Vedant Samachar

मिडिल ईस्ट में तनाव बढ़ते ही रॉकेट हुआ ये PSU शेयर, 14% तक दिखी तेज़ी

Vedant Samachar
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मुंबई,13जून 2025 : शुक्रवार की सुबह इजरायल ने ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को निशाना बनाते हुए सटीक हमले किए. इन हमलों में बड़े ईरानी कमांडर और वैज्ञानिक मारे गए. ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला खामेनेई ने खुद इसकी पुष्टि की. इस खबर ने मिडिल ईस्ट में तनाव को और हवा दे दी. अब इसका असर तेल की सप्लाई और शिपिंग इंडस्ट्री पर पड़ना लाज़मी था. जैसे ही ये खबर बाज़ार में फैली, शिपिंग कंपनियों के शेयरों ने रफ्तार पकड़ ली.

शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (SCI) के शेयरों में तो मानो आग लग गई. स्टॉक सुबह 198 रुपये पर खुला, लेकिन कुछ ही देर में 13.61% की उछाल के साथ 234.37 रुपये पर पहुंच गया. यही हाल ग्रेट ईस्टर्न शिपिंग का रहा, जिसके शेयर 6% से ज़्यादा चढ़े. लेकिन सवाल ये है कि मिडिल ईस्ट का बवाल और शेयरों की चमक का क्या कनेक्शन है?

तेल टैंकरों की चांदी, बाल्टिक ड्राई इंडेक्स में उछाल
मिडिल ईस्ट में तनाव का सीधा असर तेल की सप्लाई और शिपिंग रेट्स पर पड़ता है. बाल्टिक ड्राई इंडेक्स, जो समुद्री रास्तों से कच्चे माल की शिपिंग कॉस्ट का बेंचमार्क है, पिछले एक महीने में 50% तक उछल चुका है. अकेले जून में इसमें 34% की बढ़ोतरी हुई, और गुरुवार को तो इंडेक्स में 9% की तेज़ी देखी गई. ये इंडेक्स बताता है कि शिपिंग की लागत और मांग दोनों में इज़ाफा हो रहा है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि मिडिल ईस्ट में बढ़ता तनाव शिपिंग कंपनियों के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकता है.

खासकर उन कंपनियों को, जिनके पास तेल और प्रोडक्ट टैंकर हैं. ग्रेट ईस्टर्न शिपिंग के पास 50% जहाज़ तेल और प्रोडक्ट टैंकर हैं, जिनकी मांग और कीमतें ऐसे हालात में आसमान छू सकती हैं. अगर तनाव और बढ़ता है या इलाके में जंग छिड़ती है, तो तेल टैंकरों के रेट्स और ज़्यादा बढ़ सकते हैं. ऐसा इसलिए, क्योंकि जहाज़ मिडिल ईस्ट जैसे जोखिम वाले इलाकों से बचने की कोशिश करते हैं, जिससे शिपिंग रूट्स लंबे हो जाते हैं और कॉस्ट बढ़ जाती है.

ईरान की बात करें तो वो रोज़ाना 2 मिलियन बैरल तेल एक्सपोर्ट करता है, जो ग्लोबल तेल सप्लाई का 2% है. अगर इस सप्लाई में कोई रुकावट आती है, तो तेल की कीमतें और शिपिंग रेट्स में और उछाल आ सकता है. ऐसे में शिपिंग कंपनियों की कमाई बढ़ने की पूरी गुंजाइश है.

SCI में म्यूचुअल फंड्स और FII का भरोसा
शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (SCI) में निवेशकों का भरोसा भी बढ़ता दिख रहा है.मार्च 2025 की तिमाही में म्यूचुअल फंड्स ने अपनी हिस्सेदारी को 0.13% से बढ़ाकर 0.57% कर लिया. ये छोटा-सा इज़ाफा इस बात का इशारा है कि बड़े निवेशक इस कंपनी के भविष्य को लेकर उत्साहित हैं. ट्रेंडलाइन के डेटा के मुताबिक, म्यूचुअल फंड्स और फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स (FII) का सपोर्ट SCI के लिए पॉजिटिव सिग्नल है.

अब इसके पीछे का लॉजिक समझिए. मिडिल ईस्ट में तनाव बढ़ने से तेल और गैस की शिपिंग में डिमांड बढ़ रही है. SCI जैसी PSU कंपनी, जो भारत सरकार की हिस्सेदारी वाली कंपनी है, के पास बड़े पैमाने पर टैंकर और शिपिंग इंफ्रास्ट्रक्चर है. ऐसे में निवेशक इसे सेफ बेट मान रहे हैं. साथ ही, सरकार की नीतियों और PSU कंपनियों को मिलने वाले सपोर्ट का भी फायदा SCI को मिल सकता है.

ग्रेट ईस्टर्न शिपिंग को क्यों मिल रहा बूस्ट?
ग्रेट ईस्टर्न शिपिंग भी इस रैली में पीछे नहीं है. कंपनी के शेयरों में 6% से ज़्यादा की तेज़ी देखी गई. इसका कारण भी वही मिडिल ईस्ट का तनाव है. कंपनी के पास तेल और प्रोडक्ट टैंकरों का बड़ा बेड़ा है, जो ऐसे हालात में अच्छा मुनाफा कमा सकता है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर तनाव और बढ़ता है, तो तेल टैंकरों की डिमांड और रेट्स में इज़ाफा होगा. इससे ग्रेट ईस्टर्न जैसे प्राइवेट प्लेयर्स को भी खूब फायदा हो सकता है.

मिडिल ईस्ट का तनाव का असर ग्लोबल इकॉनमी पर
मिडिल ईस्ट का बवाल सिर्फ़ शिपिंग कंपनियों तक सीमित नहीं है. इसका असर ग्लोबल इकॉनमी पर भी पड़ सकता है. ईरान का 2 मिलियन बैरल तेल रोज़ाना एक्सपोर्ट ग्लोबल ऑयल सप्लाई का अहम हिस्सा है. अगर इस सप्लाई में कोई रुकावट आती है, तो तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिसका असर पेट्रोल-डीज़ल से लेकर हर चीज़ की कीमत पर पड़ सकता है. भारत जैसे देश, जो तेल का बड़ा आयातक है, के लिए ये चिंता की बात हो सकती है.

लेकिन दूसरी तरफ, शिपिंग कंपनियों के लिए ये मौका है. लंबे शिपिंग रूट्स और बढ़ती डिमांड की वजह से उनकी कमाई बढ़ सकती है.खासकर PSU कंपनियों जैसे SCI को सरकारी सपोर्ट और मज़बूत इंफ्रास्ट्रक्चर का फायदा मिलता है, जिससे वो इस मौके को भुनाने में सक्षम हैं.

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