकोनॉमिक एक्टिविटीज में गिरावट दर्ज की जाती है, जब मंदी की स्थिति होती है. इसका असर जीडीपी में गिरावट के तौर पर देखने को मिलता है. हाल में गोल्डमैन शैक्स ने भी इस साल मंदी आने की संभावना को 20 प्रतिशत और बढ़ा दिया है. इकोनॉमी में मंदी का ये आभास पारंपरिक गणनाओं के माध्यम से देखा गया है.

शराब की बोतल और मंदी का कनेक्शन

पारंपरिक से इतर गैर-पारंपरिक इंडिकेटर भी मंदी के बारे इशारा करते हैं. अमेरिका में तो इस तरह के इंडिकेटर काफी पॉपुलर रहे हैं. जैसे पुरुषों के अंडरवियर खरीदने में गिरावट के ट्रेंड को भी इकोनॉमी में रिसेशन के तौर पर देखा जा सकता है, क्योंकि ये माना जाता है कि पुरुष अपने परिवार और बाकी जरूरतों को पूरा करने के बाद बहुत जरूरत पड़ने पर अंडरवियर की खरीद करता है.

कुछ ऐसा ही इंडिकेशन शराब की बोतल और सिगरेट खरीदने के पैटर्न से मिलता है. इकोनॉमी में बढ़ती बेचैनी को आप ग्राहकों के बिहेवियर से समझ सकते हैं. अगर इकोनॉमी में शराब की 50 ml की बॉटल जिसे ‘मिनिएचर’ या ‘निप्स’ भी कहते हैं, अगर बढ़ती है तो ये इकोनॉमी में मंदी का संकेत हो सकता है.

व्हिस्की और टकीला के अगर सस्ते ब्रांड या छोटी बोतल की सेल बढ़ जाती है, तो इसे भी इकोनॉमी में मंदी का संकेत माना जाता है. इसी तरह सिगरेट की गिरती सेल मंदी की ओर इशारा करती है.

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