Vedant Samachar

Shubhanshu Shukla का अंतरिक्ष मिशन एक बार फिर टला… जानिए किस वजह से लिया गया फैसला

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अमेरिका,11जून 2025 : अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी NASA और निजी कंपनी Axiom Space का महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष मिशन Axiom Mission-4 एक बार फिर लॉन्च नहीं हो सका। यह मिशन 11 जून को भारतीय समयानुसार शाम 5:30 बजे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) के लिए उड़ान भरने वाला था। लेकिन रॉकेट में लिक्विड ऑक्सीजन (LOX) का रिसाव होने के कारण मिशन को स्थगित करना पड़ा। यह लॉन्च अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर के लॉन्च कॉम्प्लेक्स 39A से किया जाना था। आइए जानत है इस खबर को विस्तार से…

पहले भी कई बार टल चुकी है लॉन्चिंग : आपको बता दें कि इस मिशन की लॉन्चिंग में यह पहली बार देरी नहीं हुई है। इससे पहले यह मिशन 29 मई को लॉन्च होना था, लेकिन किसी तकनीकी वजह से उसे टालना पड़ा। इसके बाद इसे 8 जून को फिर से तय किया गया, लेकिन उस दिन भी मिशन लॉन्च नहीं हो सका। 10 जून को मौसम खराब होने की वजह से फिर से मिशन को टालना पड़ा। अब 11 जून को चौथी बार तकनीकी खराबी के चलते इसकी लॉन्चिंग रुक गई है।

भारतीय पायलट होंगे मिशन का हिस्सा : दरअसल, इस मिशन में कुल 4 अंतरिक्ष यात्री शामिल होंगे, जिनमें भारत के शुभांशु शुक्ला भी शामिल हैं। शुभांशु भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन हैं और वह इस मिशन में पायलट की भूमिका निभाएंगे। वह राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले भारत के दूसरे अंतरिक्ष यात्री होंगे। यह भारत के लिए गर्व की बात है कि लगभग 40 साल बाद एक और भारतीय अंतरिक्ष में जा रहा है।

मिशन में शामिल अन्य अंतरिक्ष यात्री: वहीं इस पूरे मिशन में शुभांशु शुक्ला के अलावा अमेरिका की महिला अंतरिक्ष यात्री पैगी व्हिटसन कमांडर होंगी। उनके साथ पोलैंड के स्लावोज उज्नान्स्की और हंगरी के टिबोर कापू भी मिशन स्पेशलिस्ट के रूप में शामिल होंगे। दिलचस्प बात यह है कि उज्नान्स्की 1978 के बाद और टिबोर 1980 के बाद अपने-अपने देशों से अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे एस्ट्रोनॉट होंगे।

14 दिन के मिशन में होगी रिसर्च:यह मिशन कुल 14 दिनों का होगा। जैसे ही ड्रैगन कैप्सूल फाल्कन-9 रॉकेट से उड़ान भरकर इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन तक पहुंचेगा में करीब 48 घंटे लगेंगे वैसे ही अंतरिक्ष यात्री रिसर्च शुरू करेंगे। इस मिशन के दौरान सात अलग-अलग प्रकार की रिसर्च की जाएगी, जो विज्ञान और मानव स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहद अहम मानी जा रही है।

रिसर्च से जुड़े रहस्य और लक्ष्य:इन 14 दिनों में अंतरिक्ष यात्री अलग-अलग तरह के वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे। इसरो और नासा मिलकर 12 वैज्ञानिक अध्ययन कर रहे हैं, जिनमें से 7 भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा और 5 अमेरिकी वैज्ञानिकों द्वारा किए जाएंगे। रिसर्च का मुख्य उद्देश्य यह है कि यह जाना जा सके कि सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण (Microgravity) का असर पौधों के बीजों पर क्या पड़ता है। इससे यह पता चल सकेगा कि क्या भविष्य में अंतरिक्ष में खेती संभव है। इसके साथ ही यह भी देखा जाएगा कि अंतरिक्ष का वातावरण मानव शरीर के दिल, दिमाग और मांसपेशियों पर क्या असर डालता है। इसके अलावा कुछ टेक्नोलॉजिकल रिसर्च भी की जाएंगी, जिससे भविष्य की तकनीक को बेहतर बनाया जा सके।

भारी बजट और वैश्विक साझेदारी:Axiom Mission-4 को तैयार करने में करीब 5140 करोड़ रुपये (यानि 60 मिलियन डॉलर) का खर्च आया है। यह एक प्राइवेट स्पेस मिशन है, लेकिन इसे नासा, ISRO और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) की साझेदारी में अंजाम दिया जा रहा है। यह Axiom Space कंपनी का चौथा बड़ा अंतरिक्ष मिशन है। इससे पहले Axiom-1 अप्रैल 2022 में, Axiom-2 मई 2023 में और Axiom-3 जनवरी 2024 में सफलतापूर्वक लॉन्च हो चुके हैं।

भारत के लिए गर्व का क्षण:Axiom Mission-4 सिर्फ एक अंतरराष्ट्रीय मिशन नहीं है, बल्कि भारत के लिए गर्व का मौका भी है। शुभांशु शुक्ला की भागीदारी से भारत एक बार फिर अंतरिक्ष में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने जा रहा है। हालांकि लॉन्चिंग में बार-बार देरी हो रही है, लेकिन यह मिशन भविष्य की अंतरिक्ष खोजों और तकनीकी प्रयोगों के लिए एक मजबूत नींव साबित होगा।

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