Vedant Samachar

फिर जागा महंगाई का ‘जिन्न’, फरवरी में इतना बढ़ गया WPI

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मुंबई ,17 मार्च 2025: करीब 3 महीने से सोया महंगाई का जिन्न एक बार फिर जागता हुआ दिखाई दे रहा है. फरवरी की थोक महंगाई दर (WPI) के सरकारी आंकड़े जारी हो गए हैं. इसमें एक बार फिर उछाल देखा गया है. फरवरी में होलसेल प्राइस इंडेक्स पर आधारित महंगाई दर मामूली रूप से बढ़कर 2.38 प्रतिशत हो गई है.

फरवरी से पहले जनवरी में थोक महंगाई दर 2.31 प्रतिशत के लेवल पर थी. थोक महंगाई में लगातार तीन महीने तक गिरावट देखी गई और अब इसके बाद अब फरवरी में मामूली बढ़ोतरी दर्ज की गई है.

क्यों बढ़ी महंगाई दर?

फरवरी में थोक महंगाई बढ़ने की बड़ी वजह सब्जी, तेल और पैकेज्ड ड्रिंक्स की कीमतों में तेजी आना है. पिछले साल फरवरी के डेटा को देखें, तब थोक कीमतों पर आधारित महंगाई की दर सिर्फ 0.2 प्रतिशत थी.

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि फरवरी 2025 में महंगाई दर में वृद्धि की मुख्य वजह खाद्य उत्पादों, खाद्य वस्तुओं, अन्य विनिर्मित वस्तुओं, गैर-खाद्य वस्तुओं और कपड़ा आदि की कीमतों का बढ़ना है. इस दौरान मैन्यूफैक्चर्ड प्रोडक्टस इंडेक्स भी 0.42 प्रतिशत बढ़ा है.

डेटा के मुताबिक मैन्यूफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की महंगाई दर बढ़कर 11.06 प्रतिशत हो गई. वहीं वनस्पति तेल की महंगाई दर में बढ़ोतरी 33.59 प्रतिशत और पैकेज्ड ड्रिंक्स में 1.66 प्रतिशत रही. हालांकि, सब्जियों की कीमतों में नरमी आई है.

सब्जियों की महंगाई कैसी रही?

थोक बाजार में आलू की महंगाई की दर 74.28 प्रतिशत से घटकर 27.54 प्रतिशत पर आ गई. इसका मतलब ये है कि जनवरी आलू की कीमतें जितनी बढ़ी थी, उसके मुकाबले इस महीने कम बढ़ी हैं, लेकिन इसका ये मतलब ये कतई नहीं है कि आलू की कीमतें सस्ती हैं. इसी तरह दूध की कीमतों में बढ़ोतरी पिछले महीने के 5.40 प्रतिशत से घटकर 1.58 प्रतिशत पर आ गईं. फलों और प्याज की कीमतें क्रमशः 20 प्रतिशत और 48.05 प्रतिशत बढ़ीं हैं.

पेट्रोल, बिजली और गैस का हाल

फरवरी में पेट्रोल-डीजल, गैस (ईंधन) और बिजली कैटेगरी की महंगाई दर में गिरावट देखी गई और ये 0.71 प्रतिशत रही है. जबकि पिछले महीने इसमें 2.78 प्रतिशत की गिरावट आई थी.

इक्रा में सीनियर इकोनॉमिस्ट राहुल अग्रवाल का कहना है कि आने वाले वक्त में अच्छी फसल और ऊंचे आधार प्रभाव से डब्ल्यूपीआई-खाद्य मुद्रास्फीति में और गिरावट आने की उम्मीद है. उन्होंने साथ ही जोड़ा कि सामान्य से अधिक तापमान फूड इंफ्लेशन के लिए रिस्क पैदा कर सकता है.

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