भिलाई,30मई 2025(वेदांत समाचार) । भिलाई इस्पात संयंत्र के क्रीड़ा, सांस्कृतिक एवं नागरिक सुविधाएं विभाग द्वारा स्कूली बच्चों हेतु प्रतिवर्ष आयोजित ग्रीष्मकालीन खेल प्रशिक्षण शिविर-2025 भिलाई नगर के विभिन्न खेल परिसरों, स्कूल के हॉलों एवं मैदानों में 15 मई से प्रारंभ कर दिया गया है। प्रशिक्षण शिविर के अंतर्गत शामिल 23 खेलों में लगभग 3000 बच्चे पूरे जोश और उत्साह से भाग ले रहे हैं। देश को 4 ओलंपियन खिलाड़ी देने वाली इस्पात नगरी, भिलाई के विभिन्न खेल परिसरों में एथलेटिक्स, बैडमिंटन, बॉल बैडमिंटन, बास्केटबॉल, मुक्केबाज़ी, शतरंज, क्रिकेट, फुटबॉल, हैंडबॉल, हॉकी, जूडो, टेनिस, वॉलीबॉल, योग, खो-खो, कबड्डी, पावरलिफ्टिंग, साइकिल पोलो, जिम्नास्टिक, नेटबॉल और फेंसिंग का 25 खेल परिसरों में अनुभवी और एनआईएस कोच एवं प्रशिक्षकों द्वारा प्रशिक्षित किया जा रहा है।
इस आयोजन पर भिलाई इस्पात संयंत्र के महाप्रबंधक क्रीड़ा, सांस्कृतिक एवं नागरिक सुविधाएं विजय शर्मा ने जानकारी दी कि शिविर 15 मई से 05 जून 2025 तक चलेगा। उन्होंने बताया कि इस शिविर का उद्देश्य बच्चों को एक सुरक्षित, प्रेरणादायक और शैक्षणिक वातावरण प्रदान कर उनकी खेल प्रतिभा को विकसित करना है। सामान्यत: शिविर एक माह का आयोजित किया जाता रहा है परन्तु इस वर्ष गर्मी और बच्चों के स्वास्थ्य को देखते हुए केवल 20 दिन तक प्रात:कालीन समय में प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। बच्चों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए शिविर की रूपरेखा तैयार की गई है।
पूर्व ओलंपियन मुक्केबाज और उप महाप्रबंधक एचआर-क्रीड़ा, सांस्कृतिक एवं नागरिक सुविधाएं राजेन्द्र प्रसाद ने बताया कि वर्ष 1976 से संचालित यह शिविर छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा ग्रीष्मकालीन खेल प्रशिक्षण शिविर है, जिससे अब तक हजारों बच्चे लाभान्वित हो चुके हैं। अनेक प्रशिक्षित खिलाड़ी राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन कर चुके हैं। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी इस आयोजन में लगभग 2000 से अधिक बच्चे शिविर में भाग लेकर अपनी कला को तराश रहे है।
यह शिविर न केवल खेल कौशल को निखारने का माध्यम है, बल्कि अनुशासन, टीम भावना और शारीरिक स्वास्थ्य को भी बढ़ावा देता है। शिविर में भाग लेने वाले बच्चों को प्रशिक्षण के साथ-साथ खेल सामग्री एवं आवश्यक उपकरण भी प्रदान किए जा रहे हैं। यह शिविर बच्चों को राष्ट्रीय व राज्य स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन हेतु तैयार करता है।