मुंबई,28 अप्रैल 2025 : पहलगाम में 22 अप्रैल को आतंकियों ने 25 मासूम पर्यटन और 1 लोकल व्यक्ति की गोली मारकर हत्या कर दी. कश्मीर घाटी में 2019 के बाद ये सबसे बड़ा आतंकी हमला है. आपको बता दें इससे पहले आतंकियों ने 2016 में सेना के बेस कैंप पर हमला किया था, जिसमें कई जवान शहीद हुए थे. इस हमले के बाद भारत ने उरी सर्जिकल स्ट्राइक की थी. वहीं 2019 पुलवामा अटैक के बाद भारत ने बालाकोट एयर स्ट्राइक की थी, जिसमें सैकड़ों की संख्या में आतंकी मारे गए थे. अब 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद सरकार से पाक के ऊपर एक और स्ट्राइक करने की मांग की जा रही है.
आपको बता दे पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने कई कठोर कदम उठाए हैं, जिसमें सिंधु जल समझौता रद्द किया गया है. साथ ही भारत में मौजूद सभी पाकिस्तानियों को वापस भेज दिया है. साथ ही भारत में पाकिस्तान के डिप्लोमा की संख्या घटा दी है. इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के मधुबनी और 27 अप्रैल को प्रसारित हुए मन की बात कार्यक्रम में साफ किया है कि पहलगाम हमले के आरोपी आतंकियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा.
ये तीन स्ट्राइक कुचलेगी आतंकियों का सिर
भारत सरकार पहलगाम के आरोपी आतंकियों पर जो कार्रवाई करेगी, उसके बारे में फिलहाल चर्चा करना संभव नहीं है, लेकिन इस सबके बीच अगर सरकार आतंकियों की फंडिंग पर लगाम लगा देती है तो आतंकियों का खुद ब खुद सिर कुचल जाएगा. दरअसल पाकिस्तान की आर्थिक हालात सही नहीं है, ऐसे में पाकिस्तान जो आतंकी गतिविधियां करता है उसके लिए ड्रग्स और फंडिंग से पैसे जुटाए जाते हैं. अगर भारत इन तीन जगह पर स्ट्राइक करता है तो पाकिस्तान की आतंक की फैक्ट्री की कमर अपने आप टूट जाएगी.
ड्रग्स की तस्करी
आतंकवादी संगठनों की फंडिंग के लिए नशीले पदार्थ यानी ड्रग्स बड़ा सोर्स है. जनरल ऑफ डिफेंस स्टडीज के अनुसार दुनिया में नशीले पदार्थों का कारोबार करीब 650 अरब डॉलर का है, जिसका एक हिस्सा आतंकियों व अतिवादियों के पास जाता है. आईएसआईएस और अफगान तालिबान इससे अपने खर्च निकालते आए हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार अफगानिस्तान में तालिबान अफीम के व्यापार से हर साल 40 करोड़ डॉलर की कमाई करते हैं. वहीं, अगर भारत की बात करें तो देश के पूर्वोत्तर के इलाकों में जो उग्रवादी संगठन हैं, उनकी फंडिंग के पीछे ड्रग्स के कॉर्टल हैं. यह पूरा कॉर्टल म्यान्मार से चलता है और उसके संपर्क थाईलैंड जैसे दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों तक हैं.

क्रिप्टोकरेंसी
एफएटीएफ के अनुसार क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल आतंकियों की फंडिंग के लिए बढ़ता जा रहा है. इसकी सबसे बड़ी वजह यह होती है कि एक तो इसे कहीं भी आसानी से ट्रांसफर किया जा सकता है और दूसरा इसमें पहचान को छिपाए रखना आसान होता है. 2023 में चैनलिसिस की एक रिपोर्ट के अनुसार आतंकी समूहों द्वारा क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से करीब 75 करोड़ डॉलर जुटाए गए. वहीं वॉल स्ट्रीट जर्नल में अक्टूबर 2023 में प्रकाशित एक रिपोर्ट कहती है कि आतंकी संगठन हमास से जुड़े क्रिप्टोकरेंसी के वॉलेट में बीते दो साल के दौरान 4.1 करोड़ डॉलर और पेलेस्टाइन इस्लामिक जिहाद (पीआईजे) को 9.3 करोड़ डॉलर मिले. टीआरएम लैब्स के मुताबिक 2022 में टीथर बिटकॉइन के जरिए टेरर फंडिंग में 240 फीसदी की बढ़त रही. पहलगाम अटैक के तार हमास स्टाइल से कॉपी बताए जा रहे हैं. साथ ही बताया जा रहा है कि POK में बीते 6 महीने से 3 हमास के आतंकी एक्टिव थे.
क्राउडफंडिंग
किसी भी चैरिटेबल काम के लिए क्राउडफंडिंग बहुत ही उपयोगी टूल माना जाता है. एफएटीएफ की 2023-24 की रिपोर्ट के अनुसार 2022 में दुनियाभर में क्राउडफंडिंग के 6 लाख से अधिक अभियान चल रहे थे. एफएटीएफ के मुताबिक अधिकांश अभियान विधिवत हैं, लेकिन उसने आगाह किया कि कई अभियान आतंकी गतिविधियों के लिए पैसे जुटाने के मकसद से शुरू किए गए हो सकते हैं. वहीं टीआरएम लैब्स की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान और ताजिकिस्तान में प्रो आईएसआईएस के कई ग्रुप्स ने क्राउडफंडिंग के जरिए पैसे जुटाए हैं. इसी तरह सीरिया स्थित आईएसआईएस के भी कई समूहों ने क्राउडफंडिंग से अपनी गतिविधियों के लिए धन एकत्र किया.