मुंबई :हॉलीवुड अभिनेत्री माइकी मैडिसन की फिल्म अनोरा ऐसे समय में रिलीज हुई और बेस्ट पिक्चर का ऑस्कर अवॉर्ड मिला, जब अमेरिका-रूस संबंधों को नये सिरे से परिभाषित किया जा रहा है. जानने की कोशिश करते हैं ऑस्कर अवॉर्ड में आखिर किस तरह की फिल्मों को दिया जाता है. क्या चाहते हैं अकेडमी अवॉर्ड्स कमेटी के सदस्य?
97वें एकेडमी अवॉर्ड्स की रेस में एक बार फिर भारतीय और हिंदी फिल्में किसी भी श्रेणी में कोई मुकाम नहीं हासिल कर सकीं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि हर साल ऐसा क्यों होता है? भारतीय या हिंदी फिल्में क्यों पिछड़ जाती हैं? हमारी फिल्में दुनिया की उन फिल्मों के मुकाबले किस आधार पर कमजोर साबित होती हैं, जिन्हें ऑस्कर अवॉर्ड के लिए चुना जाता है. आखिर बेस्ट पिक्चर, बेस्ट एक्टर, बेस्ट एक्ट्रेस या किसी भी कटेगरी में बेस्ट होने का ऑस्कर अवॉर्ड देने के पैमाने क्या हैं? यहां हम इसे समझने की कोशिश करेंगे.
भारत की ओर से विदेशी भाषा श्रेणी में इस बार किरण राव की फिल्म लापता लेडीज को ऑफिशियली भेजा गया लेकिन ब्रिटिश हिंदी फिल्म संतोष और प्रियंका चोपड़ा-गुनीत मोंगा की इंडो-अमेरिकन फिल्म अनुजा के मुकाबले पहले ही राउंड में बाहर हो गई. अनुजा की जगह आई एम नॉट ए रोबोट को यह अवॉर्ड मिला है. वहीं बेस्ट फीचर फिल्म की कटेगरी में अभिनेत्री माइकी मैडिसन की अनोरा को यह अवॉर्ड मिला है, जिसका अपना समसामयिक महत्व भी है. सवाल अहम हो जाता है कि एकेडमी अवॉर्ड्स कमेटी के सदस्य आखिर किस तरह की फिल्मों को प्रमुखता देते हैं. कहानी में विशेष तौर पर क्या-क्या देखा जाता है?
अनोरा के डायरेक्टर सीन बेकर का क्या है मकसद?
एकेडमी अवॉर्ड्स की सूची पर नजर डालें तो यह तस्वीर साफ हो जाती है कि यहां बेस्ट पिक्चर के अवॉर्ड के लिए किस तरह की फिल्मों का चयन किया जाता है. पहले बात 2025 में पांच एकेडमी अवॉर्ड्स जीतने वाली फिल्म अनोरा की करते हैं. जानते हैं यह कितनी समसामयिक है. यह फिल्म साल 2024 में रिलीज हुई थी. इसके डायरेक्टर सीन बेकर हैं. सीन बेकर अपनी फिल्मों में हाशिये पर रहने वाले लोगों की जिंदगी को पर्दे पर उकेरने के लिए जाने जाते हैं. हॉलीवुड में उनकी पहचान एक स्वतंत्र फिल्ममेकर की है. उन्होंने इससे पहले फोर लेटर वर्ड्स, टेक आउट, प्रिंस ऑफ ब्रॉडवे, दी फ्लोरिडा प्रोजेक्ट और रेड रॉकेट जैसी फिल्में बनाई हैं.
सीन बेकर की शख्सियत के कई पहलू हैं. वह डायरेक्टर, प्रोड्यूसर, राइटर और खुद ही एडिटर भी हैं. संभवत: अनोरा को पांच श्रेणी में अवॉर्ड्स मिलने का यह भी एक खास राज है. उनकी फिल्मों की कहानियां फैंटेसी होकर भी एक मिशन को लेकर चलती हैं. अनोरा में उन्होंने परीकथा की फैंटेसी तो बुनी लेकिन बड़ी ही चतुराई से उसी बहाने रूस-अमेरिका का कनेक्शन भी जोड़ दिया, जो कि इन दिनों सुर्खियों में है.
अनोरा अमेरिका में रह रहे रूसी अप्रवासी की कहानी
अनोरा ऐसे समय में रिलीज हुई और बेस्ट पिक्चर का अवॉर्ड मिला, जब अमेरिका-रूस संबंधों को नये सिरे से परिभाषित किया जा रहा है. रूस-अमेरिका प्रतिद्वंद्वी देश रहे हैं. सोवियत संघ के जमाने में दोनों के बीच का शीत युद्ध विख्यात है. लेकिन पिछले तीन साल के दरम्यान रूस-यूक्रेन का युद्ध चरम सीमा पर पहुंच गया. अमेरिकी चुनाव में युद्ध की विभीषिका एक बड़ा मुद्दा बना. नतीजा ये हुआ कि जो बाइडेन की पार्टी हार गई और डोनाल्ड ट्रंप सत्ता में आ गए. अब ट्रंप गिले शिकवे भुलाकर पुतिन के साथ संबंधों को नये मुकाम पर ले जाने के लिए आतुर हैं. फिलहाल उनका मकसद किसी भी तरह से युद्ध को रोकना है.
