लंग्स कैंसर में आमतौर पर शुरुआती चरण में अधिकांश मरीजों में लक्षण नहीं उभरते हैं. कुछ लोगों में इसके लक्षण उभरते हैं, लेकिन वह उन्हें अनदेखा कर देते हैं. फेफड़ों में कैंसर का सबसे प्रमुख कारण धूम्रपान है. इसके अलावा वायु प्रदूषण और वेपिंग भी इसका एक मुख्य कारण हैं. फेफड़ों में कैंसर होने पर फेफड़ों की कोशिकाएं अनियंत्रित तौर पर बढ़ने लगती है. हालांकि उपचार की उच्च तकनीक आने के बाद फेफड़ों के कैंसर से होने वाली मौतों में कमी आई है.
परिवार में किसी को यदि फेफड़ों का कैंसर रहा है तो यह आपके लिए जोखिम कारक हो सकता है. इसके अलावा इसके और भी कई कारण हैं. सिगरेट, सिगार, पाइप या अन्य किसी तरह से तंबाकू का सेवन करना इसके जोखिम को बढ़ाता है. स्पेशलिस्ट के अनुसार फेफड़ों के कैंसर के 80 प्रतिशत मामलों में धूम्रपान ही कारण होता है. लंग्स कैंसर के शुरुआती लक्षण बेहद हल्के होते हैं जो कुछ ही मरीजों में दिखाई देते हैं. शुरुआती लक्षण कई बार दवा लेने पर बंद भी हो जाते हैं. जिसके कारण मरीज इसकी जांच नहीं करवाते और कैंसर की स्टेज बढ़ती जाती हैं.
ये होते हैं लक्षण
फेफड़ों का कैंसर होने पर शुरुआती लक्षण लगातार रहने वाली खांसी प्रमुख है. इसके अलावा सांस लेने में परेशानी, सीने में दर्द और वजन घटना भी इसका लक्षण है. आवाज बैठना और हमेशा थकावट महसूस होना. खांसी में खून आना और बार-बार सांस फूलना इसके गंभीर लक्षण हो सकते हैं. यदि किसी को यह लक्षण उभरते हैं तो उन्हें तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए. स्टेज बढ़ने पर जोखिम भी बढ़ता जाता है.
यह जांच करवाएं
यदि आपको बताए गए लक्षणों में कुछ भी महसूस हो रहा हो तो तुरंत जांच करवाएं. जांच में सबसे पहले एक्स-रे करवाया जा सकता है. एक्स-रे से फेफड़ों में होने वाले बदलाव का पता चल सकता है. फेफड़ों में बनने वाले ट्यूमर और अनियमितताओं को एक्स-रे के जरिए देखा जा सकता है. एक्स-रे में यदि स्पष्टता नहीं है तो सीटी स्कैन भी करवाया जा सकता है. इसके अलावा ब्लड टेस्ट से भी लंग कैंसर के बारे में पता लगाया जा सकता है. डॉक्टर से संपर्क करने पर वह आपकी ब्रोंकोस्कोपी भी कर सकते हैं. इसमें फेफड़ों में एक ट्यूब डालकर जांच की जाती है.