नई दिल्ली ,09 अप्रैल 2025: अमेरिका में पढ़ रहे सैकड़ों अंतरराष्ट्रीय छात्रों, खासकर भारतीयों, के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं। डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन ने कई छात्रों के एफ-1 स्टूडेंट वीजा और SEVIS रिकॉर्ड को अचानक रद्द कर दिया है। SEVIS एक इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम है, जो अमेरिकी सरकार के निर्देशों पर छात्रों की निगरानी करता है। इस कदम से हार्वर्ड, स्टैनफोर्ड, UCLA, कोलंबिया, पेनसिल्वेनिया, ड्यूक, मिशिगन और नॉर्थईस्टर्न जैसी बड़ी यूनिवर्सिटियों के छात्र प्रभावित हुए हैं।
अमेरिकी होमलैंड सिक्योरिटी और स्टेट डिपार्टमेंट का कहना है कि राष्ट्रीय सुरक्षा और प्रो-फिलिस्तीन प्रदर्शनों में शामिल छात्रों पर यह कार्रवाई हुई। हालांकि, कई यूनिवर्सिटियों ने बताया कि ज्यादातर मामलों में तकनीकी खामियां या SEVIS रिकॉर्ड में गड़बड़ी कारण रही। UC सिस्टम में 35 और नॉर्थईस्टर्न में 40 से ज्यादा छात्रों के वीजा रद्द हुए हैं।
भारतीय छात्रों पर असर
हर साल 2 लाख से ज्यादा भारतीय छात्र अमेरिका जाते हैं, ज्यादातर STEM कोर्सेज के लिए। वीजा रद्द होने की खबरों ने इनमें बेचैनी फैला दी है। UCLA की छात्रा नेहा अग्रवाल कहती हैं, “सहपाठियों के वीजा रद्द होने से हम डरे हुए हैं। सब अपना SEVIS स्टेटस चेक कर रहे हैं। हमें डर है कि कहीं बिना नोटिस के देश छोड़ना न पड़े।”
एफ-1 वीजा क्या है?
एफ-1 वीजा पूर्णकालिक पढ़ाई के लिए होता है, जो ऑन-कैंपस नौकरी और OPT की सुविधा देता है। नियम तोड़ने पर यह तुरंत रद्द हो सकता है।
यूनिवर्सिटियां सरकार से जवाब मांग रही हैं और छात्रों को कानूनी मदद दे रही हैं। यह मामला भारतीय छात्रों के भविष्य पर सवाल खड़े कर रहा है।