किडनी हमारे शरीर में राजमा के आकार के दो अंग हैं. इनका आकार मुट्ठी के बराबर होता है और ये कमर में पसलियों के नीचे की ओर होते हैं. किडनी के कई काम होते हैं. इनके महत्वपूर्ण कार्यों में ब्लड को फिल्टर करना और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालना होता है. किडनी शरीर के अपशिष्ट पदार्थों को यूरिन के रास्ते बाहर निकालती हैं. किडनी में खराबी होने पर इन कार्य में बाधा होती है, जिसका प्रभाव पूरे शरीर पर पड़ता है. सभी के शरीर में दो किडनी होती हैं, लेकिन किसी किसी के शरीर में एक ही किडनी होती है, लेकिन यदि वह सही तरीके से काम करती है तो जीवन में किसी तरह की परेशानी नहीं होती.
किडनी में खराबी आने पर कई बार काफी समय तक लक्षण नहीं उभरते. यदि किडनी की कार्य क्षमता प्रभावित होती है तो पूरे शरीर पर उसका प्रभाव दिखना शुरु हो जाता है. कई बार स्किन से लेकर दिल तक भी इसका प्रभाव नजर आता है. कई बार यह लक्षण इतने हल्के होते हैं कि उनकी पहचान नहीं हो पाती. कई बार हल्के लक्षणों को नजरअंदाज भी किया जाता है. लक्षण गंभीर होने पर मरीज इलाज की तलाश करते हैं. किडनी में खराबी का जल्द पता चलने पर इलाज आसान होता है और देर होने पर जान का खतरा हो सकता है.
ये होते हैं शुरुआती लक्षण
किडनी खराब होने की शुरुआत में कुछ लक्षण उभरते हैं, जिन्हें अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है. इन लक्षणों में यूरिन के पैटर्न में बदलाव शामिल होता है. इसके साथ ही हमेशा थकान महसूस होना भी किडनी खराब होने के प्रारंभिक लक्षणों में शामिल है. किडनी खराब होने की शुरुआत में स्किन पर एलर्जी हो सकती है. यह एलर्जी कहीं भी हो सकती है, जिसमें खुजली होती है. इनके अलावा शरीर पर सूजन, भूख में कमी आना, सांस लेने में परेशानी, सोने में परेशानी होना, उल्टी और मतली होना भी किडनी खराब होने के लक्षण हैं.
क्या करें
किडनी खराब होने के प्रारंभिक लक्षण उभरने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और अपनी दिनचर्या में बदलाव करें. किडनी खराब होने पर शरीर से अपशिष्ट पदार्थ निकलने में परेशानी होती है इसलिए डॉक्टर की सलाह पर पानी का सेवन कम करना चाहिए. खाने पीने में सावधानी बरतनी चाहिए. यदि आपको डायबिटीज और हाई बीपी की समस्या है तो किडनी को लेकर ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत होती है. किडनी खराब होने के शुरुआती दौर में यदि इलाज शुरु कर दिया जाए तो किडनी की पूरी तरह से डैमेज होने से बचाया जा सकता है.