Vedant Samachar

छत्तीसगढ़: भिलाई में पशु क्रूरता के विरोध में पत्रकार पर शिक्षक का हमला… चौकी में FIR दर्ज, गिरफ्तारी का इंतजार

Lalima Shukla
5 Min Read

भिलाई। लोकतंत्र का चौथा स्तंभ होने के नाते एक पत्रकार हमेशा लोगों की आवाज बनता है। इसी तरह बेजुबान जानवरों को न मारने के लिए समझाइश देने गए एक पशुप्रेमी जो पेशे से पत्रकार है, जब उसके साथ एक शिक्षक दुर्व्यवहार करें तो आप क्या कहेंगे? कुछ ऐसी घटना छत्तीसगढ़ के एजुकेशन हब भिलाई में गुरुवार को हुई। भिलाई निवासी जम्मू कश्मीर के एक नामी स्कूल का प्रिंसिपल सचिन शुक्ला ने अपने साथी-पड़ोसी अवनीश कुमार के साथ मिलकर भिलाई के पत्रकार लाभेश घोष से गाली-गलौज और मारपीट की है। वो भी सिर्फ इसलिए क्योकि उसने एक इंसान होने का फर्ज निभाया और बेजुबान को मारने से रोका।

दीनदयाल कॉलोनी, जुनवानी रोड, भिलाई का निवासी, पशुप्रेमी पत्रकार लाभेश ने बताया कि, जब स्मृति नगर चौकी क्षेत्र में पशु क्रूरता के खिलाफ उसने आवाज उठाई, तब सचिन शुक्ला नामक व्यक्ति ने उस पर न केवल गाली-गलौज की, बल्कि मोबाइल छीनने के साथ शारीरिक हमला भी किया। उन्होंने गालियाँ दीं, कई मुक्के मारे और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया साथ ही सरेआम अपमानित किया। इन सब में उनका साथ उनके पड़ोसी और मित्र अवनीश कुमार ने दिया।

इस मामले में स्मृति नगर चौकी पुलिस ने BNS की धारा 296, 115(2) और 3(5) के तहत जीरो में मामला दर्ज किया है। भिलाई के पत्रकारों में आरोपी की जल्द गिरफ्तारी की मांग की है। सबसे गंभीर तथ्य यह है कि उपलब्ध जानकारी के अनुसार, सचिन शुक्ला एक शिक्षक हैं और वर्तमान में जम्मू-कश्मीर की किसी डीएवी स्कूल शाखा में प्रिंसिपल के पद पर कार्यरत हैं। शिक्षा का मूल उद्देश्य समाज को नैतिकता, करुणा और अहिंसा का पाठ पढ़ाना होता है, लेकिन जब खुद एक शिक्षक इस तरह की हिंसा करता है, तो यह पूरे समाज और शिक्षा प्रणाली के लिए गंभीर सवाल खड़े करता है। ऐसे शिक्षक बच्चों को क्या सिखाएंगे? क्या हम ऐसे समाज में रहना चाहते हैं, जहाँ नैतिकता और संवेदनशीलता को नजरअंदाज कर दिया जाए।

पशुओं को लेकर कुछ अहम क़ानून :-

  • पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 – इस अधिनियम के तहत पशुओं के साथ किसी भी प्रकार की क्रूरता गैरकानूनी है, और दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
  • BNS 325 – यह प्रावधान स्पष्ट रूप से निर्दिष्ट करता है कि किसी भी पशु को गंभीर चोट पहुँचाना एक अपराध है और इसके लिए कठोर दंड का प्रावधान है।
  • भारतीय संविधान का अनुच्छेद 51(G) – यह अनुच्छेद स्पष्ट रूप से कहता है कि प्रत्येक नागरिक को यह मूलभूत अधिकार प्राप्त है कि वह पशुओं को भोजन करा सकता है और उन्हें सुरक्षा प्रदान कर सकता है। किसी को भी उन्हें मारने, प्रताड़ित करने या उनके विस्थापन (relocation) का अधिकार नहीं है।

न्याय की माँग और समाज के लिए संदेश

“मैं प्रशासन और कानून से अपील करता हूँ कि सचिन शुक्ला और अवनीश कुमार के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए, ताकि न्याय मिले और भविष्य में इस तरह की घटनाएँ न दोहराई जाएँ।” – लाभेश

यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति पर हमले का नहीं है, बल्कि यह एक बड़े सामाजिक मुद्दे को उजागर करता है – कि क्या हम एक ऐसे समाज की ओर बढ़ रहे हैं जहाँ हिंसा, अन्याय और दमन को सामान्य मान लिया जाएगा? यदि हम आज चुप रह गए, तो कल यही हिंसा हमारे और हमारे बच्चों के खिलाफ भी हो सकती है।

समाज के प्रत्येक नागरिक को यह समझना होगा कि नैतिकता, करुणा और अहिंसा ही एक सभ्य समाज की नींव हैं। जब हम जानवरों के साथ क्रूरता की अनदेखी करते हैं, तो यह धीरे-धीरे समाज में बड़े अपराधों का रास्ता खोलता है। अगर एक शिक्षक इस तरह की हिंसा कर सकता है, तो सोचिए कि आने वाली पीढ़ी के लिए वह क्या उदाहरण पेश कर रहा है?

“मैं सभी सामाजिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों, और जागरूक नागरिकों से अपील करता हूँ कि इस मामले को गंभीरता से लें और न्याय के लिए अपनी आवाज़ बुलंद करें।”- लाभेश

Share This Article