कोरबा (विश्वनाथ केडिया)। नगर निगम कोरबा में संपन्न सभापति के चुनाव में बीजेपी के प्रदेश से नामांकित प्रत्याशी हितानन्द अग्रवाल के विरुद्ध,बीजेपी के पार्षद नूतन ठाकुर ने चुनाव लड़ा और चुनाव में उन्हें जीत मिली। बीजेपी एक अनुशासित पार्टी के रूप में जानी जाती है। संभवतः यह पार्टी के निर्णय के विपरीत लिया गया,पहली घटना है।इसे बीजेपी के प्रदेश नेतृत्व ने अनुशासन के विपरीत कार्य घोषित कर निर्वाचित सभापति नूतन ठाकुर जो बीजेपी के पार्षद हैं, पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से 6वर्ष के लिए निष्कासित करने आदेश जारी कर दिया। निष्कासन आदेश के बाद यह यक्ष प्रश्न घूम रहा है कि- नूतन ठाकुर प्रथमिक सदस्य कब बने..किसने सदस्य बनाया? दूसरा यक्ष प्रश्न- निष्कासन आदेश के बाद साकेत भवन जाकर सभापति का पदभार ग्रहण करना भी विस्मयकारी है। पदभार ग्रहण के समय भाजपा का कोई पदाधिकारी एवं पार्षद भी नहीं थे, साथ में अधिवक्ताओं की फौज थी। ऐसा लगता है कि सभापति की कुर्सी पर कब्जा साबित करने कानूनी दांवपेच अपने पक्ष में करने का प्रयास किया गया। तीसरा यक्ष प्रश्न-भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासन पश्चात क्या दल-बदल कानून के अंतर्गत पार्षद पद भी समाप्त हो सकता है?
कोरबा के विधायक लखनलाल देवांगन के नेतृत्व में पार्टी को लोकसभा चुनाव में कोरबा विधानसभा से, तथा महापौर के चुनाव और पहली बार पार्षदों के चुनाव में 45 पार्षदों को निर्वाचित कराने में अभूतपूर्व सफलता प्राप्त हुई है। प्रदेश में उनकी छवि स्वच्छ तथा राजनीतिक रूप से मजबूत पकड़ है। इसलिए,अब एकमात्र विकल्प बीजेपी के पास यही होगा कि वह निर्वाचित सभापति से त्यागपत्र लेकर, पार्टी के प्रदेश नेतृत्व के मार्गदर्शन में पुनः सभापति का चुनाव कराए।
इस पूरे घटनाक्रम पर राजनीतिक समीक्षक मानते हैं कि प्रदेश में सरकार भाजपा की, निगम में महापौर भी बीजेपी से है इसलिए पार्षद भी प्रदेश नेतृत्व के विपरीत नहीं जा सकते। मंत्री लखनलाल देवांगन की राजनीतिक छवि को धूमिल करने का प्रयास सभापति के चुनाव में गुटीय राजनीति के माध्यम से किया गया, जो अक्षम्य है। जो भी स्थानीय नेता इसमे लिप्त हैं उन पर भी अनुशासनात्मक कार्यवाही होनी चाहिए। हालांकि भारतीय जनता पार्टी ने इस मामले में जांच समिति गठित की है। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल को इस तीन सदस्यीय समिति का संयोजक बनाया गया है। पूर्व विधायक रजनीश सिंह और प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य श्रीनिवास राव मद्दी को सदस्य नियुक्त किया गया है। समिति को 7 दिनों के भीतर जांच रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं।