ब्लड कैंसर को सबसे खतरनाक कैंसर में से एक माना जाता है. इसको हेमेटोलॉजिकल मैलिग्नेंसी भी कहा जाता है. यह कैंसर ब्लड सेल्स में शुरू होता है. सेल्स के असामान्य विकास के कारण ये कैंसर होता है और फिर शरीर की स्वस्थ सेल्स को भी नुकसान पहुंचाने लगता है. हाल ही में मेडिकल जर्नल द लैंसट की एक रिसर्च आई है, जिसमें बताया गया है कि हेमेटोलॉजिकल मैलिग्नेंसी वाले मरीजों में एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (एमआर) देखा जा रहा है. इसका मतलब यह है कि मरीजों पर बैक्टीरिया, वायरस को खत्म करने वाली दवाओं का असर नहीं हो रहा है.
रिसर्च में बताया गया है कि बीमारी फैलाने वाले बैक्टीरिया ने खुद को इतना ताकतवर बना लिया है कि उनपर दवाएं असर नहीं कर रही है. ब्लड कैंसर के मरीजों में कैंसर सेल्स दवाओं के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर सकती हैं. मरीजों में इम्यूनिटी की कमजोरी के कारण भी दवाएं प्रभावी ढंग से काम नहीं कर पाती हैं. ऐसे मेंब्लड कैंसर के मरीजों के इलाज में कई चुनौतियां सामने आ रही हैं. दवाओं का असर न होने के कारण मरीजों में मृत्युदर बढ़ने का भी खतरा है.
ब्लड कैंसर के मरीजों को ज्यादा खतरा क्यों?
ब्लड कैंसर के मरीजों की इम्यूनिटी काफी कमजोर होती है. इस वजह से उनको किसी भी प्रकार के इंफेक्शन का खतरा अन्य लोगों की तुलना में अधिक होता है. ब्लड कैंसर के मरीजों में एंटीबायोटिक का अधिक उपयोग होता है, जिससे एमआर का रिस्क ज्यादा हो रहा है. बीते कुछ सालों से देखा जा रहा है कि सिर्फ ब्लड कैंसर ही नहीं कई दूसरी बीमारियों के खिलाफ भी एमआर की समस्या हो रही हैं, लेकिन अन्य बीमारियों की तुलना में ब्लड कैंसर वालों को खतरा सबसे ज्यादा है. दवाओं का असर न होने के कारण भी यह कैंसर दूसरे कैंसर की तुलना में ज्यादा खतरनाक बनता जा रहा है.
क्या किया जा सकता है?
रिसर्च में बताया गया है कि इस तरह की समस्या से निपटने के लिए नई दवाओं का विकास करना जरूरी है. साथ ही व्यक्तिगत उपचार योजनाएं बनानाी जो प्रत्येक मरीज की जरूरतों को पूरा करें. मरीजों की इम्यूनिटी को मजबूत करने के लिए नई तरीकों पर भी काम करने की जरूरत है.