इसी बीच अनोरा जैसी फिल्म फ्लोर पर आती है. जहां दो रूसी युगल की कहानी को अमीर-गरीब के जज्बाती ताने बाने के साथ पेश किया जाता. अनोरा में दर्शाये गये प्रेमी युगल का ताल्लुक रूस से है, जो न्यूयॉर्क में रहता है. युवती गरीब परिवार से है जबकि युवक अमीर बिजनेसमैन का बेटा है. फिल्म में दोनों की दोस्ती और शादी को दर्शाया गया है. कहानी कहती है रूसी चाहे अमीर हों या गरीब- वे अपना-अपना भविष्य बनाने के लिए अमेरिकी जीवन को चुनते हैं.
एवरीथिंग एवरीवेयर ऑल एट वंस चीनी अप्रवासी की कहानी
अनोरा से पहले उन कुछ फिल्मों की चर्चा करते हैं, जिनको बेस्ट पिक्चर का ऑस्कर अवॉर्ड्स मिल चुका है. साल 2024 में क्रिस्टोफर नोलन की फिल्म ओपेनहाइमर को सात एकेडमी अवॉर्ड्स मिले थे. यह अमेरिकी वैज्ञानिक के जीवन पर आधारित थी. रूस-यूक्रेन युद्ध के माहौल में रॉबर्ट ओपेनहाइर की बायोपिक में सेकंड वर्ल्ड वॉर के दौरान परमाणु हथियार विकसित करने की कहानी दिखाई गई थी. साल 2023 में एवरीथिंग एवरीवेयर ऑल एट वंस को बेस्ट पिक्चर का अवॉर्ड मिला था. इस फिल्म में भी अमेरिका में रह रहे एक मध्यवर्गीय चीनी परिवार की कहानी को दिखाया गया था.
साल 2022 में सियान हेडर की कोडा को बेस्ट फिल्म का ऑस्कर अवॉर्ड मिला था. यह फिल्म एक ऐसी युवती की कहानी है, जिसके परिवार के लोग सुनने में सक्षम नहीं हैं केवल वही सुन सकती है और अपने परिवार की हर मोर्चे पर मदद करती है. पूरी फिल्म उस युवती के संघर्ष को बयां करती है.
नोमैडलैंड अमेरिकी खानाबदोश परिवार की कहानी
वहीं साल 2021 की ऑस्कर विजेता फिल्म नोमैडलैंड की बात करें तो यह अमेरिकी खानाबदोश की कहानी कहती है. फिल्म मंदी के दौर की कहानी कहती है और बताती है कि अमेरिका दुनिया का अमीर और शक्तिशाली देश है लेकिन वहां भी ऐसा गरीब समुदाय है जिसके सिर पर छत नहीं है. ऐसे में चलता फिरता वैन ही उसका आवास है. वह पूरे अमेरिका में भ्रमण करते हुए अपना जीवनयापन करता है. एक अमीर मुल्क को इस फिल्म के जरिए आईना दिखाया गया और एकेडमी अवॉर्ड्स कमेटी ने अमेरिका की इस जमीनी सच्चाई को दुनिया के सामने रखने के लिए बेस्ट पिक्चर के अवॉर्ड से नवाजा.
पैरासाइट दक्षिण कोरिया के साधनहीन परिवार की कहानी
कुछ ऐसा ही आईना दक्षिण कोरिया की फिल्म पैरासाइट के जरिये दिखाया गया. इस फिल्म को साल 2020 में बेस्ट पिक्चर का ऑस्कर अवॉर्ड मिला था. यह फिल्म दुनिया के मानपटल पर तेजी से उभरते दक्षिण कोरिया की सामाजिक सच्चाई को सामने रखती है. उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया का युद्ध और तनाव जगजाहिर है. उस युद्ध के साये में रहते हुए भी दक्षिण कोरिया ने खुद को एक तेजी से विकसित होते राष्ट्र के तौर पर प्रस्तुत किया. लेकिन पैरासाइट उस सच्चाई का भेद खोलने वाली फिल्म साबित होती है.
फिल्म में दिखाया गया कि तेजी से उभरते दक्षिण कोरिया में अमीरी और गरीबी की खाई भी उतनी ही तेजी से बढ़ती जा रही है. फिल्म में एक ऐसा साधनहीन परिवार है, जो अमीर बिजनेसमैन से मिली सुविधाओं पर जीवन बसर करने के लिए मजबूर है, जिसके चलते उसे यातना से भी गुजरना पड़ता है.
फिल्मों में फैंटेसी के जरिए मानवतावादी दृष्टिकोण दर्शाया
इन फिल्मों के अलावा जुरासिक पार्क, लॉर्ड ऑफ द रिंग्स, अमेरिकन ब्यूटी या फिर द टाइटैनिक जैसी कुछ पुरानी फिल्मों पर गौर करें तो तस्वीर साफ हो जाती है कि ऑस्कर कमेटी को किस स्केल पर एपिक कहानियां पसंद आती हैं. अगर फिल्मों का समसामयिक महत्व नहीं भी है तो उसके सामाजिक-सांस्कृतिक-ऐतिहासिक आधार को देखा और परखा जाता है. बेस्ट पिक्चर का ऑस्कर अवॉर्ड उसी फिल्म को मिलता है, जिसकी कहानी का मैसेज क्लियर हो और उसका तकनीक पक्ष कहानी के आशय पर हावी न हो.
जुरासिक पार्क, लॉर्ड ऑफ द रिंग्स जैसी फैंटेसी के जरिए भी मानवतावादी दृष्टिकोण को उकेरा जाता है. पूरी सोसायिटी को उसके जरिए संदेश दिये जाते हैं. अब विदेश भाषा श्रेणी में भारत से जो फिल्में भेजी जाती हैं, उनके सब्जेक्ट और पिक्चराइजेशन की तुलना करें. जिस लापता लेडीज की भारत में धूम मची उसे पहले ही राउंड में रिजेक्ट कर दिया गया